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AI की अब तक की कहानी! कई सतहें खुलनी अभी बाकीं; भारत बनेगा AI की दौड़ का सबसे बड़ा विजेता


NSE के एमडी और सीईओ आशीष चौहान ने X पर पोस्‍ट क‍िया है क‍ि एआई एक बेहद उपयोगी तकनीक है और अगले कुछ साल या दशकों में जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी. यह बिजली, दूरसंचार या आईटी जैसे अधिकांश क्षेत्रों में उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि लाएगी.

उन्‍होंने अपने पोस्‍ट में ल‍िखा है क‍ि AI के मामले में, बड़ी अमेरिकी कंपनियों और अमेरिकी सरकार ने इसे दिमाग के इस्तेमाल के बजाय बड़े निवेश का मामला बताया. अत्यधिक महंगे हार्डवेयर, खरबों डॉलर के मॉडल आदि, कुछ हद तक उस प्रचार, विस्मय और आश्चर्य के मॉडल का हिस्सा थे जिसे अमेरिका छोटे देशों और छोटी कंपनियों को बाहर रखने के लिए अधिकांश नई तकनीकों पर नियंत्रण रखने के लिए अपनाता है.

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चैटजीपीटी की शुरुआत के बाद से पिछले तीन सालों में, यह लगातार याद दिलाया जाता रहा है कि चीन जैसे देश दुश्मन हैं, क्योंकि उनके पास भी एआई क्षमताएं हैं जिन्हें उन्होंने पिछले बीस सालों में सरकारी योजना और समन्वय का उपयोग करके विकसित किया है.

यह भी अनुमान लगाया गया था कि भारत जैसे देश एआई के क्षेत्र में पिछड़ रहे हैं, क्योंकि वे न तो अमेरिका जैसे हैं जो खरबों डॉलर खर्च कर सकता है, न ही चीन जैसे हैं जहां निवेश और प्रयासों को निर्देशित करने की सरकारी क्षमताएं अपार हैं.

AI क्षेत्र तेजी से बदल रहा है और हर दिन लोकतांत्रिक होता जा रहा है. तकनीक का लोकतंत्रीकरण हर गुजरते दिन के साथ नई तकनीकों की लागत को कम करता जा रहा है. AI तकनीक की लहरें इतनी तेजी से आ रही हैं कि कोई भी इसे नियंत्रित या समझ नहीं पा रहा है, खुद का मालिक बनना तो दूर की बात है.

आशीष चौहान ने पोस्‍ट में ल‍िखा क‍ि पिछले कुछ हफ्तों ने साबित कर दिया है कि चीन और अन्य देशों से आने वाले सैकड़ों ओपन वेट एआई मॉडल कहीं ज्‍यादा प्रभावी हैं और उन्हें अमेरिकी AI समूहों द्वारा पेश किए गए बड़े कंप्यूटिंग संसाधनों की भी आवश्यकता नहीं है. ये चीनी मॉडल अपने उद्देश्य के लिए अपनी प्रभावशीलता में बराबर या उससे बेहतर साबित हो रहे हैं.

मोटे तौर पर, पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिका की एआई कहानी का प्रचार, आश्चर्य और विस्मय काफी हद तक कम हो गया है. इसके परिणाम अगले कई साल तक महसूस किए जाएंगे.

भारत जैसे उपयोगकर्ता देश इसके लाभार्थी होंगे. उदाहरण के लिए, पिछले 60 साल में, भारत ने कंप्यूटर चिप्स, अधिकांश कंप्यूटर लैंग्‍वेज, डेटाबेस, नेटवर्क ड‍िवाइस आदि का आविष्कार नहीं किया था. इसके बावजूद, भारत पिछले कई दशकों से दुनिया में आईटी की दौड़ में विजेताओं में से एक रहा है.

मुझे पूरा विश्वास है कि अगले 20-30 साल में सूचना प्रौद्योगिकी के लिए सबसे अनुकूल देश के रूप में भारत AI की दौड़ का सबसे बड़ा विजेता होगा. भारतीय नीति निर्माताओं, संगठनों और व्यक्तियों को कड़ी मेहनत करनी होगी, समन्वय करना होगा और इस अत्यंत तेजी से विकसित हो रही स्थिति का सर्वोत्तम उपयोग करना होगा.

अगली दौड़ पहले से ही तैयार हो रही है. अमेरिका और चीन के बीच रोबोटिक्स. इस नई तेजी से आगे बढ़ती दौड़ के सबसे बड़े लाभार्थी बनने के लिए हम कैसे तैयार हों और रोबोटिक्स को एआई के साथ कैसे जोड़ें, इस पर विचार करने की जरूरत है.