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सिर्फ 90 मिनट दें बदल जाएगी आपकी जिंदगी, बस सुबह और रात में करना होगा ये काम


90 Minute Rule: क्या आपने कभी महसूस किया है कि सुबह की शुरुआत अगर अच्छी न हो तो पूरा दिन बेकार चला जाता है? वैज्ञानिक और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि नींद से जागने के बाद के शुरुआती 90 मिनट- आपके मूड, ऊर्जा स्तर, मानसिक स्पष्टता और कामकाज की दिशा तय करते हैं. यदि इस समय को सही तरीके से मैनेज किया जाए, तो न सिर्फ उत्पादकता बढ़ती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और बॉडी क्लॉक भी स्थिर रहती है. आइए जानते हैं रिसर्च और विशेषज्ञों की राय में क्यों और कैसे सुबह की आदतें पूरी दिनचर्या को प्रभावित करती हैं.

नींद की गुणवत्ता से प्रभावित होती है निर्णय लेने की क्षमता

स्लीप फाउंडेशन और मेडिकल जर्नल नेचर के अनुसार, नींद की कमी से सुबह जागते समय मस्तिष्क की कार्यक्षमता प्रभावित होती है. जैसे ध्यान केंद्रित करना, निर्णय लेना और स्मरण शक्ति. यह प्रभाव “स्लीप इनर्शिया” नामक एक स्थिति से जुड़ा है, जिसमें जागने के बाद 30-90 मिनट तक दिमाग और शरीर सुस्त रहता है. शोध-पत्र एआरएक्सआइवी में बताया गया है कि एक रात की खराब नींद से अगले दिन प्रॉब्लम-सॉल्विंग की कैपेसिटी घट जाती है.

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सुबह के 90 मिनट: बॉडी क्लॉक सेट करने का टाइम

स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक लेख में बताया गया था कि नींद से जागने के बाद शुरुआती 90 मिनट में कैफीन से बचना चाहिए. इस समय में यदि आप धूप में कुछ मिनट बीताकर हल्का व्यायाम करें और स्क्रीन से दूर रहें, तो शरीर की आंतरिक घड़ी यानी सर्केडियन रिद्म बेहतर तरीके से काम करती है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि जागरूकता और फोकस बनाए रखने के लिए सुबह की प्राकृतिक रोशनी बेहद असरदार मानी जाती है.

सही मॉर्निंग रूटीन के क्या क्या फायदे हैं

  • सबसे पहले उठने के बाद हल्का गुनगुना पानी पियें.
  • इसके बाद हल्का व्यायाम या वॉक करें.
  • फिर संतुलित नाश्ता करें.

कई रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि जो इन आदतों को जिंदगी में शामिक कर लिया तो उसका मेटाबोलिज्म अच्छा होता है और मिड-डे में आने वाली सुस्ती कम होती है. इसके अलावा, सुबह की दिनचर्या यदि स्थिर हो तो यह तनाव को घटाने और आत्म-नियंत्रण को बढ़ाने में मदद करती है.

सुबह की आदतें और पूरे दिन की सफलता का चक्र

ऑस्ट्रेलिया में स्थित मोनाश यूनिवर्सिटी के एक शोध में पाया गया है कि जो लोग समय पर सोते हैं और जागते हैं, उनकी शारीरिक गतिविधियां अधिक होती हैं. जिससे दिनभर एक्टिव बने रहना आसान होता है, भले ही वह नींद आवश्यकता से थोड़ी कम क्यों न हो. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 37 फीसदी लोग जागने के पहले 10 मिनट में ही अपने पूरे दिन की योजना बनाने लगते हैं. जबकि 49 फीसदी मानते हैं कि अगर सुबह बुरी हो, तो पूरा दिन खराब हो जाता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्या है गाइड लाइन

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साल 2019 में एक गाइडलाइन जारी की थी. इसके मुताबिक यदि 0-5 साल तक बच्चे शारीरिक गतिविधि, स्क्रीन टाइम और नींद पर ध्यान दें तो पूरा दिन ऊर्जा बना रहेगा. इसके लिए उन्हें 10–13 घंटे की अच्छी गुणवत्ता वाली नींद लेना जरूरी है. उन्हें सोने और जागने का टाइम मेंटेन रखना होगा. जबकि दिन में खेलने का समय बढ़ाना होगा. वहीं, सभी लोगों के लिए नियमित रूप से सोने और जागने का समय तय करने से सर्केडियन रिदम ठीक रहता है. यह स्वास्थ्य जीवनशैली का अहम हिस्सा है. इससे न सिर्फ आपका दिन उर्जा से भरा हुआ रहेगा बल्कि अच्छा मूड होने के साथ साथ काम करने की क्षमता में सुधार आएगा.

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