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’17 जिंदा लोगों को मृत दिखाकर हटाए नाम’, बिहार SIR पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, क्या दी गई दलीलें?


Bihar SIR Supreme Court Hearing: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई है। स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) की प्रक्रिया को चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें से एक याचिका RJD सांसद सुधाकर सिंह ने दायर की है। उन्होंने दावा किया है कि सुप्रीम कोर्ट में उनके साथ वे 17 लोग आए हैं, जिनको मृत दिखाया गया और उनका नाम मतदाता लिस्ट से हटा दिया गया।

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कपिल सिब्बल ने बताई खामियां

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने SIR प्रक्रिया में खामियों पर दलीलें पेश कीं। उन्होंने दलील दी कि एक विधानसभा क्षेत्र के 12 जीवित लोगों को मृत बताकर उनका नाम वोटर लिस्ट से काटा गया है। कुछ लोग ऐसे हैं, जो मृत हैं, लेकिन उनका नाम वोटर लिस्ट में है। चुनाव आयोग पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड स्वीकार नहीं कर रहा है। अगर मैं कह रहा हूं कि मैं भारतीय नागरिक हूं, तो यह जांच करना चुनाव आयोग का काम है कि मैं भारतीय नागरिक हूं या नहीं हूं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

चुनाव आयोग के वकील क्या बोले?

सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग की ओर से वकील राकेश द्विवेदी पेश हुए हैं। वकील राकेश ने दलील दी कि बिहार में अभी विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) फाइनल नहीं हुआ है। अभी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी हुई है। नोटिस जारी करके एक महीने का समय लोगों को दिया गया है कि जिसे वोटर लिस्ट से आपत्ति है, वह अपनी आपत्तियां दर्ज कराएं और सुधार आवेदन जमा करें। ड्राफ्ट रोल में कुछ कमियां होना स्वाभाविक है। आपत्तियां और सुझाव लेकर उन्हें दूर करके फाइनल वोटर लिस्ट जारी की जाएगी।

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बिहार SIR को लेकर क्या है विवाद?

बता दें कि चुनाव आयोग ने 24 जून 2025 को बिहार में SIR शुरू किया था, जिसका उद्देश्य विधानसभा चुनाव से पहले बिहार की मतदाता सूची को अपडेट करना और अयोग्य मतदाताओं जैसे मृतकों, प्रवासियों, गैर-निवासियों के नाम लिस्ट से हटाना है, लेकिन विपक्षी दलों और अन्य संगठनों एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) और राजद के मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने SIR प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि SIR के बहाने लाखों मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा रहे हैं, जिससे गरीब तबके के और हाशिए पर रहने वाले लोगों के साथ अन्याय होगा। याचिकाओं पर जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाला बागची की बेंच सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को वोटर लिस्ट से जुड़े तथ्यों और आंकड़ों के साथ तैयार रहने को कहा है, जिसमें संशोधन से पहले और बाद में मतदाताओं की संख्या, मृतक मतदाताओं का विवरण आदि शामिल है।

बिहार SIR विवाद पर क्या कहते हैं दोनों पक्ष?

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गत 29 जुलाई 2025 को भी बिहार SIR पर सुनवाई की थी और बेंच ने कहा था कि अगर वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी मिलती है, तो वह तुरंत हस्तक्षेप करेगा। वहीं याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि बिहार के करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं, जिनमें से कई जीवित हैं, लेकिन उन्हें मृत या अनुपस्थित मान लिया गया है।

इसलिए मांग की गई है कि वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख नामों की डिटेल सार्वजनिक किया जाए, लेकिन चुनाव आयोग (ECI) ने कहा कि SIR संविधान के अनुच्छेद 324 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 21(3) के तहत वैध है। कोई भी नाम बिना पूर्व सूचना के, सुनवाई का अवसर दिए बिना और बिना किसी उचित कारण के हटाया नहीं जाएगा।