Personal Finance: सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) म्यूचुअल फंड में निवेश का सरल और लोकप्रिय तरीका है। सबसे खास बात यह है कि SIP में कम निवेश से भी शुरुआत की जा सकती है, जिससे निवेश करना आसान हो जाता है। यह न केवल निवेशक को लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट रणनीति के प्रति प्रतिबद्ध रहने में सक्षम बनाता है, बल्कि कंपाउंडिंग का अधिकतम लाभ भी प्रदान करता है। लंबी अवधि में कंपाउंडिंग के परिणाम कई बार इतने शानदार होते हैं कि यकीन करना मुश्किल हो जाता है।
SIP के कई फायदे
SIP की विशेषताओं की बात करें, तो इसमें साप्ताहिक, मासिक या त्रैमासिक (Quarterly) आधार पर निवेश किया जा सकता है। लोग अपनी वित्तीय स्थिति के आधार पर कभी भी अपनी निवेश राशि को एडजस्ट कर सकते हैं। निवेश राशि संबंधित व्यक्ति के बैंक खाते से ऑटो-डेबिट हो जाती है। इसके अलावा, एसआईपी में आपके पास फ्लेक्सिबल विकल्प होता है। इसका मतलब है कि SIP शुरू करने के बाद उसकी निवेश राशि को कम या बढ़ाया जा सकता है।
ऐसे समझें SIP की पावर
चलिए म्यूचुअल फंड में SIP और कंपाउंडिंग की शक्ति को पहचानने के लिए एक प्रयोग करके देखते हैं। यहां हम जानेंगे कि अगर आप 25 साल तक हर महीने 2000 रुपये और 5 साल तक हर महीने 20,000 रुपये निवेश करते हैं, तो आप कितनी रकम जुटा सकते हैं?
25 साल के लिए 2000 रुपये निवेश
अगर आप 25 साल तक हर महीने 2000 रुपये निवेश करते हैं, तो आप 34,04,413 रुपये का फंड जमा कर पाएंगे।
कैलकुलेशन को इस प्रकार समझें
25 साल में कुल निवेश: 6,00,000 रुपये
अनुमानित रिटर्न: 28,04,413 रुपये (12% प्रति वर्ष की दर के आधार पर)
मैच्योरिटी अमाउंट: 34,04,413 रुपये
5 साल के लिए 20,000 रुपये निवेश
इसी तरह, अगर आप पांच साल तक हर महीने 20,000 रुपये निवेश करते हैं, तो आप 16,22,072 रुपये का फंड जमा कर पाएंगे।
कैलकुलेशन को इस प्रकार समझें
5 साल में कुल निवेश: 12,00,000 रुपये
अनुमानित रिटर्न: 4,22,072 रुपये (12% प्रति वर्ष की दर से गणना)
मैच्योरिटी अमाउंट: 16,22,072 रुपये
ऐसे मिलता है फायदा
इस उदाहरण से यह समझ आता है कि आप SIP में कम राशि निवेश करके भी बड़ा फंड तैयार कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको धैर्य रखना होगा और निवेश की आदत को बरकरार रखना होगा। अगर आप लॉन्ग टर्म को ध्यान में रखकर निवेश करते हैं, तो आपको अच्छा रिटर्न मिल सकता है। लॉन्ग टर्म में कंपाउंडिंग को अपनी शक्ति दिखाने का पूरा मौका मिलता है।
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क्या है कंपाउंडिंग?
कंपाउंडिंग की बात करें, तो इसका मतलब है पहले मिले रिटर्न पर रिटर्न कमाना। इसे चक्रवृद्धि ब्याज भी कहते हैं। कंपाउंडिंग से समय के साथ धीरे-धीरे मूलधन और संचित ब्याज दोनों पर रिटर्न उत्पन्न करने में मदद मिलती है, जो लंबी अवधि में तेजी से वृद्धि में योगदान देता है। इसलिए चक्रवृद्धि ब्याज की शक्ति कई बार ऐसे परिणाम देती है कि यकीन करना मुश्किल हो जाता है।
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Mar 06, 2025 09:27
Edited By
Neeraj