EBM News Hindi
Leading News Portal in Hindi

मनोज कुमार के भारत कुमार बनने की कहानी



Manoj Kumar : हिंदी सिनेमा के भारत यानी मनोज कुमार ने आज सुबह दुनिया को अलविदा की दिया. रुपहले परदे पर भारत नाम से मशहूर अभिनेता मनोज कुमार भारत की आजादी यानी 15 अगस्त, 1947 से लगभग एक दशक पहले 24 जुलाई, 1937 को ब्रिटिश शासित हिंदुस्तान के एटबाबाद, जो अब पाकिस्तान में है, में जन्मे थे. विभाजन के बाद मनोज कुमार का परिवार एटबाबाद से राजस्थान के हनुमानगढ़ आ गया. दिल्ली के हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद मनोज कुमार फिल्मों में काम करने का इरादा लेकर मुंबई आ गये. उनकी पहली फिल्म थी 1957 में बनी ‘फैशन, लेकिन बतौर अभिनेता उनके अभिनय की शुरुआत हुई वर्ष 1960 में बनी ‘कांच की गुड़िया’ से. इसके बाद उन्होंने ‘पिया मिलन की प्यास’और ‘रेशमी रुमाल’फिल्म में काम किया, लेकिन उन्हें पहचान मिली ‘हरियाली और रास्ता’से. इसके बाद उन्होंने ‘हिमालय की गोद में, ‘शहीद, ‘उपकार’,‘पूरब और पश्चिम ,‘रोटी, कपड़ा और मकान’,‘शोर’ तथा ‘क्रांति’जैसी सुपरहिट फिल्मों में यादगार अभिनय किया.

हरिकिशन गोस्वामी से बने मनोज कुमार, भारत कुमार के रूप हासिल की लोकप्रियता

मनोज कुमार के भारत कुमार कहलाने के पीछे उनके वो किरदार हैं, जिन्हें भारत नाम से अपनी कई फिल्मों में उन्होंने बार-बार निभाया. अपनी सभी सुपरहिट फिल्मों, जैसे ‘उपकार, ‘क्रांति, ‘पूरब और पश्चिम, ‘रोटी कपड़ा और मकान’और ‘क्लर्क’में उनके किरदार का नाम भारत ही था. इस तरह वह दर्शकों के भारत कुमार बन गये. मनोज कुमार का वास्तविक नाम हरिकिशन गोस्वामी है. दरअसल, ‘शबनम’ फिल्म में दिलीप कुमार के किरदार से प्रभावति होकर उन्होंने अपना नाम मनोज कुमार रख लिया था. मनोज कुमार ने न सिर्फ देश, देश की धरती से प्रेम को दर्शाने वाली फिल्मों में अभिनय किया, ऐसी कई फिल्मों के निर्माता और निर्देशक की भूमिका भी निभाई. ऐसी ही एक फिल्म थी ‘उपकार’. इस फिल्म की रिलीज के वक्त मनोज कुमार ने कहा था कि सिनेमा के परदे पर ‘उपकार’ सोलह हजार फीट का तिरंगा झंडा है. यह फिल्म पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री द्वारा दिये गये ‘जय जवान, जय किसान’ नारे पर आधारित थी.

स्तंत्रता दिवस पर गूंज उठते हैं मनोज कुमार की फिल्मों के गीत

स्वतंत्रता दिवस हो या गणतंत्र दिवस, ऐसे मौके पर टीवी, रेडियो से लेकर स्कूलों और गली मोहल्लों तक में सुनाई देनेवाले आजादी के गीतों पर ध्यान दें, तो अधिकतर गीतों में मनोज कुमार मिलते हैं. इनमें उनकी 1965 में आई फिल्म ‘शहीद’ के तीन गीत ‘ए वतन, ए वतन, ए वतन हमको तेरी कसम’, ‘ओ मेरा रंग दे बसंती चोला’, ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है’ खासतौर पर शामिल हैं. इनके अलावा 1967 आई ‘उपकार’ फिल्म का गीत ‘मेरे देश की धरती सोना उगले’, वर्ष 1981 बनी ‘क्रांति’ का ‘अबके बरस तुझे धरती की रानी कर देंगे’, वर्ष 1970 में आइ ‘पूरब और पश्चिम’ का ‘है प्रीत जहां की रीत सदा, मैं गीत वहीं के गाता हूं’ जैसे गीत भी ऐसे मौकों पर खूब बजाये जाते हैं. मनोज कुमार ने देशभक्ति से भरी फिल्मों के साथ-साथ प्रेम कहानियों को दर्शाने वाली फिल्में भी खूब की हैं. उन पर फिल्माये गये प्रेम गीत भी खूब लोकप्रिय हुए. इस कड़ी में ‘महबूब मेरे, महबूब मेरे, तू है तो दुनिया कितनी हंसी है’, ‘पत्थर के सनम तुझे हमने मोहब्बत का खुदा माना’, ‘बोल मेरी तकदीर में क्या है’, ‘कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे’, ‘चांद सी महबूबा होगी’, ‘तेरी याद दिल से भुलाने चला हूं’,‘जिंदगी की न टूटे लड़ी, ‘एक प्यार का नगमा है’ समेत कई यादगार गीत शामिल हैं.

दादा साहब फाल्के अवॉर्ड समेत हासिल किये कई पुरस्कार

मनोज कुमार का फिल्मी सफर जितना बड़ा है, उन्हें मिले पुरस्कारों की सूची भी उतनी ही लंबी है. वर्ष 2016 में उन्हें हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े पुरस्कार दादा साहब फाल्के अवाॅर्ड से नवाजा गया. मनोज कुमार ने अपने फिल्म करियर में सात फिल्मफेयर पुरस्कार हासिल किये. वर्ष 1968 में फिल्म ‘उपकार’ के लिए बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट स्टोरी और बेस्ट डायलॉग का फिल्मफेयर अवाॅर्ड प्राप्त किया. फिल्म ‘बे-ईमान’के लिए 1972 में बेस्ट एक्टर के फिल्मफेयर अवाॅर्ड से नवाजे गये. इसी साल फिल्म शोर के लिए बेस्ट एडिटिंग एवं 1975 में फिल्म ‘रोटी कपडा मकान’ के लिए ‘बेस्ट डायरेक्टर’ का फिल्मफेयर अवाॅर्ड मिला था. साल 1999 में फिल्मफेयर ने उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया. इसके अलावा वे पद्मा श्री से भी सम्मानित किये जा चुके हैं.

यह भी देखें : Manoj Kumar की पहली सैलरी कितनी थी? जिस फिल्म के लिए भारत कुमार ने बेचा था बंगला, उसने तोड़े थे कमाई के सारे रिकॉर्ड