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अलर्ट! दिल्ली पहुंची ज्वालामुखी फटने से निकली राख, DGCA ने जारी की एडवाइजरी, कैंसिल की गईं फ्लाइट्स


Ethiopian Volcano Ash Update: 10000 साल बाद फटे इथोपिया के ज्वालामुखी हेली गुब्बी से निकाली राख दिल्ली तक पहुंच गई है. बीती रात ज्वालामुखी के बादल पश्चिम भारत से होते हुए उत्तर भारत तक पहुंचे और गुजरात में एंटर हुए. यहां से बादल दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र की तरफ जाएंगे. हिमाचल प्रदेश समेत तीनों पहाड़ी राज्यों में भी बादल छा सकते हैं. हालातों को देखते हुए डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने एयरलाइंस के लिए एडवाइजरी जारी कर दी है.

हवा की क्वालिटी और मौसम प्रभावित होगा

DGCA ने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि दिल्ली पहुंचने के बाद राख से हवा की क्वालिटी और मौसम की प्रभावित हो सकता है, इसलिए सभी एयरलाइंस सतर्क रहें. ज्वालामुखी की राख जितनी ऊंचाई पर उड़ रही है, वहां तक जाने से बचें, अन्यथा अनहोनी होने का खतरा बढ़ सकता है. सभी एयरलाइन अपने पायलटों और क्रू मेंबर्स को आदेश दें कि वे जहां भी ज्वालामुखी की राख देखें, तुरंत सूचित करें. दुर्गंध तक महसूस हो तो बताएं और उसी समय फ्लाइट को नीचे की तरफ ले आएं.

एयरलाइन ने रद्द की दिल्ली आ रही फ्लाइट

ज्यादा दिक्कत होने पर आस-पास के एयरपोर्ट पर लैंडिंग कर सकते हैं. एयरलाइन चाहें तो ज्वालामुखी की राख वाले रास्ते में उड़ने वाली फ्लाइट कैंसिल कर सकते हैं. राख के बादल होने के कारण KLM रॉयल डच एयरलाइंस ने एम्स्टर्डम से दिल्ली आने वाली अपनी फ्लाइट केएल 871 और की फ्लाइट केएल 872 रद्द कर दी है. एयरलाइंस मध्य पूर्व के देशों से आने वाले यात्रियों को भी चेतावनी जारी कर दें कि अगर ज्वालामुखी की राख रास्ते में हुई तो फ्लाइट कैंसिल हो सकती है तो सहयोग करें.

राख के बादलों की स्पीड 130 किलोमीटर

मौसम विभाग के अनुसार, ज्वालामुखी की राख रात करीब 11 बजे दिल्ली पहुंची. राख के बादल लाल सागर को पार करते हुए लगभग 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भारत की ओर बढ़े. 15000 से लेकर 45000 फीट की ऊंचाई तक राख के बादल फैले हुए हैं और इसमें राख के साथ सल्फर-डाई-ऑक्साइड, कांच और चट्टानों के टुकड़े हैं. राख के कारण आसमान सामान्य से ज्यादा काला और धुंधला दिखाई देगा, जिससे आसमान में उड़ रही कोई भी चीज नजर नहीं आएगी.

10000 साल बाद अचानक फटा हेली गुब्बी

बता दें कि इथोपिया का हेली गुब्बी ज्वालामुखी करीब 10000 साल बाद 23 नवंबर 2025 दिन रविवार की सुबह फटा, जिससे करीब 9 मील ऊंचा राख का बादल उठा. यही बादल लाल सागर को पार करके यमन, ओमान, भारत और पाकिस्तान पहुंची है. वहीं ज्वालामुखी की तलहटी में बसा गांव अफदेरा तबाह हो गया है. राख की मोटी परत के नीचे दब गया है. ज्वालामुखी इथोपिया के उत्तर-पूर्वी अफार क्षेत्र में एडिस अबाबा से लगभग 800 किलोमीटर उत्तर-पूर्व दिशा में है. ज्वालामुखी एरिट्रिया की सीमा के पास दानाकिल डिप्रेशन में है, जहां 3 टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में टकराती हैं.