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Son Of Sardar 2 Movie Review:टुकड़ों में फिल्म एंटरटेन करती है


फिल्म – सन ऑफ़ सरदार 2

निर्माता -देवगन फिल्म्स 

निर्देशक – विजय कुमार अरोड़ा

कलाकार – अजय देवगन,मृणाल ठाकुर,रवि किशन, दीपक डोब्रियाल, रोशनी वालिया ,कुब्रा सैत, मुकुल आनंद, चंकी पांडे,नीरू बाजवा और अन्य  

प्लेटफॉर्म -सिनेमाघर 

रेटिंग – ढाई 

son of sardar 2 movie review :सफल फिल्मों के सीक्वल को एक के बाद एक रिलीज करना बॉलीवुड का फार्मूला बन चुका है. अभिनेता अजय देवगन का इसमें कोई सानी नहीं है. उनकी पिछली फिल्म रेड 2 एक सीक्वल थी आज रिलीज हुई फिल्म सन ऑफ़ सरदार 2 भी सीक्वल है. यह बॉलीवुड की उन सीक्वल फिल्मों में से हैं, जिसमें किरदार का नाम जस्सी रंधावा है. बाकी पिछली फिल्म से कुछ लेना देना नहीं है.हां यह फिल्म भी बे सिर पैर की कॉमेडी है. फिल्म को देखते हुए अगर आप दिमाग नहीं लगाते हैं, तो टुकड़ों में ही सही यह फिल्म हंसाती है. फिल्म में समर्थ कलाकारों का भी साथ है.जिससे फिल्म एक बार देखी जा सकती है.

ये है फिल्म की कहानी

फिल्म की कहानी जस्सी रंधावा (अजय देवगन )की है.जिसकी पत्नी (नीरू बाजवा )शादी के बाद नौकरी के लिए यूके चली जाती है और बिना वीजा के जस्सी पंजाब में ही रह जाता है। दस साल के बाद उसकी पत्नी उसे यूके बुलाती है लेकिन वह उसे बताती है कि वह उससे अब डिवोर्स चाहती है. जस्सी टूट जाता है. यूके में उसकी मुलाक़ात पाकिस्तानी मूल की राबिया (मृणाल ठक्कर )से होती है। वह उसके परिवार से भी मिलता है. कहानी कुछ ऐसा मोड़ लेती है कि राबिया की सौतेली बेटी (रोशनी ) की शादी के लिए उसे राबिया का नकली कर्नल पति बनना पड़ता था. राबिया के ससुराल वाले संधू परिवार हैं,जिसके परिवार का क्राइम में इतिहास है, जिन्हें झूठ बर्दाश्त नहीं है. जस्सी का झूठ और नाटक क्या बच पायेगा. यही आगे कहानी है.

फिल्म की खूबियां और खामियां 

सन ऑफ़ सरदार फ्रेंचाइजी फिल्म है. यही एकमात्र पिछली फिल्म से कनेक्शन है और अजय देवगन का जस्सी वाला किरदार। फिल्म की शूटिंग और रिलीज जब एक साल में ही हो जाए तो आप समझ सकते हैं कि फिल्म में कितना काम किया गया है. कहानी बे सिर पैर वाली है. इस फिल्म में कहानी के नाम पर पंजाबी, शादी, एनआरआई ,एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर,कन्फ्यूजन सबकुछ  जोड़ा गया है. कॉमेडी के नाम पर फिल्म में भारत पाकिस्तान का एंगल रखा गया है और फिल्म में पाकिस्तान को कोसते हुए सीन हुए रखे गए हैं. टुकड़ों में फिल्म मनोरंजन करती है. बॉर्डर वाला सीन अच्छा बन पड़ा है. फिल्म कुछ सवालों के जवाब भी देना जरुरी नहीं समझती है. जस्सी का किरदार एक बार भी अपने जुड़वां बच्चों के बारे में पूछता तक नहीं है. तकनीकी पक्ष की बात करें तो फिल्म की एडिटिंग पर थोड़ा काम किया जा सकता है. खूबसूरत विदेशी लोकेशन पर फिल्म शूट हुई है.फिल्म का गीत संगीत कहानी के साथ न्याय करता है.

रवि किशन और दीपक डोब्रियाल का अभिनय धारदार 

अजय देवगन अपने किरदार के साथ न्याय करते हैं लेकिन इस फिल्म में अभिनय में बाजी रवि किशन मार ले जाते हैं. फिल्म में वह संजय दत्त की कमी को खलने नहीं देते हैं.दीपक डोब्रियाल की भी तारीफ़ बनती है. फिल्म में जिस तरह से उन्होंने अपने किरदार को जिया है.वह अपने किरदार को बॉडी लैंग्वेज और संवाद से प्रभावी बनाते हैं. मृणाल ठक्कर अपने किरदार के साथ न्याय करती हैं. वह हर तरह की भूमिका में फिट हैं. अपने अभिनय से वह साबित करती है. मुकुल देव को आखिरी बार परदे पर देखना अच्छा है.मुकुल और बिंदु की जोड़ी की जुगलबंदी अच्छी है.बाकी के किरदार अपने सीमित रोल में ठीक ठाक रहे हैं. उनके करने को कुछ खास नहीं था.संजय मिश्रा जैसे समर्थ कलाकार को वेस्ट किया गया है.