फिर दिल्ली के बादलों में होगी क्लाउड साइडिंग, मेरठ में तैयार खड़ा है विमान, IIT कानपुर के डायरेक्टर का बड़ा बयान
दिल्ली में कृत्रिम बारिश की प्रक्रिया फेल होने के बाद विवाद खड़ा हो गया. राजनीतिक दलों ने दिल्ली सरकार पर तीखा हमला बोला और इसे एक घोटाला करार दिया है. हालांकि IIT कानपुर के डायरेक्टर ने इस मामले को लेकर बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि हमने कल कोशिश की थी लेकिन दुर्भाग्य से बारिश नहीं हो पाई क्योंकि बादलों में नमी की मात्रा 15% के आसपास थी. फिर हमने सोचा कि आज हम यह कोशिश करेंगे, हमें उम्मीद थी कि आज हमें बेहतर नमी मिलेगी लेकिन आज सुबह हमें पता चला कि आज नमी की मात्रा और भी कम है. इसलिए, हमने इसे स्थगित करने और तब तक इंतज़ार करने का फैसला किया जब तक हमें उचित नमी वाले बादल न मिल जाएं.
आईआईटी कानपुर के निदेशक मनिंद्र अग्रवाल ने कहा कई जब हमें बेहतर नमी मिल जाएगी तब हम क्लाउड सीडिंग करेंगे. इसके लिए कम से कम 40-50% नमी की आवश्यकता होती है. हमें अगले 4-5 दिनों में बादल छाने की उम्मीद है और हमने मेरठ में विमान तैयार रखे हैं ताकि कम समय में हम उड़ान भर सकें. यह दिल्ली के पूर्वी और उत्तरी हिस्सों में ही होगा. हवाई अड्डे की वजह से हम पश्चिम या दक्षिण नहीं जा सकते और वीआईपी क्षेत्र होने की वजह से हम मध्य क्षेत्र में भी नहीं जा सकते.
उन्होंने कहा कि यह हवा की गति और हवा बादलों को किस दिशा में ले जा रही है, इस पर भी निर्भर करता है. मैं लोगों की निराशा समझ सकता हूं क्योंकि वे बारिश की उम्मीद कर रहे थे. मैं बस इतना कह सकता हूं कि हम कोशिश करते रहेंगे और हमें उम्मीद है कि अच्छे बादल छाएंगे और हम बारिश करा पाएंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि चुनौतियां लगभग हल हो चुकी हैं, यानी जरूरी अनुमतियां मिलना. NCR क्षेत्र में यह एक बहुत बड़ा काम है क्योंकि दिल्ली में बहुत सक्रिय हवाई अड्डे हैं, बहुत सारे विमान आते-जाते रहते हैं. आप उनके उड़ान मार्ग में नहीं आ सकते. वहां एक बड़ा वीआईपी क्षेत्र है. आप उसके ऊपर से उड़ान नहीं भर सकते. बहुत सारी पाबंदियां हैं.
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IIT कानपुर के डायरेक्टर ने कहा कि इसके बावजूद हमें अनुमति मिल गई और मैं दिल्ली सरकार, खासकर मंत्री सिरसा जी की सराहना करना चाहूंगा, जिन्होंने व्यक्तिगत रुचि ली और हमारे लिए सभी मंजूरियां हासिल कीं. अब बस अच्छे बादल छाने का इंतजार है और फिर हम सीडिंग करेंगे. हमें सीडिंग या लगभग 8-9 परीक्षणों के लिए लगभग 3.4 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं इसलिए हम यह काम जारी रखेंगे. हमारे पास पैसा है जिसका इस्तेमाल हम इस काम के लिए कर सकते हैं.