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निवेशकों को लुभाने के लिए आसान बनाए जाएंगे नियम, अमेरिका-चीन की कंपनियां भी भारत आने की इच्छुक

नई दिल्ली। अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वार और फिर कोरोना संकट की वजह से चीन से सप्लाई चेन ठप होने के मद्देनजर सरकार भारत को कई क्षेत्रों का बिजनेस हब बनाना चाहती है। इस काम को अंजाम देने के लिए सरकार निवेश के नियमों में बिल्कुल आसान करने जा रही है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की तरफ से निवेश के नए नियमों को तैयार करने का काम तेजी से किया जा रहा है। कैबिनेट सचिवालय में इस मामले को लेकर बैठकें भी की गई है। अमेरिका व चीन के बीच ट्रेड वार के दौरान चीन में काम करने वाली कई अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश को लेकर दिलचस्पी दिखा रही थी। अब चीन से दुनिया भर में सप्लाई चेन ठप होने से कई देश भारत को विकल्प के रूप में देख रहे हैं।

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक यही वजह है कि सरकार निवेश करने के नियमों को बिल्कुल आसान बनाने जा रही हैं। मुख्य रूप से तीन बदलाव किए जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक पहला महत्वपूर्ण नियम यह होगा कि निवेशकों को निवेश करने के लिए कई मंत्रालयों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। उन्हें विभिन्न एजेंसियों के पास भी जाने की जरूरत नहीं होगी। निवेश के लिए सिर्फ एक जगह पर आवेदन करना होगा। दूसरा महत्वपूर्ण नियम यह हो सकता है कि केंद्र सरकार के पास आवेदन करने वाले निवेशकों के साथ राज्यों को सहयोग करना होगा। इस मसले पर भी नियम बन रहा है। नियम को ऐसा बनाया जा सकता है कि राज्यों को हर हाल में निवेशकों को सहयोग करना ही होगा। निवेशकों को मुख्य रूप से राज्य सरकार पर निर्भर करना होता है।

तीसरा सबसे महत्वपूर्ण नियम यह बनने जा रहा है कि निवेशकों को आवेदन के बाद एक तय समय में मंजूरी देना अनिवार्य होगा। उस तय समय में मंजूरी नहीं दिए जाने पर अपने-आप ही उस परियोजना को निवेश के लिए मंजूर मान लिया जाएगा। इन क्षेत्रों में निवेश की है पूरी गुंजाइशमंत्रालय के मुताबिक भारत में ट्रांसपोर्ट, फार्मा व बायोटेक, पर्यटन, टेक्सटाइल, टेलीकॉम व आईटी, सुरक्षा, हेल्थकेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स, फूड प्रोसेसिंग, माइनिंग व रिटेल क्षेत्र में मुख्य रूप से निवेश की गुंजाइश है।सरकार के मुताबिक ट्रांसपोर्ट सेक्टर में 116 अरब डॉलर के निवेश की संभावना है। यही वजह है कि अगले वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में 1.7 लाख करोड़ रुपए सरकार खर्च करने जा रही है।

फार्मा व बायोटेक में 3.75 अरब डॉलर, पर्यटन में 5.44 अरब डॉलर, टेलीकॉम व आईटी में 1.33 अरब डॉलर, माइनिंग में 1.81 अरब डॉलर, टेक्सटाइल में 30.77 करोड़ डॉलर, तेल व गैस में 53.45 करोड़ डॉलर के निवेश के अवसर है।हेल्थकेयर इंडस्ट्री वर्ष 2022 तक 372 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। सुरक्षा के क्षेत्र में सरकारी इजाजत से 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के साथ भारत को सुरक्षा उपकरण का हब बनाना चाहती है।