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91 लाख में बन सकते हैं इस द्वीप के नागरिक, लेकिन क्यों बेचनी पड़ रही है नागरिकता?


Citizenship Scheme: क्या आपने कभी एक खूबसूरत द्वीप का नागरिक बनने का सोचा है? अगर हां तो यह मौका आपके लिए हो सकता है। सिर्फ 91 लाख रुपये में आप इस द्वीप के नागरिक बन सकते हैं। लेकिन आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि इस देश को अपनी नागरिकता बेचनी पड़ रही है? क्या यहां आर्थिक संकट है या फिर कोई और बड़ी वजह? यह खबर हैरान करने वाली है और दिल को छू लेने वाली भी। आइए जानते हैं इस द्वीप की कहानी, जहां लोग अपनी पहचान बचाने के लिए अनोखा फैसला ले रहे हैं।

जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए उठाया कदम

दक्षिण-पश्चिम प्रशांत महासागर में एक छोटा सा देश है नाउरू, जो सिर्फ 20 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यह देश जलवायु परिवर्तन की बड़ी समस्या का सामना कर रहा है। समुद्री जलस्तर बढ़ने, तूफानों और तटीय कटाव की वजह से यहां के लोगों को खतरा है। इस समस्या से निपटने के लिए नाउरू सरकार ने एक अनोखी योजना बनाई है। सरकार “गोल्डन पासपोर्ट” योजना के तहत अपनी नागरिकता बेच रही है। कोई भी व्यक्ति $105,000 (करीब ₹91 लाख) देकर नाउरू की नागरिकता खरीद सकता है। इस पैसे का इस्तेमाल सरकार अपने 12,500 नागरिकों को सुरक्षित ऊंचे इलाकों में बसाने और नई बस्तियां बनाने के लिए करेगी, ताकि लोग जलवायु संकट से बच सकें।

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89 देशों में मिलेगा वीजा फ्री ट्रैवल

नाउरू की नागरिकता लेने वालों को बड़ी सुविधा मिलेगी। वे 89 देशों में बिना वीजा के यात्रा कर सकते हैं, जिनमें UK, हांगकांग, सिंगापुर और UAE जैसे बड़े देश शामिल हैं। लेकिन नाउरू सरकार ने साफ कर दिया है कि क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिलेगी, ताकि कोई इस योजना का गलत इस्तेमाल न कर सके। विशेषज्ञों के अनुसार, यह योजना उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती है, जिनके पास ऐसे पासपोर्ट हैं जिनसे कम देशों में यात्रा की जा सकती है। हालांकि ज्यादातर लोग जो नाउरू की नागरिकता लेंगे, वे शायद ही कभी इस देश में आएंगे, लेकिन इससे उन्हें दुनिया घूमने और एक अंतरराष्ट्रीय जीवन जीने का मौका मिलेगा।

खनन ने बिगाड़ी स्थिति

नाउरू पहले फॉस्फेट खनन के लिए मशहूर था। लेकिन 1900 के दशक की शुरुआत से लगातार खुदाई के कारण द्वीप का 80% हिस्सा बंजर हो गया। अब यहां के लोग तटीय इलाकों में रहने को मजबूर हैं, जो जलवायु परिवर्तन की वजह से खतरे में हैं। समुद्र का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जो नाउरू के डूबने का खतरा बढ़ा रहा है। फॉस्फेट खत्म होने के बाद, नाउरू को नई कमाई के तरीकों की जरूरत पड़ी। इसके लिए सरकार ने ऑस्ट्रेलिया के शरणार्थियों के लिए डिटेंशन सेंटर बनाया, जिससे पैसा कमाया जा सके। लेकिन सुरक्षा कारणों से इस योजना को सीमित कर दिया गया।

भविष्य के लिए जरूरी कदम

नाउरू के राष्ट्रपति डेविड अडियांग ने कहा, “जब दुनिया जलवायु परिवर्तन पर बहस कर रही है, हमें अपने देश के भविष्य को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।” उन्होंने इस योजना को देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी मदद बताया। इसके जरिए नाउरू के लोगों को सुरक्षित जगहों पर बसाया जाएगा। हालांकि कई विशेषज्ञ इस योजना पर सवाल उठा रहे हैं कि यह कितनी सफल होगी। फिर भी नाउरू ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए यह बड़ा कदम उठाया है। यह भविष्य में अन्य छोटे द्वीप देशों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है।

Current Version

Mar 06, 2025 16:48

Edited By

Ashutosh Ojha