अभिनेता शरत सोनू ने साझा की अपनी जर्नी, कहा- किरदारों में कॉमेडी नहीं, रिएक्शन से पैदा होता है हास्य
Mandala Murders: दरभंगा जिले के अंदामा गांव से ताल्लुक रखने वाले अभिनेता शरत सोनू (Actor Sharat Sonu) आज हिंदी सिनेमा और वेब सीरीज इंडस्ट्री का एक जाना-पहचाना नाम हैं. पिछले दो दशकों से सक्रिय शरत ने अपने करियर की शुरुआत पटना व मुंबई में थिएटर से की. वे अपने सहज और आम आदमी वाले किरदारों के लिए जाने जाते हैं. वर्तमान में मंडला मर्डर्स में एसएचओ प्रमोद सहनी का हास्यप्रधान किरदार और मिट्टी- एक नयी पहचान में लोन एजेंट गिरधारी के किरदार को निभा चर्चा में हैं.

इसे लेकर उन्होंने कहा कि दर्शक किसी भी शैली में कॉमेडी पसंद करते हैं, लेकिन मैंने अपने किरदार में जानबूझकर कॉमेडी नहीं की. किरदार की प्रतिक्रियाओं और स्थितियों की वजह से हास्य पैदा होता है. वहीं, मिट्टी को लेकर बताया कि मैंने ऐसे कुछ रिकवरी एजेंट को बहुत करीब से देखा है, जो पैसे वापस न मिलने पर किसी भी हद तक जा सकते हैं. इस किरदार के लिए मैंने संदर्भ वहीं से लिया. अपनी इस यात्रा के बारे में अभिनेता ने खास बातें साझा कीं.
Q. थिएटर से लेकर हिंदी फिल्म और वेब सीरीज तक का आपका सफर कैसा रहा? कभी ऐसा लगा कि यह रास्ता बहुत मुश्किल है?
– थिएटर से लेकर अब तक का सफर बहुत उतार-चढ़ाव वाला रहा. सबसे ज्यादा दिक्कत सर्वाइव करने में आती है. मुंबई आने के बाद भी मैंने थिएटर करना जारी रखा. हां, यह रास्ता मुश्किल तो है, इसका अंदाजा मुझे शुरू से ही था.
Q. आपने पटना और मुंबई में लंबे समय तक थिएटर किया. इसने आपके अभिनय को कैसे निखारा?
– अभिनय में निखार और आत्मविश्वास थिएटर से ही आया है. जब हम लाइव दर्शकों के सामने परफॉर्म करते हैं तो उनका रिएक्शन तुरंत मिलता है. आप सचेत रहते हो. मुंबई आने के बाद भी मैंने इसे जारी रखा. एक किरदार पर हम महीनों काम करते हैं, उसे जीते हैं, जो मुझे फिल्मों और वेब सीरीज में बहुत काम आता है.
Q.‘मंडलामर्डर्स’ में एसएचओ व ‘मिट्टी- एक नयी पहचान’ में लोन रिकवरी एजेंट के किरदारों में क्या भिन्नता है?
– दोनों किरदार एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. गिरधारी अहंकारी और अतिआत्मविश्वासीहै. वह काम करता तो है, पर कुछ चीजें अपने इगो पर ले लेता है. प्रमोद ऐसा नहीं है. वह इसके बिल्कुल उलट है. वह बिना किसी पचड़े में पड़े चुपचाप अपना काम करता है और अच्छा दोस्त भी है.

Q. आप अपनी अभिनय शैली में सहजता और आम आदमी की छवि को कैसे बनाए रखते हैं? क्या इसके लिए कोई खास तरीका अपनाते हैं?
– कोई खास तरीका नहीं है. मैं किसी भी किरदार को उतना ही यथार्थवादी रखना चाहता हूं, जितना हम अपनी असल जिंदगी में होते हैं.
Q. लंबे समय से आप काम कर रहे हैं. आपकी नजर में एक कलाकार के लिए किस तरह के किरदार ज्यादा चुनौतीपूर्ण होते हैं?
– वे किरदार जो हम अपनी असल जिंदगी में नहीं हैं.
Q.ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रियलिस्टिक और आम आदमी की कहानियों को खूब जगह मिल रही है. क्या आप जैसे कलाकारों के लिए इसे एक बड़ा मौका मानते हैं?
– जी, हम जैसे छोटे शहर से आए लोगों के लिए ओटीटी एक वरदान जैसा है.
Q. भविष्य की योजनाओं के बारे में कुछ बताएं. बिहार को लेकर आपका क्या प्लान है?
– मैं चाहता हूं कि जैसे लखनऊ और भोपाल में हमेशा शूटिंग होती रहती है, वैसे ही बिहार में भी हो, ताकि हमारे लोकल कलाकारों को अपना हुनर दिखाने का मौका मिले. सब्सिडी तो शुरू हो चुकी है, लोग जा भी रहे हैं. आने वाले दिनों में बाकी जगहों की तरह बिहार में भी धड़ल्ले से शूटिंग हो.