कोरोना का सामुदायिक संक्रमण रोकने के लिए श्वसन रोगियों की रैंडम जांच, एक हजार से ज्यादा लिए गए सैंपल
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के सामुदायिक संक्रमण का पता लगाने और रोकने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इंफ्लूएंजा और न्यूमोनिया जैसे श्वसन रोगों से पीडि़त ऐसे लोगों का रैंडम परीक्षण शुरू किया है जो विदेश नहीं गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि वे घबराएं नहीं क्योंकि अभी तक कोरोना वायरस के सामुदायिक संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है। अभी तक सिर्फ स्थानीय संक्रमण के मामले ही देखे गए हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अधिकारियों के मुताबिक, इंफ्लूएंजा और तीव्र एवं गंभीर श्वसन रोगों से पीडि़त निजी व विभिन्न अस्पतालों में भर्ती मरीजों के करीब 1,040 सैंपल एकत्रित किए गए हैं। ज्यादातर में यह जांचा गया है कि बिना विदेश गए कहीं वे कोरोना वायरस से संक्रमित तो नहीं हुए हैं। अभी तक कोई भी सैंपल कोरोना वायरस पॉजिटिव नहीं पाया गया है। हालांकि जांच के अंतिम परिणाम की घोषणा बुधवार को की जाएगी।
जिनमें दिखाई दिए लक्षण उनके हो रहे टेस्ट
वर्तमान परीक्षण प्रोटोकाल के मुताबिक अभी तक सिर्फ वही लोग इस वायरस से संक्रमित मिले हैं जिन्होंने इससे प्रभावित देशों की यात्रा की है और जो उन लोगों के संपर्क में आए थे जो कोरोना वायरस पॉजिटिव थे। ऐसे लोगों को 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन में जाने के लिए कहा गया। जिनमें संक्रमण के लक्षण दिखाई दिए हैं उनका टेस्ट किया जा रहा है।
आइसीएमआर अधिकारियों ने बताया कि इस वायरस संक्रमण की चार स्टेज हैं। पहली- आयातित मामले, दूसरी- स्थानीय प्रसार (जो अभी दिखाई दे रहा है), तीसरी- सामुदायिक प्रसार और चौथी- महामारी।
सरकार सैंपल्स की जांच के लिए 52 प्रयोगशालाओं का संचालन कर रही है जबकि सैंपल एकत्रित करने में मदद करने के लिए 57 प्रयोगशालाओं को नामित किया है। अधिकारियों का कहना है कि कोरोना वायरस से निपटने के भारत के प्रयास विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की गाइडलाइंस के मुताबिक हैं और उनका फोकस इसकी रोकथाम पर है।