42 दिनों का त्योहारी सीजन ऑटोमोटिव सेक्टर के लिए रिकॉर्ड स्तर पर बिक्री के साथ एक धमाकेदार सीजन साबित हुआ. नवरात्रि से दिवाली तक की अवधि में उद्योग ने हर 2 सेकंड में एक कार और लगभग 3 दोपहिया वाहनों की बिक्री देखी, जबकि डीलरों को वाहनों की डिलीवरी की समय सीमा पूरी करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी.
त्योहारी मांग और वस्तुओं एवं सेवाओं तथा कर (जीएसटी) दरों के युक्तिकरण के संयोजन ने ऑटोमोटिव उद्योग को अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ त्योहारी सीजन दर्ज करने में मदद की. शोरूम में ग्राहकों की भारी भीड़ के कारण, देश भर के डीलरों ने अपने डीलरशिप अपने सामान्य व्यावसायिक समय से कहीं अधिक समय तक खुले रखे.
हर दिन की बिक्री
इस अवधि के दौरान लगभग 7,67,000 यात्री वाहन (कार, स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन और वैन) और 40.5 लाख दोपहिया वाहन (मोटरसाइकिल, स्कूटर और मोपेड) बेचे गए, यानी हर दिन औसतन 18,261 पीवी और 96,500 दोपहिया वाहन बिके.
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में इस वर्ष त्योहारी अवधि के दौरान पीवी खंड में 23% और दोपहिया खंड में 22% की वृद्धि दर्ज की गई.
मात्रा में इस उछाल ने राजस्व को भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचाया. यात्री वाहन खंड से 76,700-84,400 करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान है, जबकि दोपहिया वाहन खंड से 36,500-40,500 करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान है. यह FADA के अनुमान के अनुसार है, जिसके अनुसार प्रति कार 10-11 लाख रुपये और प्रति दोपहिया वाहन 90,000-1 लाख रुपये की कीमत होगी.
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार FADA के अध्यक्ष सीएस विग्नेश्वर ने कहा कि 2025 की 42-दिवसीय त्योहारी अवधि भारत के ऑटो रिटेल के लिए एक निर्णायक मील का पत्थर है, जो सभी श्रेणियों में अब तक की सबसे अधिक बिक्री और वृद्धि प्रदान करती है.
उन्होंने कहा कि देश भर के डीलरों ने रिकॉर्ड पूछताछ ज्यादा कन्वर्जन और आशावाद की स्पष्ट भावना की सूचना दी है क्योंकि ग्राहकों ने कम जीएसटी दरों और आकर्षक त्योहारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए खरीदारी के फ़ैसले पहले ही ले लिए हैं.
ग्रामीण बाजारों में रौनक
मांग के रुझान के बारीक विवरणों पर नजर डालने से एक दिलचस्प तस्वीर उभरती है. ग्रामीण बाजारों में खुदरा बिक्री में शहरी बाजार की तुलना में यात्री वाहनों की तीन गुना और दोपहिया वाहनों की दो गुना वृद्धि देखी गई.
भरपूर मानसून के कारण कृषि क्षेत्र में अच्छी पैदावार और वाहन व वित्तीय सेवाओं की आसान उपलब्धता ने वाहन निर्माताओं को ग्रामीण मांग का भरपूर लाभ उठाने में मदद की. वित्त वर्ष 2026 में पहली बार, ग्रामीण क्षेत्रों से कार और एसयूवी की बिक्री का हिस्सा 40% को पार कर लगभग 42% पर पहुंच गया. FADA के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 और वित्त वर्ष 2025 में ग्रामीण बाजारों की औसत हिस्सेदारी 38% थी.
ग्रामीण बाजार के पक्ष में रुझान का एक प्रमुख कारण छोटी कारों की मांग में तेजी रही. कार बाजार की अग्रणी कंपनी मारुति सुज़ुकी की खुदरा बाजार हिस्सेदारी अक्टूबर में बढ़कर 43% हो गई, जो पिछले साल इसी महीने में 41% से भी कम थी.
यह रुझान दोपहिया वाहन खंड में भी दिखाई दिया. इस अवधि में खुदरा बिक्री वाले हर पांच में से तीन दोपहिया वाहन ग्रामीण क्षेत्रों में खरीदे गए, जो 61% हिस्सेदारी दर्शाता है, जो कई महीनों में सबसे ज्यादा है.