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महावत को नहीं मिली हथिनी लक्ष्मी, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इन्कार किया

नई दिल्ली। 26 वर्षीय महावत हथिनी लक्ष्मी का संरक्षण पाने में विफल रहा। सुप्रीम कोर्ट ने उसकी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया। महावत ने हथिनी को गैरकानूनी हिरासत से रिहा करने की मांग की थी। शीर्ष अदालत ने पूछा कि क्या हाथी भी भारत के नागरिक हैं? कुछ महीने पहले लक्ष्मी सुर्खियों में आई थी। दिल्ली पुलिस द्वारा बचाने और सुरक्षा में पहुंचाने से पहले हथिनी लापता हो गई थी।

47 वर्षीया लक्ष्मी के महावत सद्दाम ने अपनी याचिका में हाथी पुनर्वास केंद्र से उसे मुक्त करने और दिल्ली लाने का निर्देश देने की मांग की थी। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस बात पर हैरानी जताई कि एक हाथी के लिए कैसे बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई की जा सकती है। सुनवाई कर रही पीठ में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल थे। पीठ ने पूछा, ‘क्या हाथी भी भारत के नागरिक हैं?’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि पशु (हाथी) पुनर्वास केंद्र में है तो याची को उसका संरक्षण पाने के लिए कुछ दस्तावेज पेश करने होंगे। महावत के वकील विल्स मैथ्यू ने इसके बाद याचिका वापस ले ली। हालांकि उन्होंने हाई कोर्ट से संपर्क करने की स्वतंत्रता मांगी।