Monsoon And Alcohol Craving: जैसे ही मानसून की पहली बारिश होती है, कुछ लोगों में अचानक नशे की इच्छा क्यों जागती है? क्या इसका संबंध मौसम, मनोविज्ञान और शरीर के भीतर हो रहे परिवर्तनों से है? इस लेख में जानें मानसून और मूड के बीच का गहरा रिश्ता, वैज्ञानिक कारण और आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में नशीले पदार्थों को लेकर क्या सावधानियां रखनी चाहिए.
Monsoon And Alcohol Craving: जैसे ही बादलों की गड़गड़ाहट शुरू होती है, शराबियों का मन मदहोश होने लगता है. वह पुराने गीतों का आनंद लेते हुए शराब के नशे में खोना चाहते हैं. लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि क्या ऐसा कोई वैज्ञानिक कारण भी है जिससे इस मौसम में लोगों का आकर्षण नशीले पदार्थों की ओर बढ़ जाता है. आज हम इसी चीज को इस लेख में जानने की कोशिश करेंगे.
मानसून और मूड का संबंध
कई मनोवैज्ञानिक शोध बताते हैं कि बारिश का मौसम मन में नॉस्टैल्जिया, अकेलापन या रोमांटिक मूड को बढ़ा सकता है. अमेरिकन जर्नल ऑफ साइकोलॉजी और ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइकेट्री के अनुसार कम सूरज की रोशनी और ठंडक मस्तिष्क में डोपामीन और सेरोटोनिन के स्तर को प्रभावित कर सकती है, जिससे कुछ लोगों में नशे की इच्छा बढ़ जाती है.
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आयुर्वेद का दृष्टिकोण
आयुर्वेद के अनुसार, मानसून में वात और कफ दोष बढ़ते हैं, जिससे शरीर में भारीपन और मन में सुस्ती आ जाती है. कुछ पारंपरिक प्रथाओं में हर्बल शराब या मेडिकेटेड वाइन (असव-आरिष्ट) का सीमित मात्रा में सेवन शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने में मददगार होता है. जैसे- अश्वगंधारिष्ट, द्राक्षासव, अरिष्ट से बने काढ़े. इनका सेवन डॉक्टर या वैद्य की सलाह से किया जाता है और ये शराब नहीं बल्कि औषधीय द्रव्य होते हैं.
शराब या नशीले पदार्थों में सावधानी जरूरी
कुछ लोगों को मानसून में हॉट टॉडीय, वाइन या ब्रांडी जैसी चीजें लेने की आदत होती है. लेकिन एक्सपर्ट की मानें तो बारिश और ठंडक का बहाना बनाकर नशे की मात्रा बढ़ा देना बेहद खतरनाक हो सकता है. इससे शरीर की इम्यूनिटी गिरती है और मानसून में होने वाली बीमारियों जैसे वायरल, सर्दी-जुकाम या डायरिया का खतरा बढ़ जाता है.
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