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कैसे खारिज हुई उमर खालिद, शरजील इमाम समेत 7 की जमानत? ऐसे चली हाई कोर्ट में दोनों पक्षों की बहस


Delhi News: राजधानी दिल्ली में वर्ष 2020 में हुए दंगों को लेकर साजिश के मामले में मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत याचिका का खारीज कर दिया। आरोपियों ने मामले में उन्हें ज़मानत देने से इनकार करने वाले निचली अदालत के आदेशों को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में जमानत के लिए अपील की थी। इस मामले में हाई कोर्ट न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शैलिंदर कौर की खंडपीठ ने उमर खालिद, शरजील इमाम और सात अन्य आरोपियों की ज़मानत याचिकाएं खारिज कर दीं। अभियोजन पक्ष के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि यह दुनिया में भारत को बदनाम करने की साजिश थी। ऐसे में सिर्फ इस आधार पर जमानत देना ठीक नहीं होगा कि आरोपी लंबे समय से कैद में हैं।

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शरजील इमाम, उमर खालिद और खालिद सैफी पक्ष की ओर से दी गई दलील

कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पाइस के माध्यम से उमर खालिद ने दलील दी थी कि बिना कोई संदेश भेजे केवल व्हाट्सएप ग्रुप पर रहना कोई अपराध नहीं है। उन्होने दलील दी कि जैसा कि अभियोजन पक्ष ने 23-24 फरवरी की रात गुप्त बैठक होने का दावा किया है, वह कथित बैठक गुप्त नहीं थी। वहीं कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन के माध्यम से पेश हुए अभियुक्त खालिद सैफी ने कहा कि खालिद सैफी उन तीन सह आरोपियों के साथ समानता के आधार पर ज़मानत पर रिहा होने के हकदार हैं। जिन्हें 2021 जून में जमानत पर रिहा किया गया है। वहीं इस मामले में शरजील इमाम के वकील ने हाई कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि दंगे की जगह और समय से उसका कोई लेना-देना नहीं है। उसने उमर खालिद समेत अन्य आरोपियों से भी अपने जुड़ाव को खारिज किया है। शरजील के वकील का तर्क देते हुए कहा कि शरजील इमाम के भाषणों और व्हाट्सएप चैट में कभी भी अशांति फैलाने का आह्वान नहीं किया गया था।

दिल्ली पुलिस के ओर से सॉलिसिटर ने किया विरोध

वहीं दिल्ली पुलिस की ओर से एसजीआई तुषार मेहता ने कोर्ट में जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यदि आप राष्ट्र के खिलाफ कुछ कर रहे हैं, तो बेहतर है कि आप तब तक जेल में रहें जब तक आपको बरी या दोषी नहीं ठहराया जाता। मेहता ने कहा कि आरोपी व्यक्तियों का इरादा अधिक दंगों और अधिक आगजनी के लिए एक विशेष दिन का चयन करके विश्व स्तर पर राष्ट्र को बदनाम करना था। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनकर हाईकोर्ट खंडपीठ ने निचली आदलत के आदेशों को चुनौती देने वाली आरोपियों की जमानत याचिका का खारिज को कर दिया।