NCR Artificial Rain: राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए मंगलवार को आईआईटी कानपुर की टीम ने सेसना एयरक्राफ्ट के जरिए क्लाउड सीडिंग का दूसरा ट्रायल किया. यह विमान मेरठ की दिशा से दिल्ली में दाखिल हुआ. इस दौरान खेकरा, बुराड़ी, नॉर्थ करोल बाग और मयूर विहार क्षेत्रों को कवर किया गया. क्लाउड सीडिंग में 8 फ्लेयर का इस्तेमाल किया गया. जिनका वजन प्रति फ्लेयर 2 से 2.5 किलो था. इन फ्लेयरों के जरिए बादलों में विशेष सामग्री छोड़ी गई. उस समय बादलों में 15-20 प्रतिशत आर्द्रता थी. यह प्रक्रिया लगभग आधे घंटे तक चली और इस दौरान एक फ्लेयर करीब 2 से 2.5 मिनट तक सक्रिय रहा.
क्या है क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया?
क्लाउड सीडिंग एक मौसम संशोधन तकनीक (Weather Modification Technique) है. जिसमें बादलों में कुछ विशेष पदार्थ (Salts) छोड़े जाते हैं, ताकि वर्षा को बढ़ाया जा सके. सबसे पहले मौसम विश्लेषण के माध्यम से उपयुक्त बादलों की पहचान की जाती है. इसके बाद विमान या जमीन आधारित जनरेटर से सीडिंग एजेंट्स (Seeding Agents) बादलों में छोड़े जाते हैं. ये कण बादलों में बड़े जलकण बनने में मदद करते हैं, जिससे बारिश बढ़ती है. इस प्रक्रिया में सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड, ड्राई आइस (Solid Carbon Dioxide) रसायन का प्रयोग किया जाएगा. इस प्रक्रिया में ये लवण (Salts) बादलों में अतिरिक्त Nuclei प्रदान करते हैं. जिनके चारों ओर जलकण बनते हैं और वर्षा की संभावना बढ़ती है.
क्लाउड सीडिंग के लिए कैसी होनी चाहिए परिस्थितियां?
क्लाउड सीडिंग करने के लिए सभी तरह के बादल उपयुक्त नहीं होते. इस प्रक्रिया के लिए बादल पर्याप्त गहराई वाले और -10°C से -12°C तापमान वाले होने चाहिए. जहां कृत्रिम बारिश कराने का लक्ष्य क्षेत्र है उस क्षेत्र का कम से कम 50% हिस्सा बादलों से ढका होना चाहिए. वहीं हवा की गति बहुत तेज नहीं होनी चाहिए. अगर सापेक्ष आर्द्रता 75% से कम है तो क्लाउड सीडिंग प्रभावी नहीं रहती. बादल इतने ठंडे होने चाहिए कि उनमें सुपरकूल्ड लिक्विड वॉटर मौजूद हो.
मंजिन्दर सिरसा, पर्यावरण मंत्री दिल्ली सरकार
वहीं मंगलवार को दिल्ली में की गई क्लाउड सीडिंग के बाद दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मंजिन्दर सिरसा ने कहा कि दिल्ली में कृत्रिम बारिश का तीसरा ट्रायल था. हम हर तरीके के ट्रायल कर रहे हैं. बादलो में कम से कम नमी में बारिश कराना हमारे लिए चुनौती हैं. इससे पहले के ट्रायल में बादलो में 15 से 20 फीसदीं नमी थी. मंगलवार को पूर्वी और उत्तर पूर्वी दिल्ली में ट्रायल हुआ हैं. पहले 8 flares चलाये गए, एक flare 2 से 2.5 मिनट तक चलता है और इसका वजन 1 से 2.5 किलो का होता हैं. ये लगभग 15 से 20 मिनट की प्रक्रिया होती हैं. अब थोड़ी ही देर में IIT कानपुर की तरफ से रिपोर्ट आएगी की क्या दिल्ली का AQI कम हुआ हैं.