दिल्ली में कुचिपुड़ी नृत्य नाटिका में नृत्यांगना अरुणिमा कुमार ने दिखाया ‘समर्पण’, भव्य प्रस्तुति से मंत्रमुग्ध हुए दर्शक
आज दिल्ली के हैबिटेट सेंटर में प्रसिद्ध कुचिपुड़ी नृत्यांगना अरुणिमा कुमार और उनके शिष्यों द्वारा कुचिपुड़ी नृत्य नाटिका “समर्पण” का भव्य प्रदर्शन किया गया. इस कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला, सुधा मूर्ति, ब्रिटेन हाई कमीशन के प्रतिनिधि और BAG Films की सीएमडी अनुराधा प्रसाद मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थीं.
लॉर्ड कृष्णा, लार्ड शिवा और मां शक्ति पर आधारित कुचिपुड़ी नाटिका प्रस्तुत की
अरुणिमा कुमार, जो कि भारत में जन्मी हैं, कुचिपुड़ी नृत्य में माहिर होने के साथ-साथ अपनी डांस कंपनी AKDC (अरुणिमा कुमार डांस कंपनी)भी चलाती हैं. उन्होंने और उनके शिष्यों ने आज के कार्यक्रम में लॉर्ड कृष्णा, लार्ड शिवा और मां शक्ति पर आधारित कुचिपुड़ी नृत्य नाटिका प्रस्तुत की. इस प्रस्तुति में भारतीय शिष्यों के साथ कई विदेशी छात्रों ने भी हिस्सा लिया, जिससे यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय रंग भी ले गया.
गुरु अरुणिमा कुमार का योगदान और अंतरराष्ट्रीय पहचान
गुरु अरुणिमा कुमार ने भारत के अलावा विदेशों में भी अपनी अकादमी खोली है, जिसमें विदेशी छात्र कुचिपुड़ी नृत्य सीख रहे हैं. उनके योगदान को देखते हुए उन्हें किंग चार्ल्स तृतीय द्वारा मानद ब्रिटिश साम्राज्य पदक (BEM) से सम्मानित किया गया. वे पहली कुचिपुड़ी नृत्यांगना बनीं है, जिन्होंने यह प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त किया है.
AKDC के माध्यम से अरुणिमा कुमार ने यूके, भारत और पोलैंड में 4 से 50 साल तक के कई छात्रों को प्रशिक्षित किया है. उनका काम केवल कुचिपुड़ी की परंपरा को संरक्षित करना ही नहीं बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाना भी है.

मुख्य अतिथियों की प्रतिक्रियाएं
राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने गुरु अरुणिमा कुमार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनका नाम पद्मभूषण के लिए प्रस्तावित किया जाना चाहिए. वहीं, सुधा मूर्ति ने प्रस्तुतियों को बेहद खूबसूरती और अनुशासन के साथ प्रदर्शित होने पर जोरदार तारीफ की.


क्या बोलीं गुरु अरुणिमा कुमार?
गुरु अरुणिमा कुमार ने न्यूज 24 से बातचीत में कहा कि वे कुचिपुड़ी नृत्य परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए वर्षों से मेहनत कर रही हैं और सरकार को भी इस परंपरा के प्रोत्साहन के लिए सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए. आज की इस भव्य प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और साबित किया कि कुचिपुड़ी नृत्य केवल एक कला नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का जीवंत प्रतीक है.
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