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राजनाथ बोले-अब राज्यों और शहरों के नाम पर होगा मिसाइल और एयरक्राफ्ट का नाम, INS इम्फाल की 10 खासियतें


पवन मिश्रा

Specialties Of INS Imphal: जलविरो के बीच खुशी का माहौल था। और यह खुशी इसलिए भी थी। कि जल्द ही जलसेना की ताकत में एक और इजाफा जो होने वाला है। और इस खुशी में शामिल होने के लिए नेवी चीफ के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह,सीडीएस अनिल चौहान,मणिपुर के मुख्यमंत्री बिरेन सिंह भी मौजूद थे। आपको बता दे कि साल 2023 से रक्षा मंत्रालय ने यह फैसला लिया था कि अब युद्धपोत का नाम शहरों के नाम से होगा। और इसकी शुरुवात सेवन सिस्टर,यानी नार्थ ईस्ट से होगी। गाइडेड मिसाइल स्टेल्थ डिस्ट्रॉयर इम्फाल अगले महीने नौसेना में शामिल होने जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज यानी मंगलवार को इम्फाल के क्रेस्ट का अनावरण किया।

80 प्रतिशत से ज्यादा समान मेक इन इंडिया

इम्फाल की डिजाइन किस तरह से की गई है, इसकी एक्सक्लुसिव जानकारी न्यूज 24 आपको देगा। जी हां, इसके शुरुवाती पॉइंट में डिजाइन के बाईं तरफ से कांगला पैलेस और दाईं ओर ‘कंगला-सा’ को दर्शाता है। आपको बता दे कि कांगला पैलेस मणिपुर का एक इम्पोर्टेन्ट प्लेस होने के साथ ही ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल है, अगर मणिपुर कि इतिहास की बात करे तो ड्रैगन का सर और पूरे शरीर के साथ, ‘कंगला-सा’ मणिपुर के इतिहास का Ancient देवता की तरह है। ‘कंगला-सा’ मणिपुर का राज्य का साइन भी है। इसे मुम्बई के मझगांव शिपयार्ड ने बनाया है। इम्फाल एयरक्राफ्ट में 80 प्रतिशत से ज्यादा समान इंडिया का बना हुआ है।

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आईएनएस इम्फाल की 10 खासियत 

1. ये राडार की पकड़ में भी नहीं आता है।
2.  इसकी पूरी लंबाई 164 मीटर और वजन 7400 टन है।
3. इस पोत पर 300 नौसैनिक तैनात हो सकते हैं।
4. इसकी स्पीड 55 किलोमीटर प्रति घंटा है।
5. ये 42 दिन तक समुद्र में रह सकता है।

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6. इस युद्धपोत में दो हेलीकॉप्टर भी तैनात हो सकते हैं।
7. चार पावरफुल गैस टरबाइन लगे हैं।
8. जमीन से हवा और जमीन से जमीन पर मार करने वाले मिसाइल भी तैनात हैं।
9. ब्रह्मोस और बराक तो है ही, दुश्मन की पनडुब्बी को नष्ट करने वाला रॉकेट लांचर भी है।
10. 76 मिलीमीटर का इसमे गन भी है।

आपको बता दे कि पुराने युद्धपोत की तुलना में ये कहीं ज्यादा आधुनिक और शक्तिशाली है। इससे नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी और समंदर में चीन और पाकिस्तान से मिलने वाली चुनौतियों को पलक झपकते ही नेस्तनाबूत कर देंगी। आपको बता दे कि यह भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के एक शहर के नाम पर रखा जाने वाला पहला युद्धपोत है, और इसके लिए 16 अप्रैल 2019 को भारत के राष्ट्रपति ने मंजूरी दी थी।