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AAP नेता मनीष सिसोदिया का कांग्रेस-बीजेपी पर बड़ा हमला, भारत की खंडहर शिक्षा व्यवस्था के लिए दोनों जिम्मेदार


देश की बर्बाद शिक्षा व्यवस्था को लेकर आम आदमी पार्टी ने भाजपा और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। ‘‘आप’’ के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि देश की शिक्षा व्यवस्था खंडहर होती जा रही है। इसके लिए बीजेपी-कांग्रेस जिम्मेदार हैं। आज दुनिया भर के देश अपने बच्चों को एआई में एक्सपर्ट बनाना सिखा रहे हैं और हम बच्चों को एआई मजदूर बनाने लायक भी शिक्षा नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी हमेशा शिक्षा पर काम करती आई है। हम जहां सरकार में हैं, वहां शिक्षा पर काम कर रहे हैं और जहां सरकार में नहीं हैं, वहां की सरकारों से शिक्षा व्यवस्था ठीक करने के लिए लड़ रही हैं। ‘‘आप’’ के 20 राज्यों के प्रभारियों ने शिक्षा व्यवस्था को लेकर गहन मंथन किया और फैसला लिया है कि हम 3 हजार कार्यकर्ताओं की टीम देश भर के सरकारी स्कूलों का दौरा करने के लिए भेजेंगे, जो स्कूलों की हालत पूरे देश के सामने रखेंगे।

शिक्षा व्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना

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आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पंजाब के प्रभारी मनीष सिसोदिया ने पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस और सांसद संजय सिंह के साथ पार्टी मुख्यालय पर शिक्षा के मुद्दे पर प्रेसवार्ता की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज की देश के शिक्षा मंत्रियों का सम्मेलन बुलाया था और उसमें उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति के जरिए हम देश को नई उचांइयों पर ले गए हैं। लेकिन इस दावे की जमीन हकीकत कुछ और ही है। आज दुनिया भर के देश अपने बच्चों को किस युग के लिए तैयार कर रहे हैं और भारत अपने बच्चों को कौन से युग में मरने के लिए स्कूल भेज रहे हैं। पूरे देश ने राजस्थान के झालावाड़ में सरकारी स्कूल की छत गिरने का दृश्य देखा है, जहां 8 बच्चे अपनी जान गंवा बैठे। वहां माता-पिता ने अपने बच्चों को इस उम्मीद में पढ़ने के लिए भेजा था कि मेरे बच्चे स्कूल जाएंगे तो पढ़ेंगे और मेरे परिवार का भविष्य बनेगा। लेकिन पैरेंट्स अपने बच्चों का शव लेकर आए।

सरकारी स्कूलों को ठीक करना BJP की प्राथमिकता में नहीं- मनीष सिसोदिया

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मनीष सिसोदिया ने कहा कि इन बच्चों को अपनी जान इसलिए गंवानी पड़ी, क्योंकि एक सरकार मानती है कि उसके पास सरकारी स्कूल ठीक करने के लिए पैसा नहीं है। मुझे पूरा विश्वास है कि शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस बात का जिक्र किया होगा कि नई शिक्षा नीति के बावजूद इस देश में झालावाड़ हो रहा है। सिर्फ झालावाड़ में एक घटना हुई हुई होती तो हम मान लेते कि कोई एक घटना है। झालावाड़ की घटना के बाद राजस्थान की मीडिया ने सरकारी स्कूलों की लिस्ट प्रकाशित की और बताया कि कौन-कौन स्कूल में झालावाड़ हो सकता है। तो राजस्थान के शिक्षा मंत्री ने कह दिया कि सरकार के पास पैसे नहीं हैं। झालावाड़ के बाद यूपी के हापुड़ और मध्य प्रदेश की एक सरकारी स्कूल की तस्वीर आई। आज पूरे देश के लोग जागरूक हो गए हैं और अपने-अपने यहां के जर्जर स्कूलों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं।

