manushi chhillar :अभिनेत्री मानुषी छिल्लर इन दिनों राजकुमार राव की फिल्म ‘मालिक’ में नये अंदाज में नजर आ रही हैं. छोटे शहर की शालिनी की भूमिका कर वह खुश और संतुष्ट हैं, क्योंकि लोगों को लगता था कि वह सिर्फ ग्लैमरस रोल ही करना चाहती हैं. मानुषी को उम्मीद है कि इस फिल्म से इंडस्ट्री की सोच बदलेगी. उन्होंने फिल्म और अपने एक्टिंग करियर को लेकर खुलकर बात की है.
‘मालिक’ में आप छोटे शहर की हाउसवाइफ बनी हैं. इस किरदार को करना कितना मुश्किल रहा?
मैं हरियाणा से हूं और दिल्ली में पली-बढ़ी हूं. ऐसा नहीं है कि मैं ये जिंदगी नहीं देखी हूं. मैं रोहतक आती-जाती रही हूं. घर में काम करने वालीं महिलाओं व लड़कियों को करीब से देखा है. भाषा की बात करूं, तो हिंदी हमेशा से मेरी पहली भाषा रही है. यूपी, दिल्ली के पास है तो वहां की बोली सुनी तो थी, लेकिन कभी खुद बोली नहीं थी, इसलिए उसकी प्रैक्टिस करनी पड़ी. चूंकि यह एक रियल लाइफ किरदार था, इसलिए बॉडी लैंग्वेज पर भी खासा काम करना पड़ा.
फिल्म में आपके किरदार शालिनी के लुक पर कितना काम किया गया?
सच कहूं, तो लुक सेट करने में बहुत समय लगा. शुरुआत में हमें लगा था कि तीन घंटे में हम लुक सेट कर लेंगे, पर आठ से नौ घंटे हमें लुक तय करने में लग गए थे. मेरा स्किन टोन कैसा होगा. बाल कैसे होंगे.कपडे कैसे होंगे. इन सभी पर बहुत बारीकी के साथ काम किया गया. जो डीओपी दादा थे, वे कह रहे थे कि तुम्हें कम खूबसूरत दिखाना है. ये ट्रिकी है.इस पर काम करना होगा ताकि परदे पर तुम एकदम छोटे शहर की लड़की की तरह नजर आओ. मैं बोलती-वो आपका डिपार्टमेंट है. आप जानें. मैं एक्टिंग कर लूंगी.
फिल्म की शूटिंग रियल लोकेशन पर हुई है. शूटिंग की क्या चुनौतियां थीं?
रियल लोकेशन का माहौल और साउंड सेट पर नहीं मिलते. आप रियल लोकेशन पर पहुंचकर ही किरदार की तरह महसूस करने लगते हैं. हमारी शूटिंग लखनऊ के आसपास हुई. फुर्सत में आसपास की महिलाओं को देखती थी. उनकी चाल-ढाल को किरदार में ढालती थी. हालांकि, रियल लोकेशन की चुनौतियां भी थीं. बारिश के दिनों में रात के कुछ सीन शूट हुए हैं. ऐसे में जहां लाइट होती थी, वहां कीड़े आ जाते थे, जिससे ध्यान भटकता था. कभी-कभी पास में शादी का शोर व लाउड म्यूजिक बजता था. मगर फोकस बनाये रखना जरूरी होता था.
अपने फिल्मी करियर के शुरुआत में ही आपने बहुत उतार-चढ़ाव देखें हैं. आपका सपोर्ट सिस्टम क्या होता है?
मेरे लिए अच्छी बात ये थी कि मेरे पेरेंट्स बहुत सपोर्टिव हैं. मिस वर्ल्ड के कुछ महीने बाद ही यह तय हो गया था कि मैं फिल्मों में आ रही हूं. उन्होंने मुझे सपोर्ट करने के लिए दिल्ली से मुंबई आ गये. अपना पूरा काम शिफ्ट कर लिया. इससे अच्छा ये हुआ है कि काम के बाद मैं घर जाती हूं, तो वो लोग मेरे साथ होते हैं. आउटसाइडर के लिए इंडस्ट्री बहुत लोनली है. मैं लकी हूं कि मेरा परिवार मेरा पिलर बनकर यहां भी मौजूद है.
क्या आप काम के लिए निर्माता निर्देशक को अप्रोच करती हैं.
हां, करना पड़ता है. ‘मालिक’ के लिए भी मैंने ऑडिशन दिया था. चूंकि मुझे ऐसे रोल में किसी ने पहले नहीं देखा था, तो लोगों को लगा कि मैं इसमें नेचुरल नहीं रह पाऊंगी. निर्देशक पुलकित टेस्ट लेना चाहते थे, पर उसी दिन उनकी पत्नी को लेबर पेन शुरू हो गया, तो उन्होंने कहा कि खुद सीन शूट करके भेजो. मैंने घर के कपड़ों में मोबाइल से सीन शूट कर भेजा और उन्हें पसंद आ गया.
आने वाले प्रोजेक्ट के बारे में बताएं?
अब मेरी अगली फिल्म जॉन अब्राहम के साथ ‘तेहरान’ है.