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राष्ट्रीय औसत से पीछे हैं बिहार और झारखंड



Tele Density: देश की 99.21 फीसदी आबादी मोबाइल नेटवर्क के दायरे में है. देश में 3जी मोबाइल नेटवर्क के दायरे में 99 फीसदी आबादी है. देश में अगर वाई-फाई स्पीड की बात करें तो यह विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जैसे वाई-फाई नेटवर्क का स्टैंडर्ड, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर का प्लान, तकनीक. वाई-फाई स्पीड का आकलन राज्य के आधार पर नहीं किया जाता है. किसी क्षेत्र में मोबाइल सेवा पहुंचाने का काम टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर वित्तीय स्थिति का आकलन करने के बाद करता है. देश के सुदूर इलाके में मोबाइल नेटवर्क की सुविधा पहुंचाने का काम सरकार करती है. 

केंद्र सरकार देश में टेलीकॉम कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए डिजिटल भारत निधि के तहत कई योजनाओं पर काम कर रही है. ग्रामीण, सुदूर और पहाड़ी इलाकों में टेलीकॉम कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए मोबाइल टावर लगाया जा रहा है. नक्सल प्रभावित जिलों में 4 जी नेटवर्क लगाने का चल रहा है कामटेलीकॉम कनेक्टिविटी से दूर गांवों, नक्सल प्रभावित क्षेत्र और आकांक्षी जिलों में 7287 गांवों में 4जी नेटवर्क लगाने का काम चल रहा है. इसके अलावा ग्राम पंचायतों में इंटरनेट सुविधा मुहैया कराने के लिए भारत नेट प्रोजेक्ट चल रहा है. यह योजना चरणबद्ध तरीके से चल रही है. 

केंद्रीय कैबिनेट ने 4 अगस्त 2023 को संशोधित भारत नेट प्रोजेक्ट को मंजूरी दी, जिसके तहत भारत नेट फेज-1 और फेज-2 के नेटवर्क को अपग्रेड किया जायेगा. ब्रॉडबैंड के 10 साल के ऑपरेशन और रखरखाव पर लगभग 139579 करोड़ रुपये खर्च होगा. एक सवाल के जवाब में सरकार ने यह जानकारी दी है.

किस राज्य में कितनी है टेली डेंसिटी

राष्ट्रीय स्तर पर टेली डेंसिटी 85.95 फीसदी है. अगर राज्यों में टेली डेंसिटी की बात करें तो आंध्र प्रदेश में यह 84.99 फीसदी, गुजरात में 91.40 फीसदी, हरियाणा में 118.77 फीसदी, पंजाब में 111.56 फीसदी, तमिलनाडु में 104.29 फीसदी, तेलंगाना में 111.03 फीसदी, पश्चिम बंगाल में 81.84 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 70.32 फीसदी है. इस मामले में बिहार और झारखंड काफी पीछे हैं. बिहार में टेली डेंसिटी 55.80 फीसदी और झारखंड में 62.62 फीसदी है.

यह आंकड़ा 30 जून 2024 तक का है. देश में मौजूदा समय में 95.4 करोड़ लोग इंटरनेट का प्रयोग कर रहे हैं. सरकार का मानना है कि देश में हर साल इंटरनेट उपभोक्ता की संख्या बढ़ रही है और इंटरनेट स्पीड को बेहतर करने के लिए कई स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. साथ ही 5जी के बाद 6जी तकनीक पर काम हो रहा है.