फिल्म – कराटे किड -लेजेंड्स
निर्माता – सोनी पिक्चर्स
निर्देशक – जोनाथन एमथविसल
कलाकार -जैकी चेन, बेन वांग,मिंग नावेन,सैडी, राल्फ, जोशुआ और अन्य
प्लेटफार्म- सिनेमाघर
रेटिंग -ढाई
karate kid legends review: कराटे किड हॉलीवुड की पॉपुलर फ्रेंचाइजी है. 1984 में इसका पहला पार्ट बनाया गया था. आज इसके छठे पार्ट कराटे किड लेजेंड्स ने सिनेमाघरों में दस्तक दी है.40 से ज़्यादा सालों से कराटे किड फ़्रेंचाइज ने चार फिल्मों, एक स्पिन ऑफ और एक वेब सीरीज के साथ प्रशंसकों का मनोरंजन किया है. इस बार की फ्रेंचाइजी में जैकी चेन के साथ ओरिजिनल कराटे किड राल्फ मैकचियो भी हैं. इसके अलावा इस फ्रेंचाइजी के हिंदी संस्करण की खास बात अजय देवगन और युग देवगन की डबिंग है.इन तमाम फैक्टर्स के बावजूद फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले में नएपन की भारी कमी है.जिस वजह से यह फिल्म अपने शीर्षक की तरह लेजेंड्स नहीं बल्कि औसत फिल्म बनकर रह गयी है.
प्रेडिक्टेबल कहानी और स्क्रीनप्ले
कहानी की बात करें तो कराटे किड पार्ट 2 के मियागी से कहानी शुरू होती है. जो कुंगफू और कराटे के बीच गहरा सम्बन्ध बताते हैं और दोनों को एक ही पेड़ की दो शाखाएं करार देते हैं और कहानी बीजिंग यानी मौजूदा वक्त में पहुंचती है. हांग ( जैकी चेन )का एक कराटे स्कूल है. जहां वह बच्चों को कराटे का प्रशिक्षण दे रहे हैं. फांग (बेन वांग )वहां ट्रेनिंग कर रहा है लेकिन तभी उसकी मां (मिंग )आती है और बताती है कि उन्हें न्यूयॉर्क शिफ्ट होना है. उसकी मां कुंगफू की वजह से अपने एक बेटे को खो चुकी है. वह नयी शुरुआत के लिए न्यूयॉर्क जाना चाहती है. वह अपने बेटे फांग से वादा लेती है कि वह कूंगफू और लड़ाई से दूर रहेगा, लेकिन न्यूयॉर्क में मिया (सैंडी ) और उसके पिता विक्टर से उसकी दोस्ती होती है. जिनका पिज़्ज़ा का रेस्टोरेंट है. ये परिवार कर्जे में डूबा हुआ है. हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि इनकी मदद के लिए फांग को एक फाइट टूर्नामेंट में हिस्सा लेना पड़ता है क्योंकि इसमें विनर को ढेर सारी इनामी राशि मिलने वाली है. फांग की मदद के लिए गुरु हान के साथ -साथ कराटे गुरु मियागी के शिष्य राल्फ मचियों भी न्यूयॉर्क आते हैं क्योंकि फांग का मुकाबला बहुत ही आक्रामक चार बार के कराटे चैंपियन कानर (अरामिस नाईट ) से है.किस तरह वह प्रशिक्षण कर कानर को फाइट देता है. यही आगे की कहानी है.
फिल्म की खूबियां और खामियां
फिल्म में कराटे किड की पिछली फिल्मों, कोबरा काई के पुराने सीन्स और किरदार लिए गए हैं ,लेकिन अगर आपने इनको नहीं भी देखा है तो भी यह आपको फिल्म देखते हुए ज्यादा फर्क नहीं देता है.आप इसे नयी फिल्म की तरह देख सकते हैं. फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले की बात करें तो यह पहले दृश्य से लेकर आखिर तक प्रेडिक्टेबल है.दरअसल इस फ्रेंचाइजी की फिल्म की कहानी एक जैसी होती है.यहाँ भी वही मामला है. एक लड़की है , जिसके प्यार में हीरो पड़ जाता है,लेकिन मालूम पड़ता है कि कोई और भी लड़की का चाहने वाला है. वो भी कोई ऐसा वैसा नहीं बल्कि कराटे में हीरो से ज्यादा टैलेंटेड हैं. फिर कहानी को ऐसे मोड़ पर लाया जाता है.जहां हीरो को एक बड़े टूर्नामेंट में उससे भिड़ना पड़ेगा और चुनौती ये होती है कि प्रशिक्षण के लिए उसके पास वक़्त भी कम होता है.इस बार फिल्म में लगभग यही कहानी परदे पर आयी है.बस इस बार कुंग फू और कराटे के दो गुरुओं को कहानी में जोड़ा गया है.राल्फ मैकियो के किरदार आधा अधूरा सा है. गुरु हांग और शिष्य फांग के बीच वह बॉन्डिंग मिसिंग लगती है, जो उन्हें बीजिंग से न्यूयॉर्क ले आये. चैंपियनशिप की जर्नी में भी उतार -चढ़ाव की कमी खलती है.फाइव बोरो टूर्नामेंट के बारे में विस्तार से दिखाया नहीं गया है. कानर और उसके ट्रेनर पर भी थोड़ा और फोकस करना था. हमेशा की तरह आइकॉनिक मूव्स एक्शन का हिस्सा है,लेकिन ऐसा कोई भी एक्शन सीक्वेंस नहीं बन पाया है, जो रोमांच को एक लेवल ऊपर ले जा पाए. फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा है. फिल्म का रनटाइम मात्र डेढ़ घंटे का है.
सभी का अभिनय सधा हुआ
अभिनय के मामले में युवा अभिनेता बेन वोंग फिल्म में अपनी छाप छोड़ते हैं.जैकी चेन को देखना हमेशा ही एक खास अनुभव होता है. ऊपर से अगर उनके एक्शन दृश्य हो तो क्या कहने. इस फिल्म में भी उनके फाइटिंग मूव्स हैं. राल्फ और उनके बीच की केमिस्ट्री अच्छी बन पड़ी हैं.सैंडी प्यारी लगी हैं तो जोशुआ सहित बाकी के कलाकारों ने भी अपनी -अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है.इस फिल्म के भारतीय कनेक्शन की बात करें तो जैकी चेन को अजय देवगन ने आवाज दी है, जब उनके बेटे युग वांग की आवाज बने हैं. अजय जैकी चेन की आवाज बनकर छाप छोड़ते हैं, पहले फिल्म के मुकाबले युग की भी कोशिश अच्छी है.