आज भारत की शिक्षा एक खंडहर व्यवस्था बन चुकी है- मनीष सिसोदिया

मनीष सिसोदिया ने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेताओं ने मंगलवार को शिक्षा को लेकर बहुत गंभीरता पूर्वक विचार-विमर्श किया। सबका मानना है कि आज भारत की शिक्षा एक खंडहर व्यवस्था बन चुकी है। एक खंडहर शिक्षा व्यवस्था में खंडहर भविष्य के लिए भारत को तैयार कर रही है। आम आदमी पार्टी इसके लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों को जिम्मेदार मानती है। भारत सरकार के यूडीआईएसई के डेटा के अनुसार, पूरे देश में 4.80 फीसद सरकारी स्कूल कंम्प्यूटर लैब युक्त हैं। महज 29 फीसद बच्चे ही दूसरी कक्षा का टैक्स्ट पढ़ सकते हैं और गणित कर सकते हैं। अगर पांचवी क्लास में बच्चा दूसरी कक्षा का टैक्स्ट नहीं पढ़ पा रहा है और गणित नहीं कर पा रहा है तो हम कौन सा देश तैयार कर रहे हैं और किस उपलब्धि के लिए नई शिक्षा नीति के पांच साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं।

पिछले 75 सालों में दोनों ने शिक्षा के नाम पर देश को लूटा- मनीष सिसोदिया

मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति में लिखा है कि शिक्षा पर देश की जीडीपी का 6 फीसद खर्च होना चाहिए। जीडीपी का 6 फीसद तो बहुत बड़ी बात है, भारत सरकार अपने बजट का 2.50 फीसद भी हर साल शिक्षा पर खर्च नहीं करती है। भले ही केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति के पांच साल पूरे होने पर जश्न मना रही है, लेकिन इन पांच सालों में शिक्षा पर 2.50 फीसद से अधिक बजट नहीं खर्च सकी है। इससे पहले कांग्रेस राइट टू एजुकेशन लेकर आई थी। दोनों ने ही अपनी पॉलिसी को देश भर में ठीक से लागू नहीं किया। पिछले 75 सालों में दोनों दलों ने शिक्षा के नाम पर देश को लूटने के साथ ही देशवासियों को धोखा दिया है।

मनीष सिसोदिया ने कहा कि 2009 में भारत ने पिसा (अंतर्राष्ट्रीय छात्र मूल्यांकन कार्यक्रम) रैंकिंग में हिस्सा लिया था। उसमें हम 74वें नंबर पर आए थे। इसके बाद कांग्रेस और भाजपा सरकारों ने पिसा रैंकिंग में भाग लेना ही बंद कर दी। बोले, हम दुनिया के सामने नहीं खड़े होंगे। इन्होंने अपनी शिक्षा व्यवस्था और पढ़ाई का स्तर सुधारने बजाय पिसा रैंकिंग में हिस्सा लेना बंद कर दिया। इसलिए भारत की शिक्षा व्यवस्था की दुर्दशा के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों जिम्मेदार हैं।

जापान पांचवीं के बच्चों को कोडिंग सिखा रहा है- मनीष सिसोदिया

मनीष सिसोदिया ने दुनिया के देशों में शिक्षा को लेकर किए जा रहे कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि आज जापान पांचवीं कक्षा से अपने बच्चों को कोडिंग सिखाता है। दूर-दराज के गांव में भी कंप्यूटर और एआई लैब होती है। पांचवीं का बच्चा कोडिंग सीखता है और छठीं कक्षा का बच्चा एप बनाना सीख जाता है। आठवीं के बच्चे रोबोट पर काम करना शुरू देता है और 11वीं-12वीं में एडवांस और मशीन लर्निंग तक पहुंच जाता है। दूसरी तरफ, हम अपने बच्चों को टूटी हुई छतों के नीचे मरने को मजबूर कर रहे हैं। गांव, देहात, कस्बों के सरकारी स्कूलों में टूटी-फटी टाट पर बैठाकर पढ़ाने का नाटक कर रहे हैं। जबकि जापान बच्चे को एआई वर्ल्ड में शासन करने के लिए तैयार कर रहा है और हम अपने बच्चों को एआई मजदूर बनाने लायक भी शिक्षा नहीं नहीं दे पा रहे हैं। जापान बच्चे को एआई एक्सपर्ट बनाने की शिक्षा दे रहा है और हम यहां शिक्षा नीति का ढोल पीट रहे हैं।

