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बच्चों के बहस करने की आदत से हैं परेशान तो बिना डांटे इन 7 तरीकों से करें हैंडल, तुरंत बदलेगा रवैया


Parenting Tips: बच्चों का शरारत करना या बात नहीं सुनना आम बात है. यह समय के साथ ठीक हो जाता है. लेकिन अगर आपका बच्चा हर बात पर किसी के साथ भी बहस या गलत व्यवहार कर लें तो यह माता पिता के लिए शर्मिंदगी की बात हो जाती है. विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों में बहस करने की आदत अक्सर उनकी जिज्ञासा और आत्म-विश्वास का संकेत हो सकता है, लेकिन अगर यह आदत जरूरत से ज्यादा बढ़ जाए तो पैरेंट्स को समझदारी से इसे संभालने की जरूरत है. आज हम आपको ऐसे 7 ऐसे कारगर टिप्स बताएंगे जिससे आप इस सिचुएशन को बेहतर ढंग हैंडल कर सकें और आपके बच्चे में भी सुधार आ जाए.

धैर्य रखें और बच्चे की पूरी बात सुनें

अक्सर बहस की स्थिति तब बनती है जब बच्चा खुद को ठीक से एक्सप्रेस नहीं कर पाता और पेरेंट्स बीच में ही टोक देते हैं. ऐसे में जरूरत है आप उनकी पूरी बात सुने. इससे बच्चे को लगेगा कि आप उनकी बातों को अहमियत दे रहे हैं.

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डांटने की बजाय सख्त लहजों में जवाब दें

बच्चा जब बहस करने लग जाए तो गुस्से में आकर उसे डांटने की बजाय सख्त शब्दों में जवाब दें. क्योंकि ज्यादा चीखने चिल्लाने से मामला बिगड़ सकता है.

बच्चे को सही-गलत का फर्क सिखाएं

हर बात पर बहस करने की बजाय आप उन्हें बताएं कब और किस वक्त बहस करना सही है. उनके स्पेशल टाइम निकालकर उदाहरण के साथ अच्छे और बेवजह तर्क में फर्क समझाए.

पॉजिटिव कम्युनिकेशन का माहौल बनाएं

घर का माहौल ऐसा बनाएं जहां बच्चा अपनी राय बिना डर के दे सके. इससे वह बेवजह बहस करने की जगह सही तरीके से अपनी बात रखना सीखेगा.

तारीफ करें जब वह शांति से बात करें

जब बच्चा बिना बहस किए अपनी बात को शांति और तर्क के साथ रखें तो उसकी तारीफ करें. इससे वह सही और बेवजह तर्क का मतलब जल्दी समझेगा और आगे से वह इसी तरह के व्यवहार को अपनाएगा.

नियम तय करें और उन्हें स्पष्ट करें

घर में ऐसे नियम बनाएं कि कोई भी अपनी बात रखते या डिस्कशन करते वक्त ऊंची आवाज में बहस न करें. यह रूल्स सभी को फॉलो करने के लिए बोले, चाहे वह बड़ा हो या छोटा. इससे वह किसी भी जगह अपनी बातों को सभ्य तरीके से रखेगा.

खुद बनें उदाहरण

अगर आप खुद हर बात पर बहस कर लग जाएंगे तो बच्चा भी वही सीखेगा. इसलिए अपनी बातचीत में संयम और सम्मान दिखाएं. बच्चा आपकी आदतों को देखकर ही सीखता है.

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