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फाइव स्टार होटल में पालथी मारकर डिनर कर रही थी महिला, मैनेजर के टोकने पर छीड़ी बहस, वायरल हुआ वीडियो


Viral Video Of Taj Hotel: सोशल मीडिया पर इन दिनों ताज होटल का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक महिला यह दावा कर रही है कि होटल मैनेजर ने उसे डिनर टेबल पर पालथी मारकर बैठने के लिए टोका है. महिला का कहना है कि वह मेहनत से कमाए पैसों से होटल में डिनर करने आई थी, लेकिन एक सरल और स्वाभाविक मुद्रा में बैठ कर खाना खाने पर उसे अपमानित महसूस कराया गया, वो भी इतने बड़े होटल में.

महिला ने वीडियो में क्या कहा?

दरअसल, इस महिला का नाम श्रृद्धा शर्मा है जिसने अपने एक्स और इंस्टाग्राम अकाउंट पर वीडियो शेयर किया है. उन्होंने कहा कि क्या मेरी गलती सिर्फ इतनी है कि मैं पालथी मारकर बैठी हूं? मैंने किसी को परेशान नहीं किया, सिर्फ आराम से बैठी थी. उनका यह वीडियों काफी यूजर्स तक पहुंच गया है और इसको लेकर अब एक नई बहस छिड़ गई है.

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पालथी मारकर बैठने पर मैनेजर ने टोका

बता दें कि बड़े और फाइव स्टार होटलों में खाना खाने के कुछ नियम होते हैं जो काफी पुराने है. जैसे कि कैसे कपड़े पहनने हैं, कैसा बिहेवियर रखना है और ये भी कि आपको वहां कैसे बैठकर खाना खाना है. श्रृद्धा जो पालथी मारकर कुर्सी पर बैठी थी और खाना खा रही थी होटल के मैनेजर ने उसे इस तरीके से बैठने पर टोक दिया.

सोशल मीडिया पर भड़के यूजर्स

इस वीडियो के सामने आते ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बहस छिड़ गई है.
कई यूजर्स ने महिला का समर्थन करते हुए कहा कि होटल का काम ग्राहकों को सुविधा देना है, न कि उनके बैठने के तरीके पर रोक लगाना या सिखाना है.

एक यूजर ने लिखा ‘अब ताज होटल में यह भी बताया जाएगा कि कैसे बैठना है? लोग अपने पैसों से आते हैं ताकि आराम से खाना खा सकें, न कि नियमों में जकड़े जाएं.’ वहीं कुछ यूजर्स ने होटल प्रबंधन का पक्ष लेते हुए कहा कि लक्जरी होटल्स में डाइनिंग एटीकेट्स का ध्यान रखना भी आवश्यक होता है, क्योंकि वहां एक तय डेकोरम और ब्रांड वैल्यू को बनाए रखना होता है.

होटल प्रबंधन ने नहीं दिया कोई जवाब

फिलहाल, ताज होटल प्रबंधन की ओर से इस मामले पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. हालांकि, यह घटना लोगों के बीच ग्राहक अधिकार बनाम होटल पॉलिसी की बहस को फिर से जिंदा कर चुकी है. कई लोगों का कहना है कि जब ग्राहक किसी सेवा के लिए भुगतान करता है, तो उसे अपनी सुविधा और संस्कृति के अनुसार व्यवहार करने की आजादी होनी चाहिए.

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