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बिदेसिया से नदिया के पार तक, भोजपुरी की इन क्लासिक फिल्मों के बिना अधूरी है इंडस्ट्री की पहचान


Classic Bhojpuri Movies: भोजपुरी सिनेमा ने हमेशा ही अपनी खास पहचान बनाई है. गांव की मिट्टी की खुशबू, रिश्तों की सच्चाई, भक्ति और संघर्ष की कहानियों से सजी भोजपुरी फिल्मों ने दर्शकों को गहराई तक छुआ है. अगर हम पीछे मुड़कर देखें, तो इस इंडस्ट्री ने कई ऐसी यादगार फिल्में दी हैं, जिन्हें लोग आज भी दिल से याद करते हैं. हर दौर में बनी फिल्मों ने अपने समय की सोच, समाज और संस्कृति को पर्दे पर उतारकर दर्शकों का दिल जीत लिया. आइए जानते हैं भोजपुरी सिनेमा की कुछ ऐसी बेहतरीन फिल्मों के बारे में, जिन्होंने इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया.

बिदेसिया (1963) 

भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत की बात करें, तो ‘बिदेसिया’ जैसी फिल्मों का नाम सबसे पहले आता है. एस. एन. त्रिपाठी की ओर से निर्देशित इस फिल्म ने भोजपुरी फिल्मों को नई पहचान दी. इसमें गांव की सादगी, आम आदमी का संघर्ष और लोकगीतों की मिठास दिखाई गई. यह फिल्म उस दौर की सामाजिक सच्चाई को पेश करती है और आज भी इसे क्लासिक माना जाता है.

गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो (1980) 

1980 में आई यह फिल्म भोजपुरी सिनेमा के लिए मील का पत्थर साबित हुई. फिल्म ने भक्ति और सांस्कृतिक पहचान को बखूबी दर्शाया. इसकी कहानी ने दर्शकों को आध्यात्मिकता और आस्था से जोड़ दिया. यह फिल्म भोजपुरी सिनेमा की अहम कड़ी मानी जाती है.

नदिया के पार (1982) 

भोजपुरी सिनेमा की सबसे यादगार फिल्मों में से एक ‘नदिया के पार’ है. 1982 में रिलीज हुई इस रोमांटिक ड्रामा ने दर्शकों के दिल में खास जगह बनाई. गांव की सादगी से भरी प्रेम कहानी ने लोगों को बहुत इंप्रेस किया कि यह फिल्म आज भी दर्शकों की फेवरेट लिस्ट में शामिल है.

साथी संगति (2003) 

लंबे समय तक भोजपुरी फिल्मों का जादू थोड़ा फीका पड़ा, लेकिन 2003 में आई ‘साथी संगति’ ने इंडस्ट्री को फिर से चमका दिया. इस फिल्म ने न सिर्फ दर्शकों को सिनेमाघरों की ओर खींचा, बल्कि यह साबित किया कि भोजपुरी सिनेमा में अभी भी दम है. यह फिल्म 2000 के दशक में इंडस्ट्री के पुनर्जागरण का बड़ा कारण बनी.

भोजपुरिया राजा (2004) 

2004 में रिलीज हुई ‘भोजपुरिया राजा’ ने भोजपुरी फिल्मों के लिए नए रास्ते खोले. एक्शन, ड्रामा और रोमांस से भरी इस फिल्म ने युवाओं और फैमिली दोनों को आकर्षित किया. यह फिल्म भोजपुरी सिनेमा को आधुनिक दर्शकों के बीच लोकप्रिय बनाने में बेहद सफल रही.

देवरा बड़ा सतावेला (2010) 

भोजपुरी फिल्मों की बात हो और सुपरस्टार रवि किशन का नाम न आए, ऐसा हो ही नहीं सकता. 2010 में रिलीज हुई ‘देवरा बड़ा सतावेला’ ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार सफलता पाई. इसके गाने सुपरहिट रहे और कहानी ने दर्शकों को खूब बांधे रखा. इस फिल्म ने साबित किया कि स्टार पावर और मजबूत कहानी का मेल दर्शकों को हमेशा पसंद आता है.

कब होई घर का (2012) 

2012 में आई ‘कब होई घर का’ एक कॉमेडी-ड्रामा फिल्म थी, जिसमें फैमिली रिश्तों और उनके बीच की चुनौतियों को बड़े ही हल्के-फुल्के अंदाज में दिखाया गया. दर्शकों ने इसे काफी पसंद किया और यह फिल्म साबित करती है कि कॉमेडी के साथ-साथ पारिवारिक कहानियां भी भोजपुरी सिनेमा की जान हैं.

बम बम बोल रहा है काशी (2016) 

2016 में आई इस फिल्म ने युवाओं और धार्मिक भावनाओं से जुड़े दर्शकों को खासा प्रभावित किया. ‘बम बम बोल रहा है काशी’ ने अध्यात्म और ड्रामा का ऐसा मेल पेश किया जिसने इसे भोजपुरी सिनेमा की हिट फिल्मों की लिस्ट में शामिल कर दिया.

संघर्ष (2019) 

हाल के सालों में बनी फिल्मों में ‘संघर्ष’ ने सबसे ज्यादा तारीफें बटोरीं. 2019 में रिलीज हुई इस फिल्म की दमदार कहानी और कलाकारों की बेहतरीन एक्टिंग ने इसे खास बना दिया. यह फिल्म समाज की सच्चाई और लोगों के संघर्ष को सामने लाती है, जिसकी वजह से इसे दर्शकों और आलोचकों दोनों से खूब सराहना मिली.

काशी अमरनाथ (2021) 

2021 में आई ‘काशी अमरनाथ’ भोजपुरी फिल्मों की उस परंपरा को आगे बढ़ाती है, जिसमें अध्यात्म और इमोशन्स का जबरदस्त संगम देखने को मिलता है. इस फिल्म ने दर्शकों का ध्यान खींचा और बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छा प्रदर्शन किया.

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