रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने रेपो रेट में कटौती की है। RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स कटौती की गई है। RBI के इस कदम के बाद लोन सस्ते होने की उम्मीद बढ़ गई है। इससे पहले फरवरी में भी RBI ने रेपो रेट में कटौती की थी।
रिकवरी मोड में आर्थिक ग्रोथ
बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए RBI गवर्नर ने बताया कि मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने सर्वसम्मति से रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करने का निर्णय लिया, जिससे रेपो रेट अब 6% पर आ गई है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि इस कटौती के बाद लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी के तहत स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) रेट को 5.75%, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) रेट और बैंक रेट को 6.25% पर एडजस्ट किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आर्थिक ग्रोथ अभी रिकवरी के मोड में है। नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का निर्णय आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए लिया गया है।
पहले से ही था अनुमान
एक्सपर्ट्स पहले से ही कह रहे थे कि रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती हो सकती है, क्योंकि महंगाई के मोर्चे पर फिलहाल कोई बड़ी चिंता नजर नहीं आ रही है। विकास को प्रोत्साहित करने के लिए रिजर्व बैंक रेपो रेट पर कुछ अतिरिक्त राहत दे सकता है। रॉयटर्स के सर्वेक्षण के अनुसार, 90 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों (60 में से 54) ने उम्मीद जताई थी कि केंद्रीय बैंक अपनी बेंचमार्क रेपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट्स घटाकर 6 प्रतिशत कर देगा।
इस साल कितनी कटौती?
अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि आरबीआई 2025 में कुल 75 बेसिस पॉइंट्स की तीन और ब्याज दर कटौतियां लागू कर सकता है। इन उपायों का उद्देश्य बढ़ते व्यापार तनाव के बीच आर्थिक विकास को समर्थन देना है। RBI MPC की अगली बैठक 4-6 जून को होगी। RBI मौद्रिक नीति की समीक्षा के लिए हर दो महीने के अंतराल में यह बैठक करता है। मौद्रिक नीति समिति (MPC) में कुल 6 सदस्य होते हैं, जिसमें से 3 आरबीआई के होते हैं, जबकि बाकी केंद्र द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। तीन दिनों तक चलने वाली इस बैठक में रेपो रेट सहित कई मुद्दों पर चर्चा होती। तीसरे दिन ही सुबह बैठक के निर्णयों की जानकारी साझा की जाती है।
आप पर क्या होगा असर?
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। ऐसे में जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो बैंकों के लिए कर्ज महंगा हो जाता है और वो ग्राहकों के कर्ज को भी महंगा कर देते हैं। इसके उलट जब रेपो रेट में कटौती होती है, तो लोन सस्ते होने का रास्ता खुल जाता है और आपकी EMI का बोझ कुछ कम होने की संभावना बढ़ जाती है। लिहाजा, अब जब RBI ने रेपो रेट में कटौती का ऐलान कर दिया है, तो संभावना है कि लोन सस्ते होंगे और आपकी EMI का बोझ भी कुछ कम होगा।
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Apr 09, 2025 10:25
Edited By
Neeraj