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डीपीएस द्वारका से 34 छात्रों को निकालने पर गरमाई राजनीति, आतिशी ने CM रेखा गुप्ता को पत्र लिख की ये मांग


दिल्ली में द्वारका स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) ने बढ़ी हुई स्कूल फीस का भुगतान न करने के 34 छात्रों को स्कूल से निकाल दिया है। स्कूल से निष्कासित इन छात्रों के अभिभावकों ने अब अपने बच्चों की स्कूल में वापसी के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में उन्होंने दावा किया है कि स्कूल ने शिक्षा निदेशालय (DOI) को लिखित नोटिसों और शिकायतों को बार-बार नजरअंदाज किया। फीस के लिए जमा किए गए चेक को जानबूझकर कैश कराने से परहेज किया। अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल ने बिना किसी पूर्व सूचना या उचित कारण के छात्रों को मनमाने ढंग से जबरदस्ती स्कूल से निकाल दिया, जो कोर्ट के आदेश और न्याय के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है। इनमें से कई छात्र वर्तमान में 10वीं कक्षा में हैं, जिन्होंने 9वीं कक्षा में रहते हुए बोर्ड एग्जाम के लिए रजिस्ट्रेशन भी करा लिया है। अब इस मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है। दिल्ली की पूर्व सीएम आतिशी ने इसे लेकर सीएम रेखा गुप्ता को पत्र लिखा है।

क्या कहा आतिशी ने?

दिल्ली की पूर्व सीएम और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ‘डीपीएस द्वारका से 34 छात्रों को बढ़ी हुई स्कूल फीस का भुगतान न करने के कारण निष्कासित कर दिया गया है। कल्पना कीजिए कि इन बच्चों को किस तरह के मानसिक आघात से गुजरना पड़ा होगा। हैरानी की बात यह है कि भाजपा सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है और अभिभावकों को राहत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। मैंने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर उनसे ऐसे अमानवीय कदमों के लिए डीपीएस द्वारका के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और मौजूदा शैक्षणिक वर्ष में बढ़ी हुई फीस वसूलने वाले स्कूलों पर तत्काल रोक लगाने का अनुरोध किया है।’

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आतिशी ने पत्र में क्या लिखा?

आतिशी ने सीएम रेखा गुप्ता के नाम लिखे पत्र में कहा है कि एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें डीपीएस द्वारका ने कथित तौर पर बढ़ी हुई वार्षिक स्कूल फीस का भुगतान न करने पर 34 छात्रों को निष्कासित कर दिया है। एक निजी स्कूल द्वारा इस तरह की कार्रवाई पूरी तरह से अस्वीकार्य है। कल्पना कीजिए कि इन युवा छात्रों को, जिन्हें अतिरिक्त सुरक्षा द्वारा स्कूल गेट पर रोका गया और स्कूल से बाहर होने के लिए मजबूर किया गया, उन्हें किस आघात से गुजरना पड़ रहा होगा। इस तरह की घटना के सामने आने पर ऐसे स्कूलों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करना दिल्ली सरकार का विशेषाधिकार होना चाहिए था।

भाजपा सरकार पर साधा निशाना

लेकिन, इसके बजाय माता-पिता को अपने बच्चों के लिए न्याय मांगने के लिए अंततः अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह हम किस तरह की मिसाल कायम करने की कोशिश कर रहे हैं? पिछले 10 वर्षों के दौरान जब AAP सत्ता में थी, हमने कभी भी किसी भी निजी स्कूल को अनुचित तरीके से फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं दी, छात्रों के नाम काटने की तो बात ही छोड़िए। वास्तव में नियमों का उल्लंघन करने वाले निजी स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई थी। हमने इन निजी स्कूल माफियाओं को स्पष्ट संदेश दिया था कि ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि, पिछले 3 महीनों में, जब से भाजपा सत्ता में आई है, निजी स्कूलों ने मनमाने और अनियंत्रित तरीके से फीस और शुल्क बढ़ाए हैं। अभिभावकों द्वारा बार-बार विरोध किए जाने के बावजूद, फीस में कोई कमी नहीं की गई है और न ही इन स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है। इस पूरी तरह से कार्रवाई न किए जाने के कारण ही छात्रों के खिलाफ ऐसी चौंकाने वाली कार्रवाई करने का साहस मिला है।