अर्थव्यवस्था को कोरोना के कहर से बचाने के लिए हो रही हरसंभव कोशिश, मिलेगा राहत पैकेज
नई दिल्ली। सरकार पर इन दिनों कारोबार के विभिन्न सेक्टर को राहत पैकेज देने के लिए चौतरफा दबाव है। इनमें एमएसएमई सेक्टर से लेकर कई रोजगारपरक क्षेत्र शामिल हैं। इसके लिए सरकार ने वित्त मंत्री के नेतृत्व में ‘कोविड-19 इकोनॉमिक रिस्पांस टास्क फोर्स’ का गठन कर दिया है। एमएसएमई मंत्रालय की तरफ से छोटे उद्यमियों के लिए राहत पैकेज की मांग करते हुए वित्त मंत्रालय को एक प्रस्ताव भी भेजा गया है। सूत्रों के मुताबिक राहत पैकेज के तहत वित्त मंत्रलय एयरलाइंस को फ्यूल टैक्स के साथ अन्य टैक्स में छूट दे सकता है। कोरोना की वजह से यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट की आशंका को देखते हुए नागरिक उड्डयन मंत्रलय ने वित्त मंत्रालय के पास यह प्रस्ताव भेजा है। इससे सरकार का 10,000-12,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्रभावित होगा।
इन क्षेत्रों पर दिख रहा कोरोना का असर
सूत्रों के मुताबिक एयरलाइंस के बाद सरकार टेक्सटाइल, होटल, ऑटोमोबाइल्स व फूड प्रोसेसिंग क्षेत्रों को भी वित्तीय मदद दे सकती है। ये सभी क्षेत्र रोजगारपरक क्षेत्र हैं और इन पर कोरोना का असर दिखने लगा है। यूरोप और अमेरिका के खरीदारों ने गारमेंट के निर्यातकों का ऑर्डर होल्ड कर दिया है। होटल में यात्रियों की संख्या में 50 फीसद तक कमी आ चुकी है। कोरोना के कारण वर्ष 2020 में ऑटोमोबाइल्स की बिक्री में आठ फीसद तक की गिरावट रह सकती है।
पेट्रोल-डीजल पर बढ़ाया था एक्साइज ड्यूटी
सूत्रों के मुताबिक इन क्षेत्रों को राहत पैकेज देने के लिए सरकार पेट्रोल व डीजल पर हाल ही में एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी से होने वाली अतिरिक्त आय का इस्तेमाल कर सकती है। पिछले सप्ताह सरकार ने पेट्रोल व डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में तीन रुपये प्रति लीटर का इजाफा किया है जिससे सरकार को चालू वित्त वर्ष में 40,000 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है।
एसबीआइ के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार एसके घोष के मुताबिक कोविड-19 से प्रभावित क्षेत्रों की मदद के लिए सरकार जरूरत के मुताबिक एक्साइज ड्यूटी में और बढ़ोतरी कर सकती है और लोगों को कच्चे तेल के दाम में गिरावट का फायदा देने से रोक सकती है। कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा कोरोना संकट के कारण भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में चालू वर्ष की पहली छमाही में 0.1 फीसद तक की गिरावट की आशंका जाहिर की गई है।
कोरोना से प्रभावित अमेरिका ने अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए दो लाख करोड़ डॉलर के राहत पैकेज का एलान किया है जिसे विभिन्न क्षेत्रों में वितरित किया जाएगा। ब्रिटेन ने 33,000 करोड़ पाउंड के राहत पैकेज की योजना बनाई है। इस पैकेज से छोटे कारोबारियों को वित्तीय मदद दी जाएगी ताकि वे अपने कर्मचारियों को सैलरी दे सके।