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कर्मचारियों के हेल्थ स्कीम में बदलाव की तैयारी, क्या CGHS की जगह आएगा नया प्लान?


8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए स्वास्थ्य सुविधा का सबसे बड़ा सहारा CGHS (Central Government Health Scheme) है। इसे कर्मचारी और पेंशनर्स अपने लिए किसी बैकबोन की तरह मानते हैं। पिछले दस सालों में इस स्कीम में लगातार बदलाव हुए हैं। लगातार इसे ज्यादा डिजिटल और आसान बनाया गया है। अब जबकि 8वें वेतन आयोग की चर्चाएं तेज हैं, तो कर्मचारियों के बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या CGHS को किसी नई इंश्योरेंस बेस्ड स्कीम से बदला जाएगा?

CGHS में अब तक क्या सुधार हुए?

पिछले कुछ सालों में CGHS को और बेहतर बनाने के लिए कई सुधार किए गए। उदाहरण के तौर पर—

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  • प्राइवेट अस्पतालों में वार्ड की एलिजिबिलिटी अब कर्मचारियों की बेसिक सैलरी के आधार पर तय होती है।
  • CGHS कार्ड को आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (ABHA) से जोड़ने की कोशिश की गई, हालांकि इसे अभी अनिवार्य नहीं किया गया।
  • जिन कर्मचारियों की सैलरी से योगदान (contribution) कटता है, उन्हें अब कार्ड अपने आप जारी हो जाता है।
  • रैफरल की प्रक्रिया भी आसान हो गई है। सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए अब रैफरल की ज़रूरत नहीं पड़ती।
  • प्राइवेट अस्पतालों में एक रैफरल पर तीन स्पेशलिस्ट से कंसल्टेशन की सुविधा मिलती है।
  • वरिष्ठ नागरिकों के लिए उम्र की सीमा 75 से घटाकर 70 साल कर दी गई है।

2025 में आए नए नियम

  • ऑनलाइन अप्रूवल: अब CPAP, BiPAP और ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर जैसे मेडिकल उपकरणों की मंजूरी ऑनलाइन मिलती है।
  • नया पेमेंट सिस्टम: HMIS पोर्टल लॉन्च किया गया, जिससे अब सारे भुगतान इसी प्लेटफॉर्म से होंगे।
  • MyCGHS ऐप: इस ऐप से कार्ड ट्रांसफर, डिपेंडेंट्स जोड़ने और दूसरी सेवाओं का फायदा आसानी से मिल रहा है।
  • फोटो रूल्स में बदलाव: अब मरीज की फोटो सिर्फ एडमिट और डिस्चार्ज के समय ही ज़रूरी है।
  • फिजियोथेरेपी सुविधा: अब फिजियोथेरेपी सेवाएं घर पर भी मिल रही हैं।
  • फास्ट अप्रूवल: मेडिकल उपकरणों की मंजूरी 5 दिन में मिल जाती है और स्टेटस SMS और ईमेल से ट्रैक किया जा सकता है।

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8वें वेतन आयोग से उम्मीदें

8वें वेतन आयोग की घोषणा हो चुकी है, लेकिन अभी इसके Terms of Reference (ToR) और चेयरमैन-मेम्बर्स तय नहीं हुए हैं। ऐसे में कर्मचारियों और पेंशनर्स की सैलरी में बदलाव 2028 तक जाकर ही दिख सकता है। हालांकि राहत की बात यह है कि आयोग चाहे जब लागू हो, इसका असर 1 जनवरी 2026 से ही माना जाएगा।

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क्या आएगा नया इंश्योरेंस बेस्ड स्कीम?

इन सबके बीच चर्चा है कि CGHS की जगह एक नई इंश्योरेंस बेस्ड स्कीम (CGEPHIS) लाई जा सकती है। इससे कर्मचारियों और पेंशनधारकों को और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकती हैं।

कर्मचारी संगठनों की मांग है कि जब तक नई स्कीम लागू नहीं होती, तब तक CS(MA) और ECHS अस्पतालों को भी CGHS नेटवर्क में शामिल किया जाए। साथ ही, उनका कहना है कि फिटमेंट फैक्टर बढ़ने के बाद हेल्थ कॉन्ट्रीब्यूशन भी बढ़ेगा, तो सुविधाएं भी उसी अनुपात में बेहतर होनी चाहिए।

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