दुनिया भर के देश इतिहास बना रहे हैं- मनीष सिसोदिया

मनीष सिसोदिया ने कहा कि कोरिया में छठीं कक्षा से बच्चे रोबोटिक्स पढ़ने लगते है। नौवीं क्लास से सारे बच्चों के लिए रोबोटिक्स क्लब अनिवार्य कर दिया जाता है। कोरिया ने सारे बच्चों के लिए एआई लैब बना रखी है। 11वीं-12वीं में बच्चे पार्टनरशिप में बड़ी-बड़ी टेक कंपनियों में ऐप और रोबोट बना रहा होता हैं। दूसरी तरफ, हमारे गांव के स्कूलों में 11वीं-12वीं के बच्चे कंट्रोल-सी, कंट्रोल-वी सिखाते हैं, पेंट करना और लाइन खींचना सीखते हैं। कोरिया का बच्चा ट्रैफिक, मेंटल हेल्थ आदि के हल सीख रहा होता है। हमारे यहां एआई पर बात ही नहीं हो रही है। दूसरे देश इतिहास बना रहे हैं और हम इतिहास बदल रहे हैं।

देश भी AI पाठ्यक्रम का हिस्सा बन सकता, लेकिन हम नहीं बना रहे- मनीष सिसोदिया

मनीष सिसोदिया ने कहा कि चीन का सामान दुनिया के मार्केट में है। सारी दुनिया जानती है कि चीन के लोग अपनी मेहनत के दम पर आगे बढ़ रहे हैं। 2018 में चीन ने हाई स्कूल में एआई को पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा बना दिया था। हम तो इसकी बात भी नहीं करते। हम इतिहास की चार किताबें छेड़़ कर खुश होना चाहते हैं और उस पर बहस कराना चाहते हैं। हमारे देश में एआई हाई स्कूल में पाठ्यक्रम का हिस्सा क्यों नहीं बना। जापान पांचवीं कक्षा में कोडिंग सिखा सकता है तो भारत अपने बच्चों को पांचवीं में कोडिंग और ऐप बनाना क्यों नहीं सिखा सकता? क्यों हम बच्चों को केवल धर्म- जाति के नाम पर उस इतिहास में घुसा कर केवल लड़ना सिखा रहे हैं? आज नई शिक्षा नीति के पांच साल का यह नतीजा है। इसी तरह, चीन में दसवीं कक्षा तक आते आते बच्चे रियल-टाइम डेटा पर मौसम की भविष्यवाणी करने लग जाते हैं। 12वीं तक ऑटोनॉमस ड्रोन बनाने लग जाते हैं। चीन में 12वीं के सारे बच्चों के लिए ऑटोनॉमस ड्रोन बनाना अनिवार्य है। सिंगापुर जैसे छोटे देश में सातवीं क्लास से हर बच्चे को डेटा साइंस का अध्ययन करना अनिवार्य है। नौंवीं कक्षा में गणित और विज्ञान में कोडिंग, डेटा साइंस, रोबोटिक्स प

दूसरे देश टीचर ट्रेनिंग को महत्व दे रहे हैं- मनीष सिसोदिया

मनीष सिसोदिया ने कहा कि हम शिक्षा में काम करने के बजाय सिर्फ बहस कर रहे हैं। हम टीचर ट्रेनिंग नहीं करा रहे हैं। सिंगापुर में 2018 के बाद से हर टीचर को 100 घंटे की एआई आधारित टीचिंग ट्रेनिंग अनिवार्य है। उन्होंने यह लक्ष्य पूरा किया। जबकि हम टीचर ट्रेनिंग के नाम पर कुछ भी नहीं करते। सिंगापुर के लोग अपने बच्चे को स्मार्ट सिटी बनाना सिखा रहे हैं और हम बच्चों को स्मार्ट बोर्ड तक नहीं दे पा रहे हैं। अमेरिका में छठीं कक्षा से हर बच्चे के लिए एआई और रोबोटिक्स अनिवार्य है। वहां परीक्षाएं नहीं होती। प्रोजेक्ट्स के आधार पर बच्चे का आंकलन किया जाता हैं। अमेरिका के लोग अपने बच्चों को रोबोट बनाना और चालाना सिखा रहे हैं और हम जहां रोबोट पढ़ा भी रहे हैं, वहां रोबोट की परिभाषा रट कर परीक्षा में लिखकर पास कराना सिखा रहे हैं। अमेरिका में दसवीं के बच्चे एआई चैटबॉट बनाते हैं। उनके क्लब्स में प्रतियोगिताएं होती हैं। 11वीं-12वीं के बच्चे एमआईटी जैसी संस्थाओं के साथ टाइअप करके हाईटेक एआई कैंसर डिटेक्शन मॉडल्स पर काम कर रहे होते हैं। अमेरिका के 52 फीसद बच्चे वोकेशनल कोर्सेस करते हैं। ये वाकेशनल कोर्सेस एआई, साइबर सिक्योरिटी, रोबोटिक

