Mohan Bhagwat Speech RSS 100 Years Delhi Event: आरएसएस चीफ मोहन भागवत आत्मनिर्भरता का महत्व बताते हुए कहते हैं कि जो स्वदेशी की बात करते हैं तो इसका अर्थ ये नहीं कि विदेश से संबंध नहीं होंगे। अंतराष्ट्रीय व्यापार तो चलेगा लेकिन उसमें दबाव नहीं होना चाहिए, पारस्परिक होना चाहिए। कोक पीने से अच्छा है शिकंजी क्यों नहीं पी सकते? अपने राज्य से गाड़ी खरीदे बाहर से क्यों लाना? अंतराष्ट्रीय ट्रेड में स्वेच्छा से संबंध बनाने चाहिए, दबाव में नहीं बनाने चाहिए। अनुकूलता मिली है तो सुविधाभोगी नहीं होना है, आराम नहीं करना। सतत चलते रहना है। मैत्री, उपेक्षा, आनंद, करुणा के आधार पर सतत चलते रहना है।
#WATCH | Delhi: RSS chief Mohan Bhagwat says, “…What is Hindutva? What is Hinduness? What is the ideology of Hindu? If we have to summarise, then there are two words, truth and love. The world runs on oneness; it does not run on deals, it does not run on contracts, it cannot… pic.twitter.com/nWDZNKrQun
—विज्ञापन—— ANI (@ANI) August 27, 2025
दुनिया अपनेपन से चलती है सौदे से नहीं
#WATCH | Delhi: RSS chief Mohan Bhagwat says, ” After the First World War, the League of Nations was formed. The Second World War still happened. UN was formed. The third world war will not happen like that. But it is not happening, we cannot say this today. There is unrest in… pic.twitter.com/MAb8eLlO0x
— ANI (@ANI) August 27, 2025
मोहन भागवत आगे कहते हैं कि संघ में इंसेंटिव नहीं है डीससेंटिव ज्यादा है। हिंदू राष्ट्र के जीवन का विकास ही संघ करता है। इसका प्रयोजन है विश्व कल्याण। उपभोग के पीछे भागने से दुनिया नष्ट होने की कगार पर आ जाती है जैसा कि आजकल सब तरफ हो रहा है। दुनिया अपनेपन से चलती है सौदे से नहीं। सत्य और प्रेम ही हिंदुत्व है। अपनेपन से दुनिया चलती है कॉन्ट्रैक्ट पर नहीं चलती। दिखते भिन्न हैं, परन्तु सब एक हैं।
दुनिया के अलग अलग देशों में अपने अपने प्रवृति और प्रकृति के आधार पर वो अपने अपने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ बनाए। नागपुर में कुछ विदेश से अभी लोग आए थे उन्होंने कहा हमारा भी एक आरएसएस होना चाहिए। अब आगे संघ का लक्ष्य क्या है जो आज संघ में हो रहा है वो सारे समाज में हो। चरित्र निर्माण, देशभक्ति का काम।
हिंदू की विचारधारा क्या है?
मोहन भागवत कहते हैं कि हिंदुत्व क्या है? हिंदुत्वता क्या है? हिंदू की विचारधारा क्या है? यदि हमें इसका सार बताना हो तो दो शब्द हैं – सत्य और प्रेम। दुनिया एकत्व पर चलती है, यह सौदों पर नहीं चलती, यह अनुबंधों पर नहीं चलती, इस तरह यह कभी नहीं चल सकती। हिंदू राष्ट्र का जीवन मिशन क्या है? हमारा हिंदुस्तान – इसका उद्देश्य है विश्व कल्याण। उसी को पाना मानव जीवन का परम लक्ष्य है और जब वह मिलेगा तो सब सुखी होंगे।
दुनिया में शांति और सुख आएगा। समाज के सभी पंथ सबका विकास करना होगा दो बड़ा हो जाए चार छोटा रह जाए तो देश तरक्की नहीं करेगा । धर्म में कोई परिवर्तन (कन्वर्ज़न) नहीं है। धर्म एक सत्य तत्त्व है, जिसके आधार पर सब कुछ चलता है। हमें धर्म के साथ आगे बढ़ना है, और वह उपदेश या धर्मांतरण से नहीं, बल्कि अपने आचरण और आचरण के आदर्श से होगा। इसलिए भारतवर्ष का जीवन मिशन है ऐसा जीवन जीना, ऐसा आदर्श प्रस्तुत करना, जिसे दुनिया अपना सके।
संघ का अगला कदम क्या
मोहन भागवत ने आगे कहा, व्यक्ति का अहंकार शत्रुता पैदा करता है। राष्ट्र का अहंकार राष्ट्रों के बीच शत्रुता पैदा करता है। उस अहंकार से ऊपर है हिंदुस्तान। व्यक्ति जीवन से लेकर पर्यावरण तक का रास्ता दिखाने के लिए भारतीय समाज को अपना उदाहरण प्रस्तुत करना होगा… आज संघ इतनी अनुकूल स्थिति में है। ऐसा क्यों है? इसलिए कि पूरा समाज संघ पर विश्वास करता है, हमारी विचारधारा माने या न माने, लेकिन हमारी विश्वसनीयता पर भरोसा करता है।
इसी कारण जब हम कुछ कहते हैं तो समाज सुनता है और यही वजह है कि हम 100 वर्ष पूरे कर रहे हैं। अगला कदम क्या होगा? हमारा अगला कदम यह होगा कि संघ में जो कार्य हम कर रहे हैं, वह पूरे समाज में लागू हो। यह चरित्र निर्माण का काम है, देशभक्ति जगाने का काम है – मीडिया में बहुत नकारात्मक खबरें आती हैं… लेकिन भारत में समाज आज जो दिखाई देता है उससे 40 गुना बेहतर है। अगर कोई भारत का मूल्यांकन केवल मीडिया रिपोर्टों के आधार पर करेगा, तो वह गलत होगा।