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हाई कोर्ट से आज आ सकता है 13 लाख अभ्यर्थियों जुड़े इस बड़े मामले का फैसला!

जोधपुर/ जयपुर. बीएसटीसी-बीएड विवाद  मामले में आज फैसले का दिन है. बुधवार को सीजे अकील कुरैशी की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई पूरी कर ली थी. उसके बाद आज खंडपीठ मामले में फैसला लिखवा रही है. अदालत मामले में आज अपना फैसला  सुना सकती है. यह पूरा मामला रीट लेवल-1 में बीएड अभ्यर्थियों को शामिल करने और नहीं करने से जुड़ा है. एक तरफ मामला जहां अदालत में चल रहा है वहीं दूसरी तरफ इस विवाद को लेकर बीएसटीसी के अभ्यर्थी पिछले 46 दिनों से जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना दे रहे हैं. उनकी मांग है कि रीट लेवल फर्स्ट से बीएड अभ्यर्थियों को बाहर किया जाए.

बीएड अभ्यर्थियों की ओर से हाई कोर्ट में पैरवी कर रहे अधिवक्ता रघुनंदन शर्मा ने कहा कि एनसीटीई टीचर्स एलिजिबिलिटी के लिए एकेडमिक अथॉरिटी है. उसी को यह तय करने का अधिकार है कि किस लेवल के लिए कौनसी योग्यता होनी चाहिए. आरटीई एक्ट में भी इसी का प्रावधान किया गया है. सुप्रीम कोर्ट भी रामशरण मौर्य के जजमेंट में साफ कर चुका है कि एनसीटीई की गाइडलाइन सभी राज्य सरकारों को माननी होगी.

हाई कोर्ट में बीएसटीसी अभ्यर्थियों की ओर से दिए गए तर्क-
– लेवल-1 में पहली से पांचवीं क्लास के बच्चों को पढ़ाना होगा.
– यह ट्रेनिंग केवल बीएसटीसी के दो साल के डिप्लोमा धारकों के पास है.
– बीएड की डिग्री में क्लास 6 से 8 तक के ब्च्चों को पढ़ाने की ट्रेनिंग दी जाती है.
– एनसीटीई ने भी अपने नोटिफिकेशन में माना है कि नियुक्ति के बाद बीएड धारकों को एक ब्रिज कोर्स करना होगा.
– मतलब साफ है कि पहले दिन आप बच्चों को उस टीचर के हवाले कर रहे है, जिसके पास ट्रेनिंग ही नहीं है.
– यह अनुच्छेद 21(A) का भी उल्लंघन है. इसमें कहा गया है कि सरकार को क्वालिटी एजुकेशन देनी होगी.
– वहीं नियुक्ति के बाद अगर अभ्यर्थी ब्रिज कोर्स पास नहीं कर सका तो वह योग्य अभ्यर्थी की एक सीट खराब होगी.
– बीएड हायर एजुकेशन नहीं है. इसे सुप्रीम कोर्ट अपने दो और बॉम्बे हाई कोर्ट अपनी लार्जर बैंच के निर्णय में तय कर चुकी है.

यह ट्रेनिंग का नहीं, केवल योग्यता से जुड़ा मामला है
बीएड अभ्यर्थियों के अधिवक्ता के कहना है कि पंचायतीराज एक्ट 1966 के नियम 266 में यह प्रोविजन है कि जो भी क्वालीफिकेशन एनसीटीई तय करेगी, उसी के अनुसार भर्ती की जाएगी. लेकिन राज्य सरकार ने कभी एनसीटीई के नोटिफिकेशन को चुनौती नहीं दी. ना ही पंचायतीराज एक्ट के रुल्स में कोई संशोधन किया. वहीं जब एक तरफ बीएसटीसी के साथ ग्रेजुएशन करने वाले अभ्यर्थियों को लेवल-2 में बिना बीएड किए पात्र माना गया है तो बीएड अभ्यर्थियों का लेवल-1 के लिए पात्र क्यों नहीं माना जाए. क्योंकि यह ट्रेनिंग का नहीं, केवल योग्यता से जुड़ा मामला है.

खंडपीठ लिखवा रही है फैसला
इस मामले में सुनवाई होने के बाद आज खंडपीठ अपना फैसला लिखवा रही है. फैसले में सबसे पहले लिखवाई मामले की रूपरेखा लिखवाई गई है. इसके बाद लिखवाए गए मामले से जुड़े तथ्यों का उल्लेख किया गया है. करीब दो घंटे से अधिक समय से खंडपीठ में फैसला लिखवाया जा रहा है.