लॉकडाउन की परीक्षा की कठिन घड़ी में संयम और अनुशासन से हम सब मिलकर कोरोना को हराएंगे
बीते सप्ताह एक दिन के जनता कर्फ्यू के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन का एलान किया वह अनिवार्य हो गया था। इस लॉकडाउन की आवश्यकता तभी महसूस होने लगी थी जब जनता कफ्र्यू जारी था। वैसे तो इस जनता कर्फ्यू के दौरान देश की जनता ने अभूतपूर्व संयम और एकजुटता का परिचय दिया, लेकिन कुछ स्थानों पर लोगों ने लापहरवाही भी दिखाई। इसी कारण देश के करीब 80 जिलों में लॉकडाउन करना पड़ा।
इस दौरान भी कई लोग सोशल डिस्टेंसिंग यानी एक-दूसरे से शारीरिक दूरी बरतने के प्रति लापरवाह दिखे। इसके अगले दिन प्रधानमंत्री जब एक बार फिर देश को संबोधित करने आए तो उन्होंने इस लापरवाही पर क्षोभ व्यक्त किया और इसी के साथ 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा करते हुए लोगों को समझाया और यह कहकर चेताया भी कि हर किसी को अपने घर पर रहते हुए एक लक्ष्मण रेखा खींचनी है, अन्यथा वायरस के घर के भीतर प्रवेश कर जाने का खतरा है। चूंकि यह खतरा वास्तविक है इसलिए कोई कुछ भी कहे, 21 दिन का लॉकडाउन जरूरी हो गया था।
यूरोपीय देशों और अमेरिका में कोरोना वायरस का संक्रमण जिस तेजी से बढ़ता जा रहा है उससे हमें सबक लेने की सख्त जरूरत है, लेकिन यह देखने में आ रहा है कि लॉकडाउन के दौरान कई लोग अपेक्षित संयम दिखाने से इन्कार कर रहे हैं। कोई अपनी जरूरत का सामान लेने के बहाने बाहर निकल रहा है तो कोई बेवजह घरों से बाहर आ रहा है।