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शेयर बाजार में गिरावट के 5 बड़े कारण, निवेशकों के 1.84 लाख करोड़ डूबे


stock market falling today: शेयर बाजार में मंगलवार को गिरावट देखने को मिली है। अब इस गिरावट के पीछे वित्तीय, IT और ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में कमजोरी को वजह बताया गया है, जिसकी वजह से बाजार नीचे गया। RBI की नीतिगत घोषणा से पहले और वैश्विक व्यापार तनाव और अमेरिकी वित्तीय जोखिमों के बीच यह गिरावट आई है। इस दौरान सेंसेक्स करीब 800 अंकों तक गिरा जबकि 24500 अंक तक लुढ़क गया। आज दिन के 3 बजे BSI सेंसेक्स 584.28 अंक यानी 0.72% की गिरावट के साथ 80,789.47 अंक पर था। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी50 इंडेक्स भी 156.75 अंक यानी 0.63% गिरावट के साथ 24,559.85 अंक पर ट्रेड कर रहा था। ऐसे में इस गिरावट से BSE में लिस्टेड सभी कंपनियों का कुल मार्केट कैप 1.84 लाख करोड़ रुपये घटकर 443.66 लाख करोड़ रुपये हो गया। आखिर बाजार में इतनी बड़ी गिरावट के अहम् कारण कौन से हैं ?

दर में कटौती

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फेड गवर्नर क्रिस्टोफर वालर ने सुझाव दिया था कि इस साल भी दर में कटौती हो सकती है, जो आगामी आर्थिक आंकड़ों पर निर्भर करती है। इस साल बाजार में सितंबर में दर में कटौती की 75% संभावना मान रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस संकेत नहीं आया है।

तेल की कीमतों में उतारचढ़ाव

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उम्मीद से कम आपूर्ति के कारण कच्चे तेल की कीमतें अस्थिर बनी हुई हैं। ब्रेंट क्रूड 64.75 डॉलर प्रति बैरल के आसपास कारोबार कर रहा था, जबकि WTI 62.72 डॉलर पर कारोबार कर रहा था। यह पिछले दो महीनों में हुई वृद्धि के अनुरूप है।

ग्लोबल व्यापार से टेंशन बढ़ी  

 अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्टील और एल्यूमीनियम के आयात पर टैरिफ को दो गुना करके 50% करने की घोषणा की है और यह नियम 4 जून से लागू होगा। इस खबर को सुनकर निवेशकों का भरोसा कमजोर होने लगा। ऐसे में टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील और हिंडाल्को जैसे भारतीय धातु निर्यातकों के लिए चिंता बढ़ गई है। इस बारे में मार्केट एक्सपर्ट मानते हैं कि आगे भी व्यापार को लेकर स्थिति डांवाडोल रहेगी।

कमजोर ग्लोबल आर्थिक डेटा

 ताजा रिपोर्ट्स से पता चला है कि अमेरिकी विनिर्माण में लगातार तीसरे महीने गिरावट आई है। चीन में भी, फैक्टरी गतिविधि में 8 महीनों में पहली बार गिरावट आई है। ऐसे में अमेरिकी टैरिफ वैश्विक मांग और आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित करने लगे हैं। इन घटनाओं का असर अमेरिकी और एशियाई बाजारों पर पड़ा है। नैस्डैक और एसएंडपी 500 वायदा कारोबार में भी 0.3% से अधिक की गिरावट आई।

बढ़ता अमेरिकी ऋण और बॉन्ड यील्ड

अमेरिकी सीनेट एक नए $3.8 ट्रिलियन के कर और व्यय विधेयक पर चर्चा शुरू करेगी। सरकारी उधार बढ़ने की संभावना ने अमेरिकी बॉन्ड यील्ड को महत्वपूर्ण 5% स्तर के करीब धकेल दिया है, जिससे दुनियाभर के इक्विटी बाजारों पर दबाव बढ़ रहा है। ऐसे में अमेरिका पर कर्ज बढ़ रहा है, जिससे शेयर बाजार में डर का माहौल है।

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