Virat Kohli is Team India’s Amitabh Bachchan: विराट कोहली भले ही क्रिकेट मैदान से दूर हों, लेकिन उनकी चर्चा लगातार बनी हुई है. भारत या फिर कहें क्रिकेट के लिए उनका योगदान शानदार रहा है. भारत के पूर्व बल्लेबाजी कोच संजय बांगर ने विराट कोहली के जोशीले व्यक्तित्व की तुलना 1970 और 80 के दशक में अमिताभ बच्चन के एंग्री यंग मैन वाले किरदार से की है. बांगर का मानना है कि बल्लेबाज और कप्तान दोनों रूपों में कोहली का आक्रामक रवैया ठीक वही था जिसकी भारतीय क्रिकेट को संक्रमण काल में जरूरत थी. उनकी कप्तानी में भारत ने एक निडर और समझौता न करने वाला क्रिकेट अपनाया, जिसमें खुद कोहली उस तीव्रता का प्रतीक बने.
बांगर ने डीडी स्पोर्ट्स पर कहा, “विराट कोहली का स्वभाव ही ऐसा है थोड़ा बोल्ड, सीधे मुँह पर बोलने वाला और यही उनका स्वाभाविक चरित्र है. जब कुछ स्वाभाविक होता है, तो वह हमेशा सही लगता है. अमिताभ बच्चन की 1975 से 1980 के बीच की फिल्में क्यों चलीं? क्योंकि उस दौर में समाज में एंग्री यंग मैन का ख्याल गूंज रहा था और भारतीय समाज में गुस्सा भीतर कहीं सुलग रहा था.”
उन्होंने आगे कहा, “भारतीय क्रिकेट को आक्रामकता की जरूरत थी क्योंकि हमारे शानदार चार बल्लेबाज संन्यास ले चुके थे. कोहली को क्रिकेट को आगे बढ़ाना था और उन्होंने यह अपने अंदाज में किया. उन्होंने भारत की टेस्ट क्रिकेट खेलने की छवि पूरी तरह बदल दी.”
विराट और अमिताभ बच्चन में कैसी समानता
बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन की एंग्री यंग मैन छवि 1970 और 80 के दशक की उनकी उन फिल्मों की वजह से थीं, जो उस समय के युवाओं की भावनाओं से मेल खाती थीं. उस दौर में देश राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा था बेरोजगारी और भ्रष्टाचार बढ़ रहे थे और अमिताभ द्वारा चुने गए किरदार उस दौर के युवा वर्ग की हताशा और गुस्से की आवाज बन गए. इसी तरह, जब विराट कोहली ने भारतीय टीम की कप्तानी संभाली, तब टीम संक्रमण काल में थी. भारत के स्वर्णिम बल्लेबाजी युग के स्टार सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज संन्यास ले चुके थे. ऐसे समय में कोहली, चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे को मिलकर टीम में नई संस्कृति स्थापित करनी थी. उस समय टीम को नई ऊर्जा और आक्रामकता की जरूरत थी और कोहली ने वही किया.
नई संस्कृति की नींव
उन्होंने भारत की टेस्ट क्रिकेट में पूरी छवि बदल दी. 2014 से 2020 तक विराट ने भारत के लिए 68 टेस्ट मैचों में कप्तानी की. उनके नेतृत्व में भारत ने 40 टेस्ट मैच जीते, 17 में हार मिली, जबकि 11 मैच ड्रॉ रहे. 58.82 की जीत प्रतिशत के साथ वे भारत के सबसे सफल कप्तान रहे. 2014 में एडिलेड टेस्ट में पहले रेड-बॉल मैच में बतौर कप्तान ही उन्होंने इसकी झलक दिखाई थी, जब टीम ने आखिरी दिन मैच ड्रॉ कराने के बजाय जीत के लिए खेलना चुना. इंग्लैंड के खिलाफ 2021 में लॉर्ड्स में खेले गए मैच में उन्होंने अपने भाषण से टीम इंडिया को जीत दिलाई थी, जब उन्होंने कहा था कि अगले 60 ओवर हम उनके लिए नर्क बना देंगे और उन्होंने यह करके दिखाया था. यह साफ इशारा था कि कोहली किस तरह का क्रिकेट टीम में लाना चाहते थे. इसी ब्रांड ने उन्हें भारत का सबसे सफल टेस्ट कप्तान बनाया.
विराट कोहली का करियर और भविष्य की नजर
विराट कोहली ने 2024 टी20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद टी20आई क्रिकेट से संन्यास लिया. इसी साल इंग्लैंड सीरीज से पहले उन्होंने टेस्ट क्रिकेट को भी अलविदा कह दिया. उन्होंने अपने टेस्ट क्रिकेट करियर में 123 मैचों में 46.85 की औसत से 9230 रन बनाए, हालाँकि 2020 के बाद उनका प्रदर्शन गिरा और उन्होंने अंतिम 39 टेस्ट में औसतन केवल 30.73 रन बनाए. दो प्रारूपों से संन्यास लेने के बाद अब कोहली का ध्यान पूरी तरह 2027 वनडे वर्ल्ड कप पर है. उनकी अगली चुनौती अक्टूबर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाली तीन मैचों की वनडे सीरीज होगी. उससे पहले वह मुख्य दौरे से पहले इंडिया ए सीरीज में अभ्यास मैच खेल सकते हैं.
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