ऑरम प्रॉपटेक की सहायक कंपनी PropTiger.com ने अपनी लेटेस्ट रियल इनसाइट रेजिडेंशियल रिपोर्ट (जुलाई-सितंबर 2025) जारी की है, जिसमें कहा गया है कि भारत के रेसिडेंशियल रियल एस्टेट क्षेत्र ने 2025 की तीसरी तिमाही में लचीलापन और स्थिरता दिखाई है. हालांकि फिर भी लेन-देन की मात्रा में थोड़ी कमी आई. इस तिमाही में नए घरों की सप्लाई में तिमाही-दर-तिमाही 9.1% बढ़ी है. इसके साथ 91,807 यूनिट्स तक पहुंच गई, जबकि घरों की बिक्री मोटे तौर पर 95,547 यूनिट्स पर स्थिर रही, जो तिमाही-दर-तिमाही केवल 2.2% और साल-दर-साल 1% कम थी.
बिक्री की मात्रा में कमी के बावजूद, कुल लेन-देन मूल्य साल-दर-साल 14% बढ़कर 1.52 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो प्रीमियम और उच्च-मूल्य वाले आवासों की ओर स्पष्ट बदलाव को दिखाता है. रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि खरीदारों की यह प्रवृत्ति एक परिपक्व बाजार को दिखाती है. यानी अब खरीदार एंट्री लेवल की कीमत की बजाय गुणवत्ता और लॉन्गटर्म वैल्यू को प्राथमिकता दे रहे हैं.
जीएसटी में कमी से राहत मिलेगी
स्थिर मुद्रास्फीति, मजबूत निजी खपत और स्थिर निर्माण गतिविधियों का हवाला देते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय आवास बाजार एक मजबूत व्यापक आर्थिक बुनियाद पर खड़ा है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि राजकोषीय घाटा कम हो रहा है, उधारी लागत अनुमानित बनी हुई है और निर्माण सामग्री पर जीएसटी में कमी जैसे नीतिगत सुधारों से इनपुट लागत का दबाव कम होने की उम्मीद है.
अर्थव्यवस्था में सुधार
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था अस्थिर वैश्विक परिवेश में स्थिरता के एक स्तंभ के रूप में उभरी है. वित्त वर्ष 26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.5-6.7% रहने का अनुमान है, जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति औसतन केवल 2.4% रहेगी, जो छह वर्षों में सबसे कम है. आरबीआई की रेपो दर 5.5% पर स्थिर बनी हुई है, जिससे उधार लेने का एक पूर्वानुमानित माहौल बना है और घर खरीदारों का विश्वास बढ़ा है.
दो फैसलों से आया बदलाव
जीएसटी परिषद ने सीमेंट (28% से 18%) और संगमरमर व ग्रेनाइट जैसी अन्य प्रमुख सामग्रियों (12% से 5%) पर टैक्स में कटौती का निर्णय लिया है. इससे निर्माण लागत कम होने और सामर्थ्य में वृद्धि होने की उम्मीद है.
प्रस्तावित पंजीकरण विधेयक 2025, जिसका उद्देश्य संपत्ति पंजीकरण और रिकॉर्ड-कीपिंग को डिजिटल बनाना है, जो अधिक पारदर्शिता और मुकदमेबाजी में कमी का वादा करता है.
साउथ का मार्केट बना हीरो
रिपोर्ट में अलग-अलग क्षेत्रीय रुझान सामने आए, जहां दक्षिणी शहरों का प्रदर्शन लगातार बेहतर रहा. हैदराबाद में 17,658 इकाइयों की बिक्री हुई, जो पिछले साल की तुलना में 53% अधिक है, जो आईटी क्षेत्र में रोजगार और बुनियादी ढांचे में वृद्धि के कारण संभव हुआ. बेंगलुरु में 13,124 इकाइयों की बिक्री हुई, जो अंतिम उपयोगकर्ताओं की मजबूत मांग के कारण संभव हुआ. पुणे और चेन्नई में नए लॉन्च की गतिविधियां क्रमशः 26% और 25% तिमाही-दर-तिमाही बढ़ीं.
इस बीच, दिल्ली-एनसीआर और एमएमआर (मुंबई महानगर क्षेत्र) में, हालांकि उच्च-मूल्य वाले लेनदेन प्रमुख थे, ऊंची कीमतों और लक्जरी परियोजनाओं की ओर झुकाव के कारण बिक्री कम रही. कोलकाता आश्चर्यजनक रूप से बेहतर प्रदर्शन करने वाला शहर रहा, जहां नए लॉन्च की संख्या पिछले साल की तुलना में 129% बढ़ी, जो डेवलपरों के नए विश्वास का संकेत है.
कीमतों में बढ़ोतरी जारी
सभी प्रमुख शहरों में संपत्ति की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी जारी रही. दिल्ली-एनसीआर में 19% की वार्षिक वृद्धि के साथ यह सबसे आगे रहा, इसके बाद बेंगलुरु (+15%), हैदराबाद (+13%) और चेन्नई (+9%) का स्थान रहा. यह व्यापक-आधारित प्रशंसा, अंतिम उपयोगकर्ता की निरंतर मांग और सीमित तैयार आपूर्ति को दर्शाती है.