करीब 90 फीसद सरकारी स्कूलों की हालत खराब है- मनीष सिसोदिया

मनीष सिसोदिया ने मीडिया से अनुरोध करते हुए कहा कि झालावाड़ की गिरी बिल्डिंग दिखा रहे हैं, अच्छी बात है। शिक्षकों की कमी दिखा रहे हैं, यह भी अच्छी बात है। लेकिन जहां स्कूल की बिल्डिंग है, टीचर है, कंप्यूटर है, वहां के बच्चों से भी पूछिए कि वे कंप्यूटर क्लास में क्या सीख रहे हैं? 11वीं-12वीं का बच्चा कहेगा, मैंने पेंटिंग सीखी, कंट्रोल-वी, कंट्रोल-सी सीखा। शर्म आती है कि हम अगली पीढ़ी को कहां ले जा रहे हैं? यह माता-पिता और सारे बच्चों का दर्द है। देश में 31 करोड़ बच्चे स्कूल-कॉलेज में पढ़ते हैं। वर्तमान में देश के 25 करोड़ स्कूल में हैं और बाकी कॉलेज में हैं। इन 25 करोड़ में से 15 करोड़ बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। 90 फीसद सरकारी स्कूलों की हालत खराब है। यह देश की स्थिति है।

‘‘आप’’ कार्यकर्ता स्कूलों का दौरा करेंगे- मनीष सिसोदिया

मनीष सिसोदिया ने कहा कि आम आदमी पार्टी शिक्षा पर काम करती है। हम पंजाब में सरकार में हैं, दिल्ली में सरकार में रह चुके हैं और कई राज्यों में हमारे विधायक हैं। लेकिन जिन राज्यों में ‘‘आप’’ सरकार में नहीं हैं, वहां हम सरकार में आने तक का इंतजार नहीं सकते कि सरकार में आएंगे तब काम करेंगे। आज स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की शिक्षा के लिए भी काम करेंगे और मौजूदा सरकार से लड़ेंगे। हमने इसकी रणनीति बनाई है। ‘‘आप’’ नहीं चाहती है कि हमारे बच्चे सिर्फ मजदूर बनें, हमारे बच्चे एआई मजदूर जितने भी खड़े न हों और वो एआई एक्सपर्ट पैदा कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी इसे बर्दाश्त नहीं कर सकती। आज इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा हुई, जिसमें 20 राज्यों के प्रभारी शामिल रहे। सभी ने मिलकर तय किया है कि झालावाड़ जैसी घटनाएं किसी और राज्य में न हों। भाजपा और कांग्रेस की शिक्षा विरोधी नीतियों के चलते देश में कोई और मासूम अपनी जान न गंवाए। इसके लिए हम पहले से अलर्ट करेंगे। इसके लिए “आप” ने पूरे देश में 3,000 कार्यकर्ताओं की टीम बनाई है। 1 से 7 अगस्त तक यह कार्यकर्ता देश के 20 राज्यों में स्कूलों का दौरा करेंगे और देखेंगे कि कहां झालावाड़ जैसी स्थिति है

शानदार स्कूल बनाने की बात हो तो ‘‘आप’’ याद आती है- संजय सिंह

वहीं, “आप” के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली में हम 10 साल रहे और पंजाब में साढ़े तीन साल हो गए। आम आदमी पार्टी की बात करने पर बिजली और शिक्षा दो मुद्दे सबसे पहले याद आते हैं। फ्री बिजली, अच्छी शिक्षा, पानी सिर्फ आम आदमी पार्टी दे सकती है। पूरे देश में मोहल्ला क्लीनिक की बात करने पर सिर्फ आम की स्वास्थ्य सेवाएं? अगर देश में नफरत और झगड़ा फैलाने हो तो भाजपा याद आती है। झालावाड़ में भाजपा याद आती है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा में सरकारी स्कूल बंद करने पर भाजपा याद आती है। लेकिन अगर स्विमिंग पूल, हॉकी, एथलिट ग्राउंड से युक्त शानदार स्कूल की बात हो तो अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया द्वारा दिल्ली में बनाए गए सरकारी स्कूल याद आते हैं, पंजाब के स्कूल ऑफ एमिनेंस याद आते हैं। शिक्षा “आप” राजनीति का प्रमुख हिस्सा है। हम मानते हैं कि राजनीति शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और आम आदमी की जरूरतों पर होनी चाहिए।

