Delhi Phansi Ghar Row: दिल्ली विधानसभा में ‘फांसी घर’ विवाद पर हंगामा जारी है। विधानसभा स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने मुद्दे को सुलझाने के लिए विशेषाधिकार समिति को अधिकृत किया है, जो दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राम निवास गोयल और पूर्व उपाध्यक्ष राखी बिड़लान को समन करके जरूरी सवाल और जवाब कर सकती है।
किस जगह को लेकर छिड़ा है विवाद?
बता दें कि विवाद उस जगह को लेकर छिड़ा है, जिसे साल 2021 में ‘फांसी घर’ बताया गया था और उस पर अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के नाम वाली पट्टिका लगाई थी। पूर्व विधानसभा स्पीकर राम निवास गोयल और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 9 अगस्त 2022 को ‘फांसी घर’ का उद्घाटन किया था। साथ ही दावा किया था कि ‘फांसी घर’ ब्रिटिश काल में क्रांतिकारियों को फांसी देने के लिए बनाया गया था।
विवादित जगह को लेकर क्या है दावा?
वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने ‘फांसी घर’ को लेकर किए दावे को गलत ठहराया और कहा कि यह कोई फांसी घर नहीं है, बल्कि वर्ष 1912 में बने नक्शे के अनुसार एक टिफिन रूम या लिफ्ट रूम था, जिसका इस्तेमाल खाना पहुंचाने के लिए किया जाता था। उन्होंने फांसी घर का शिलापट हटाने और 1912 के मूल नक्शे को लागू करने का आदेश दिया है। वहीं दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मामले में FIR दर्ज करने और किया गया खर्च वसूलने की मांग की है।
केजरीवाल सरकार पर क्या आरोप लगे?
बता दें कि BJP और दिल्ली विधानसभा के वर्तमान स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने आम आदमी पार्टी पर इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने और जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि नेशनल आर्काइव्स, IGNCA और ICHR के डॉक्यूमेंट से साबित होता है कि विवादित जगह पर ‘फांसी घर’ नहीं था, लेकिन AAP सरकार ने साल 2022 में इस जगह का नवीनीकरण किया। इसके लिए 1.04 करोड़ रुपये खर्च करके सरकारी धन का दुरुपयोग किया। AAP ने विवादित जगह को ‘फांसी घर’ बताकर विधानसभा की एक सीढ़ी और सुरंग को भी उससे जोड़ा।
विधानसभा में मुद्दे पर मचा घमासान
बता दें कि ‘फांसी घर’ विवाद पर दिल्ली विधानसभा में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। विधानसभा में इस मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष में तीखी बहस हुई, जिसके चलते आतिशी और जरनैल सिंह को मार्शल आउट तक किया गया। BJP ने विवाद को शहीदों का अपमान और इतिहास के साथ छेड़छाड़ कहा है, जबकि AAP ने ब्रिटिश काल के काले कारनामों को छिपाने का आरोप लगाया है। ऐसे में अब विशेषाधिकार समिति सच का पता लगाएगी और उसकी जांच रिपोर्ट के आधार पर ‘फांसी घर’ विवाद का समाधान निकाला जाएगा।