अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों से भारतीय शेयर बाजार हाल के दिनों में आई रिकवरी को गंवा चुका है। बाजार में सोमवार को इतनी बड़ी गिरावट आई कि निवेशकों में खलबली मच गई। शुरुआत के चंद सेंकंड में ही उन्हें 19 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। बाजार में पैसा लगाने वाले इस गिरावट से बुरी तरह आशंकित हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए। हालांकि, एक्सपर्ट्स मार्केट की रिकवरी को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं।
जल्द बेहतर होंगे हालात
केजी सोमानी एलएलपी की पार्टनर निशा सुयाल अग्रवाल का कहना है कि इस समय धैर्य ही कुंजी है। मौजूदा अस्थिर माहौल में वेट एंड वॉच की रणनीति कारगर है। निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद और सरकारी उपाय इस वैश्विक प्रभाव को कम करने में सहायक होंगे। सरकार अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते को मजबूत करने के लिए भी बातचीत कर रही है, जिससे हालात जल्द बेहतर हो सकते हैं।
भारत की स्थिति बेहतर
उन्होंने कहा कि टैरिफ के मामले में भारत की स्थिति अन्य देशों की तुलना में अधिक अनुकूल है। चूंकि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में अमेरिका को निर्यात की हिस्सेदारी मात्र 2% है, इसलिए वैश्विक व्यापार व्यवधानों के प्रति देश का जोखिम सीमित है। निशा सुयाल अग्रवाल ने आगे कहा कि ऐतिहासिक रूप से, भारत सहित एशियाई बाजारों ने अस्थिरता के बावजूद लचीलापन दिखाया है। उन्होंने निवेशकों को घबराहट में बिकवाली से बचने की सलाह दी। साथ ही उन्होंने कहा कि एक स्मार्ट, दीर्घकालिक निवेश रणनीति के रूप में SIP को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।
यह सेंटिमेंटल सेलऑफ
वहीं, कई दूसरे एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है। भारतीय मार्केट इस स्थिति से जल्द बाहर निकलने की क्षमता रखता है। सीएनबीसीटीवी18 की रिपोर्ट के अनुसार, पाइपर सेरिका के अभय अग्रवाल का कहना है कि भारतीय बाजार की गिरावट एक तरह का कोलैटरल डैमेज है। उनका कहना है कि ग्लोबल मार्केट में गिरावट की वजह से हमारे मार्केट में गिरावट देखने को मिल रही है। लिहाजा इसे एक सेंटिमेंटल सेलऑफ कहा जा सकता है।
आते रहते हैं उतार-चढ़ाव
अभय अग्रवाल ने कहा कि इसी हफ्ते बाजार में रिकवरी देखने को मिल सकती है। उन्होंने कहा कि निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है, मार्केट में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। अग्रवाल ने कहा कि सोमवार की गिरावट का फंडामेंटल से कोई लेना-देना नहीं है, यह एक टेक्निकल करेक्शन है। बता दें कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब भारतीय बाजार इतनी बड़ी गिरावट से गुजरा है। पिछले साल लोकसभा चुनाव परिणाम वाले दिन इससे भी बड़ी गिरावट देखने को मिली थी, लेकिन मार्केट उससे भी जल्द बाहर निकल आया था।
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Apr 08, 2025 08:47
Edited By
Neeraj