AAP: दिल्ली की सियासत में कभी पंजाबी और जाट मतदाताओं का प्रभाव था. लेकिन समय के साथ पूर्वांचली मतदाता अहम होते गए. आज हर दल इस वर्ग को साधने में जुटा हुआ है. क्योंकि पूर्वांचली मतदाता सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा करते हैं. लगभग 30 से अधिक सीटों पर पूर्वांचली मतदाता हार-जीत तय करते हैं. एक अनुमान के अनुसार दिल्ली में लगभग 30 फीसदी पूर्वांचली मतदाता है. पिछले दो विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को पूर्वांचली मतदाताओं का समर्थन मिलता रहा है. एक बार फिर पूर्वांचली मतदाताओं को साधने के लिए आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल मैदान में उतर गए है.
शुक्रवार को केजरीवाल ने कहा कि भाजपा दिल्ली में पूर्वांचली समाज के लोगों का नाम मतदाता सूची से हटाने की साजिश कर रही है. पूर्वांचली लोगों ने 30-40 सालों से दिल्ली में रहकर इसे बनाने का काम किया है. आम आदमी पार्टी पिछले 10 साल से दिल्ली की सत्ता पर काबिज है और इस बार सत्ता विरोधी लहर को कम करने के लिए हर वर्ग को साधने में जुटी हुई है. इस वर्ग को साधने के लिए भाजपा भी पूरी शिद्दत से जुटी हुई है.
आप में लोकप्रिय पूर्वांचली चेहरे की है कमी
भाजपा के पास पूर्वांचली चेहरे के तौर पर सांसद मनोज तिवारी और दूसरे कई नेता है. लेकिन आम आदमी पार्टी में पूर्वांचली मतदाताओं के बीच मनोज तिवारी जैसा कोई लोकप्रिय चेहरा नहीं है. हालांकि पार्टी में कई पूर्वांचली नेता है. पिछली बार पूर्वांचल बहुल अधिकांश सीटों पर आम आदमी को जीत मिली थी और लगभग पांच सीटें भाजपा की झोली में आयी थी. लेकिन इस बार भाजपा इस वर्ग को साधने के लिए विशेष रणनीति तैयार की है.
अधिकांश पूर्वांचली मतदाता
दिल्ली की लगभग 1700 कच्ची कॉलोनियों में भी पूर्वांचली रहते हैं. इन कच्ची कॉलोनियों में भाजपा विशेष जनसंपर्क अभियान चला रही है. बिहार, उत्तर प्रदेश के कई नेताओं को इन कॉलोनियों की जिम्मेदारी दी गयी है. केजरीवाल का कहना है कि इन कॉलोनियों में सड़क, पानी, स्कूल और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर किया है. लेकिन भाजपा के लोगों को यह पसंद नहीं आ रहा है. इसलिए वे पूर्वांचली लोगों का नाम मतदाता सूची से हटाने की साजिश कर रहे हैं. वहीं भाजपा का कहना है कि केजरीवाल ने पूर्वांचली समाज को धोखा देने का काम किया है. वे झूठे आरोप लगाकर लोगों को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं, लेकिन इस बार उनकी चाल सफल नहीं होने वाली है.