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सुप्रीम कोर्ट ने जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ कार्यवाही बंद की



Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति द्वारा दायर की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर शुक्रवार को कार्यवाही समाप्त कर दी. इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि उसकी दो बेटियों को कोयंबटूर स्थित ईशा फाउंडेशन में बंधक बनाकर रखा गया है. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह स्पष्ट किया कि दोनों महिलाएं बालिग हैं और उन्होंने अदालत के समक्ष कहा है कि वे अपनी मर्जी से और बिना किसी दबाव के आश्रम में रह रही थीं.

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बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका एक कानूनी प्रावधान है जिसका उपयोग उस व्यक्ति को अदालत में प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है, जिसे अवैध रूप से हिरासत में रखा गया हो. इस मामले में, अदालत ने पुलिस की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए कहा कि इस याचिका पर आगे कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है.

पहले यह याचिका मद्रास उच्च न्यायालय में दायर की गई थी, लेकिन बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने इसे अपने पास स्थानांतरित किया और तमिलनाडु पुलिस को इस मामले में कोई और कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया. ईशा फाउंडेशन ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसमें पुलिस को फाउंडेशन से संबंधित सभी मामलों का विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था.

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