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भारतीय मार्केट में किस क्रिप्टोकरेंसी का पड़ सकता है असर?


Jio Coin vs Pi Coin: अगर 10 साल पहले तक हम क्रिप्टोकरेंसी की बात करते तो इसके बारे में सोचना थोड़ा मुश्किल होता, लेकिन पिछले कुछ सालों में क्रिप्टो ने अपना मार्केट तैयार कर लिया है। यहां तक कि अब भारत में भी रिलायंस ने खुद का क्रिप्टो शुरू कर दिया है, जिसे Jio Coin कहा जा रहा है। इसके साथ ही हाल ही में Pi Coin नाम से एक क्रिप्टो पेश किया गया है, जो काफी चर्चा में है। Pi Coin और Jio Coin दो ऐसे क्रिप्टो हैं जो अभी प्री-लॉन्च स्टेज में हैं। जहां Pi Coin एक सेंट्रलाइज्ड डिजिटल इकोनॉमी बनाने की ओर बढ़ रही है, वहीं Jio Coin को रिलायंस जियो के डिजिटल इकोसिस्टम में इंटीग्रेट करने की योजना है। आइए जानते हैं कि इन दोनों क्रिप्टोकरेंसी का भारतीय मार्केट पर क्या असर होगा।

क्या है Pi Coin?

Pi Coin एक क्रिप्टोकरेंसी है जिसे स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट्स ने डेवलप किया है। इसका उद्देश्य मोबाइल के माध्यम से आसान माइनिंग को संभव बनाना है, जिससे ज्यादा एनर्जी की खपत न हो। हालांकि, यह अभी प्री-मेननेट (Pre-Mainnet) स्टेज में है, इसलिए इसे अभी मेन एक्सचेंजों पर बिजनेस के लिए लिस्ट नहीं किया गया है। इसमें माइनिंग काफी आसान है, यूजर मोबाइल ऐप के माध्यम से ट्रांजैक्शन को वेरिफाई करके Pi Coin कमा सकते हैं। बाजार स्थिति की बात करें तो यह अभी केवल टेस्टिंग फेज में है और इसके लिए कोई आधिकारिक ट्रेडिंग उपलब्ध नहीं है।

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क्या है Jio Coin?

Jio Coin, रिलायंस जियो की क्रिप्टोकरेंसी है, जिसे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग करके जियो की अलग-अलग डिजिटल सर्विसेज में इंटीग्रेट करने की प्लानिंग की जा रही है। भारत में 450 मिलियन से अधिक Jio यूजर होने के कारण, इस कॉइन को ज्यादा लोग एक्सेप्ट करेंगे। संभावना जताई जा रही है कि इसका इस्तेमाल यूजर मोबाइल रिचार्ज, ऑनलाइन शॉपिंग और ओटीटी सब्सक्रिप्शन में कर सकेंगे। इसके साथ ही जियो यूजर को लॉयल्टी रिवॉर्ड्स भी दिए जाएंगे, जिसमें पुरस्कार और कैशबैक शामिल होगा।

Pi Coin vs Jio Coin

विशेषता Pi Coin Jio Coin
माइनिंग और एक्सेसिबिलिटी कोई भी स्मार्टफोन यूजर माइन कर सकता है केंद्रीय रूप से जारी होने की संभावना, पब्लिक माइनिंग नहीं
स्वीकृति और मार्केट एक्सेस समुदाय द्वारा संचालित, सेंट्रालाइज्ड कॉर्पोरेट सपोर्ट, क्विक  एक्सेप्टेंस
ब्लॉकचेन और सिक्योरिटी Stellar Consensus Protocol (SCP) का संशोधित संस्करण उपयोग करता है Polygon ब्लॉकचेन पर आधारित हो सकता है
रियल वर्ल्ड में उपयोग अभी कोई आधिकारिक उपयोग नहीं, लेकिन पी2पी ट्रांजैक्शन की संभावना रिलायंस के बिजनेस मॉडल में शामिल होने की उम्मीद
रेगुलेटरी अनुपालन अभी स्पष्ट नहीं, एक्सचेंज लिस्टिंग में अब तक नहीं है शामिल रिलायंस के प्रभाव के कारण भारतीय नियमों का पालन करने की संभावना

चुनौतियां और जोखिम

Pi Coin  के साथ सबसे बड़ा जोखिम ये है कि यह अभी तक किसी क्रिप्टो एक्सचेंज पर लिस्ट नहीं है। अभी तक इसे  सरकार का अप्रूवल नहीं मिला है।  Jio Coin की बात करें तो यह पूरी तरह से सेंट्रलाइज्ड है,  जिससे स्वतंत्रता सीमित हो सकती है। यानी ये पूरी तरह से  रिलायंस के इकोसिस्टम पर निर्भर करेगा। अन्य जोखिमों की बात करें तो इन क्वाइन्स के साथ बाजार में अस्थिरता के कारण वैल्यू में गिरावट और बढ़ोतरी होना आम बात है। इसके अलावा ये क्वाइन्स साइबर सिक्योरिटी और साइबर हमलों का कारण भी बन सकते हैं। ऐसे में ये कहना कि कौन सा क्रिप्टो बेहतर परफॉर्म करेगा, थोड़ा मुश्किल है।

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Current Version

Feb 21, 2025 14:20

Edited By

Ankita Pandey