उत्तर प्रदेश में शिक्षा को बर्बाद कर दिया- संजय सिंह

संजय सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में शिक्षा को बर्बाद कर दिया गया है। योगी सरकार ने पहले 26 हजार सरकारी स्कूल बंद किए, अब 27,000 सरकारी स्कूल बंद करने का फैसला लिया है। इसमें 5 हजार स्कूल बंद करने के आदेश जारी हो चुके हैं। इसके खिलाफ आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता गांव-गांव जा रहे हैं। सरकारी स्कूलों में मजदूर, विधवा, किसान, दलित और पिछड़े वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं। अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ने के साथ-साथ मिड-डे मील के लिए स्कूल भेजते हैं। भाजपा क रही है कि स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हो गई है। इन स्कूलों में मिड-डे मील में नमक-रोटी, भात और नमक दिया जाता है। बच्चों के बैठने का इंतजाम नहीं है। यूपी के बलिया के एक स्कूल में 30 बिजली का कनेक्शन ही नहीं है। उत्तर प्रदेश में ऐसे हजारों स्कूल हैं।

आने वाली पीढ़ी को अनपढ़ रखना चाहते हैं- संजय सिंह

संजय सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार कहती है कि पढ़ेगा इंडिया, तो बढ़ेगा इंडिया, लेकिन ये लोग देश को अनपढ़ बनाकर रखना चाहते हैं। आने वाली पीढ़ी को अनपढ़ रखना चाहते हैं। ताकि उनके दिमाग में नफरत का जहर घोल सकें। भाजपा सिर्फ वोट हासिल करने के लिए इनको झगड़े और नफरत की राजनीति में उलझा कर रखना चाहती है। लेकिन आम आदमी पार्टी शिक्षा और स्वास्थ्य पर राजनीति करती है। पंजाब में हम बेहतर काम कर रहे हैं। दिल्ली में 10 साल तक बेहतरीन काम किया। आज अफसोस होता है कि प्राइवेट स्कूलों में टीचर्स और प्रिंसिपल्स अभिभावकों को 80 फीसद बढ़ी फीस देने के लिए मजबूर करते हैं। पैसे नहीं होने पर उनको बाउंसर से धक्के मरवाकर निकाल दिया जाता है। मनीष सिसोदिया 10 साल शिक्षा मंत्री और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री रहे। तब किसी प्राइवेट स्कूल ने फीस बढ़ाने की हिम्मत नहीं की। किसी स्कूल मालिक में अभिभावकों को धक्के मारकर निकालने की हिम्मत नहीं थी। जहां ‘‘आप’’ की सरकार हैं, वहां बेहतरीन शिक्षा का मॉडल देखकर देश और दुनिया को दिखाएंगे और जहां सरकार में नहीं हैं, वहां सरकार को मजबूर करेंगे कि बच्चों को अच्छा स्कूल और अच्छी शिक्षा देनी पड़ेगी। इसके लिए सड़क, संस

‘‘आप’’ के शिक्षा राजनीति का धर्म है और अब पंजाब में करके दिखा रहे हैं- हरजोत बैंस

