Personal Loan Tips: पर्सनल लोन के लिए आवेदन करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आप बैंक, NBFC (गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान) या फिनटेक द्वारा तय पात्रता मानदंड को पूरा करते हैं। यदि आप इन्हें पूरा नहीं करते हैं, तो आपकी एप्लीकेशन रिजेक्ट हो सकती है। पर्सनल लोन की मंजूरी में क्रेडिट स्कोर अहम भूमिका निभाता है। अन्य कारकों में आपकी आयु, आय, नौकरी, KYC, कर्ज-से-आय अनुपात, निवास का शहर आदि शामिल हैं। आइए समझते हैं कि ये सभी कैसे असर डालते हैं।
क्रेडिट स्कोर का महत्व: क्रेडिट स्कोर तीन अंकों की संख्या होती है, जो क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियों (CICs) द्वारा दी जाती है। भारत में RBI से लाइसेंस प्राप्त 4 CIC हैं:
- CIBIL (क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड)
- Equifax क्रेडिट इंफॉर्मेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड
- Experian क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
- CRIF हाई मार्क क्रेडिट इंफॉर्मेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड
इन सभी के पास क्रेडिट स्कोर बनाने के अपने अलग तरीके हैं। क्रेडिट स्कोर आपकी वित्तीय आदतों और कर्ज चुकाने की क्षमता को दर्शाता है। बैंक और NBFC लोन मंजूरी देते समय इसे बहुत महत्व देते हैं।
अच्छे क्रेडिट स्कोर के फायदे: बैंक और एनबीएफसी 750 या उससे अधिक के स्कोर को अच्छा मानते हैं। जितना अधिक स्कोर होगा, लोन मंजूर होने की संभावना उतनी ही बेहतर होगी। अगर आपका स्कोर 750 से ज्यादा है, तो आप कम ब्याज दर, प्रोसेसिंग फीस में छूट या माफी, ज्यादा लोन राशि, लंबी पुनर्भुगतान अवधि पर मोलभाव कर सकते हैं।
क्रेडिट स्कोर 750 से कम होने पर लोन एप्लिकेशन रिजेक्ट होगी, यह जरूरी नहीं है। कुछ बैंक कम स्कोर वाले आवेदनों को केस-टू-केस आधार पर मंजूर कर सकते हैं। हालांकि, ऐसी स्थिति में वे उच्च ब्याज दर या सख्त शर्तें लगा सकते हैं।
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कुछ अन्य कारक जो पर्सनल लोन की मंजूरी में अहम भूमिका निभाते हैं:
उम्र: हर बैंक और एनबीएफसी पर्सनल लोन के लिए न्यूनतम और अधिकतम उम्र तय करता है। आवेदक की उम्र इस तय सीमा के अंदर होनी चाहिए।
आय: बैंक और एनबीएफसी न्यूनतम आय तय करते हैं। आपकी मासिक आय इस सीमा से अधिक होनी चाहिए।
शिक्षा योग्यता: कुछ बैंक न्यूनतम शिक्षा योग्यता तय करते हैं। आमतौर पर, यह ग्रेजुएशन या डिप्लोमा होती है।
नौकरी: बैंक या एनबीएफसी आवेदक की नौकरी की स्थिरता को देखते हैं। स्थिर नौकरी से नियमित आय होती है, जो लोन की ईएमआई चुकाने में मदद करती है। सरकारी नौकरी, पीएसयू, या प्रतिष्ठित निजी कंपनियों में काम करने वालों को प्राथमिकता मिलती है।
कर्ज से आय का अनुपात (DTI Ratio): DTI अनुपात यह बताता है कि आपकी मासिक आय का कितना हिस्सा कर्ज चुकाने में जाता है। इसमें लोन की EMI और क्रेडिट कार्ड के बिल शामिल हैं। अगर DTI 35% या उससे कम है, तो बैंक इसे अच्छा मानते हैं और लोन मंजूर होने की संभावना ज्यादा होती है। अगर DTI 36% से 50% के बीच है, तो कुछ बैंक इसे विशेष शर्तों के साथ मंजूर कर सकते हैं। DTI 50% से ज्यादा होने पर लोन स्वीकृति की संभावना कम हो जाती है।
आवेदन फॉर्म और डॉक्यूमेंट: लोन के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करते समय भरा हुआ आवेदन फॉर्म और जरूरी दस्तावेज जमा करना होता है। KYC दस्तावेज में आपकी फोटो, पहचान प्रमाण (जैसे PAN कार्ड), और पता प्रमाण आदि का इस्तेमाल होगा। आय के दस्तावेज में नौकरीपेशा के लिए बैंक स्टेटमेंट और सैलरी स्लिप और सेल्फ एंप्लॉयड के लिए आयकर रिटर्न (ITR) और बैंक स्टेटमेंट होना जरूरी है। ध्यान रखें कि आपके फॉर्म में कोई गलती न हो।
आवेदक का शहर: कुछ बैंक और NBFC सिर्फ चुनिंदा शहरों में सेवाएं देते हैं। मेट्रो और टियर-I शहरों में रहने वाले आवेदकों के पास ज्यादा विकल्प होते हैं। वहीं छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में विकल्प सीमित होते हैं।
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Current Version
Nov 21, 2024 08:58
Written By
Simran Singh