EBM News Hindi
Leading News Portal in Hindi

Gratuity के कैलकुलेशन का ये है तरीका, जानिए मिलती है कितनी मोटी रकम

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अक्सर लोगों के मन में ग्रेच्‍युटी (Gratuity) को लेकर सवाल आता है कि यह क्या है? इसे कैसे कैलुक्लेट किया जाता है, इसका फायदा किसको मिलता है। क्‍या हर कर्मचारी को मिलता है ग्रेच्‍युटी का लाभ? पेमेंट ऑफ ग्रेच्‍युटी एक्‍ट, 1972 के तहत इसका लाभ उस संस्‍थान के हर कर्मचारी को मिलता है जहां 10 से ज्‍यादा एंप्‍लॉई काम करते हैं। अगर कर्मचारी नौकरी बदलता है, रिटायर हो जाता है या किसी कारणवश नौकरी छोड़ देता है लेकिन वह ग्रेच्‍युटी के नियमों को पूरा करता है तो उसे ग्रेच्‍युटी का लाभ मिलता है।

सबसे पहले जानिए ग्रेच्‍युटी क्या है?

ग्रेच्‍युटी किसी कर्मचारियों को मिलने वाला एक पूर्व-परिभाषित लाभ है। अगर कर्मचारी नौकरी की कुछ शर्तों को पूरा करता है तो ग्रेच्‍युटी का भुगतान एक निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटीड तौर पर उसे दिया जाएगा। अगर आप किसी संस्‍थान में लगातार 5 साल काम करते हैं तो आपको ग्रेच्‍युटी का लाभ मिलता है। हालांकि, ज्यादातर मामलों में इसे रिटायरमेंट के बाद भुनाया जाता है, लेकिन कुछ निश्चित परिस्थिति में इसे पहले भी हासिल किया जा सकता है

कॉन्ट्रैक्ट पर रखे कर्मचारी को नहीं मिलती ग्रेच्‍युटी

ऐसा कोई कर्मचारी जो कॉन्ट्रैक्ट पर किसी कंपनी के साथ जुड़ा है उसे ग्रेच्‍युटी का फायदा नहीं मिलता है, हालांकि कुछ कंपनियां अपने कर्मचारियों को चाहे वो कॉन्ट्रैक्ट पर ही क्यों न हो सभी तरह के लाभ देती हैं।

कैसे करते हैं ग्रेच्‍युटी का कैलकुलेशन

किसी भी कर्मचारी के प्रत्‍येक वर्ष की सेवा के लिए संस्‍थान पिछली सैलरी के 15 दिनों बराबर की रकम ग्रेच्‍युटी के तौर देगा। सैलरी मतलब (बैसिक सैलरी + महंगाई भत्‍ता + कमीशन) से है अगर कमीशन सेल्‍स का एक खास फीसद है। इसके अलावा, किसी कर्मचारी द्वारा अपनी सर्विस के अंतिम वर्ष से 6 महीने से अधिक काम करने पर उसे ग्रेच्‍युटी के कैलकुलेशन के लिए पूरे एक साल के योग्य माना जाएगा। मसलन, इसे ऐसे समझिये…फर्ज कीजिये, अगर कोई कर्मचारी अपने संस्‍थान में 5 साल 7 महीने काम करता है तो ग्रेच्‍युटी का कैलकुलेशन गणना 6 साल की सर्विस के आधार पर की जाएगी।

ग्रेच्‍युटी कैलकुलेशन के लिए एक महीने के काम को 26 दिन के तौर पर माना जाता है। इसलिए, 15 दिन का वेतन भी इसी आधार पर कैलकुलेट की जाती है (मासिक वेतन x15)/26। इस संख्‍या को सर्विस के साल से गुणा कर ग्रेच्‍युटी कैलकुलेशन होता है। यही फॉर्मूला रिटायरमेंट पर ग्रेच्‍युटी की गणना के लिए भी अपनाई जाती है।

इस फार्मूला के तहत, अगर कोई कर्मचारी 6 महीने से ज्यादा काम करता है तो उसकी गणना एक साल के तौर पर की जाएगी। मसलन, अगर कोई कर्मचारी 7 साल 8 महीने काम करता है तो उसे 8 साल मान लिया जाएगा और इसी आधार पर ग्रेच्‍युटी की रकम की गणना होगी। वहीं, अगर कोई कर्मचारी 4 वर्ष 3 महीने काम करता है तो उसे 4 वर्ष ही माना जाएगा और ग्रेच्‍युटी की रकम की गणना इसी आधार पर की जाएगी। ग्रेच्‍युटी की जो भी रकम जमा होती है वह उसके नॉमिनी या कानूनी उत्‍तराधिकारी को दे दी जाती है।

कर्मचारी की मृत्‍यु की दशा में क्या है ग्रेच्‍युटी की गणना

अगर किसी कर्मचारी की मृत्‍यु 5 साल की सेवा पूरी करने से पहले ही हो जाती है तो उस पर पांच साल की सर्विस का फॉर्मूला लागू नहीं होगा।

कितने दिनों पर मिलती है ग्रेच्‍युटी की रकम

कर्मचारी की नौकरी के आखिरी दिन के 10 दिनों के भीतर एंप्‍लॉयर को ग्रेच्‍युटी का भुगतान करना होता है। अगर इसमें 30 दिनों से ज्‍यादा की देरी होती है तो एंप्‍लॉयर को इसपर ब्‍याज का भुगतान करना होगा।