इस दौरान पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि 2022 में “आप” के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान पंजाब की जनता के बीच गए। उन्होंने अपील की थी कि हमें एक मौका दीजिए। हम पंजाब के सरकारी स्कूल ठीक करेंगे। पंजाब की जनता ने “आप” को 117 में से 92 सीटें देकर ऐतिहासिक जनादेश दिया। उन्होंने कहा कि 2022 में पंजाब के सरकारी स्कूलों की हालत खराब थी। 28 लाख में से 4 लाख बच्चे जमीन पर बैठते थे। उनके लिए फर्नीचर नहीं था। 8,000 से ज्यादा स्कूलों में चाहरदीवारी नहीं थी। 3200 स्कूल में वॉशरूम नहीं था। अगर था, तो इस्तेमाल लायक नहीं था। आज पंजाब में अब एक भी बच्चा जमीन पर नहीं बैठता, हर बच्चे के लिए फर्नीचर है। आज हर सरकारी स्कूल की बाउंड्री है? साफ-सुथरा वॉशरूम है। आज पंजाब देश का इकलौता राज्य है, जिसके हर स्कूल में वाई-फाई है, हर स्कूल में साफ पीने का पानी है। हमने सिक्योरिटी गार्ड्स रखे। देश में कहीं सरकारी स्कूलों में सिक्योरिटी गार्ड्स नहीं होंगे। सीनियर स्कूलों में कैंपस मैनेजर रखे।

प्राइमरी शिक्षकों को फिनलैंड भेजा- हरजोत सिंह बैंस

हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि हमने इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ शिक्षकों पर ध्यान दिया। टीचर ट्रेनिंग पर काम किया। प्रिंसिपल्स को सिंगापुर भेजा। प्राइमरी शिक्षकों को फिनलैंड भेजा। हेड मास्टर्स को अहमदाबाद भेजा। विज्ञान के शिक्षकों को इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस बैंगलुरू भेजा। बच्चों को इसरो भेजा और स्कूल ऑफ एमिनेंस बनाए। आज केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शिक्षा मंत्रियों का सम्मेलन किया। किसी राज्य शिक्षा मंत्री नहीं बता सकता कि उनके राज्य के कितने बच्चों ने नीट, जेईई पास की। लेकिन मैं बता सकता हूं कि पंजाब के सरकारी स्कूलों से 260 बच्चों ने जेईई मेंस क्लियर किया। जेईई एडवांस में 44 बच्चे पास हुए। 47 ग्रामीण स्कूलों के बच्चे आईआईटी में गए। 800 से ज्यादा बच्चों ने नीट पास किया। पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड के नतीजे शानदार रहे। नेशनल असेसमेंट सर्वे में पंजाब नंबर एक रहा। हमने कोचिंग हब को पीछे छोड़ कर नया रिकॉर्ड बनाया।

हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि पंजाब देश का पहला राज्य है, जो एआई पर 400 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। लगभग हर स्कूल में दो ऐसे क्लासरूम हैं, जहां इंटरेक्टिव पैनल्स लगाए गए हैं। शिक्षा हमारे लिए राजनीति का धर्म है। आज पंजाब सरकार के स्कूल ऑफ एमिनेंस में एडमिशन के लिए लाइनें लगती हैं। एक सीट के लिए 200 बच्चे परीक्षा देते हैं। सरकारी स्कूलों के प्रति समाज की सोच बदली है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में यह करके दिखाया और पंजाब में भी करके दिखा रही है। आने वाले दिनों में और बहुत कुछ करेंगे।

शिक्षा व्यवस्था सुधारने में नाकाम भाजपा-कांग्रेस सरकारें

शिक्षा व्यवस्था सुधारने में भाजपा और कांग्रेस दोनों की नाकाम साबित हुई हैं। भाजपा सरकार ने नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने में ढिलाई की। 5 साल बाद भी, 21वीं सदी के कौशल जैसे कोडिंग, एआई और रोबोटिक्स स्कूलों में नहीं पहुंचे। भाजपा ने एनईपी का ढोल पीटा, लेकिन स्कूलों में न तो शिक्षक आए, न ही टेक्नोलॉजी। बच्चों के लिए स्कूल नहीं हैं, रूम नहीं हैं, जहां हैं, वहां झालावाड़ जैसे हालात है। मौत सिर पर मंडरा रही है। जहां रूम भी हैं, वहां लैब और लाइब्रेरी नहीं है। टॉयलेट नहीं हैं। जहां ये सुविधाएं हैं, वहां टीचर नहीं हैं। जहां टीचर हैं, वहां टेक्नोलॉजी नहीं है। वहीं, कांग्रेस ने आरटीई एक्ट 2009 लाकर वाहवाही तो लूटी, लेकिन इसे लागू करने के लिए पर्याप्त फंडिंग और इच्छा शक्ति नहीं दिखाई। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने पिछले 70 सालों में, शिक्षा को केवल वोट बैंक का हथियार बनाया, न कि देश के भविष्य का आधार बनाया।