Insomnia Smartphone Effect: डिजिटल युग में देर रात तक स्मार्टफोन का इस्तेमाल आपकी नींद का सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका है. शोध बताते हैं कि स्क्रीन टाइम बढ़ने से नींद की गुणवत्ता घटती है और अनिद्रा (Insomnia) का खतरा बढ़ जाता है. जानें स्मार्टफोन आपकी नींद को कैसे प्रभावित करता है और बेहतर नींद के आसान स्लीप हैक्स.
Insomnia Smartphone Effect: डिजिटल युग में देर रात तक स्मार्टफोन का इस्तेमाल दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. लेकिन क्या आपको पता है यह आपके काम को आसान बनाने के साथ साथ आपकी नींद भी छिन रहा है. देश दुनिया में हुए शोध बताते हैं कि स्मार्टफोन और स्क्रीन के बेवक्त इस्तेमाल से केवल नींद में खलल नहीं आता, बल्कि लगातार ऐसा करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है. इस लेख में हम जानेंगे कि मोबाइल समेत अन्य डिजिटल डिवाइस आपकी नींद के लिए कितना खतरनाक है?
स्क्रीन टाइम बढ़ने से नींद की गुणवत्ता घटती है
हेल्थ डॉट कॉम में छपी एक रिपोर्ट की मानें तो नॉर्वे में किये गये एक अध्ययन में पाया गया था कि बिस्तर पर स्क्रीन इस्तेमाल के प्रति घंटे पर नींद 24 मिनट कम हो जाती है, और अनिद्रा (insomnia) का खतरा 59% तक बढ़ जाता है.
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स्मार्टफोन पर रात को स्क्रॉल करना नींद के हार्मोन को प्रभावित करता है
एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकलता है कि ब्लू-लाइट फिल्टर का उपयोग ना करने से मेलाटोनिन का उत्पादन काफी घट जाता है, जो नींद लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
बिस्तर में तकनीकी उपकरण रखना नींद को प्रभावित करता है
Sutter Health की रिपोर्ट बताती है कि यदि आप सोते समय दो या उससे ज्यादा घंटे स्क्रीन इस्तेमाल करते हैं, तो यह मेलाटोनिन रिलीज को बाधित कर सकता है.
रात का वातावरण तकनीकी मुक्त रखें
Sleep Foundation की रिपोर्ट के अनुसार, रात के समय इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से बचने से नींद अधिक शांतिपूर्ण और प्रभावी होती है.
बेहतर नींद के आसान उपाय
स्क्रीन से दूर रहें 1 घंटा पहले तक : विशेषज्ञ की मानें तो सोने से एक घंटा पहले फोन और अन्य स्क्रीन से दूरी बना लेनी चाहिए.
बिस्तर को सिर्फ नींद के लिए रखें: यदि नींद नहीं आ रही, तो बिस्तर से उठकर पढ़ना या हल्का संगीत सुनने का काम करें, इससे नींद जल्दी आएगी.
रात में फोन को साइलेंट या फ्लाइट मोड पर रखें: नोटिफिकेशन की आवाज और लाइट्स नींद में खलल डालते हैं.
सुबह में नैचुरल ब्लू लाइट एक्सपोजर लें: एक अध्ययन में पाया गया कि सुबह की नीली रोशनी वृद्धों की नींद को बेहतर करती है.
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