Multi-lane free-flow: देश में हाईवे पर टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी-लंबी लाइनें अक्सर ड्राइवरों और यात्रियों के लिए परेशानी का कारण बनती हैं। इसी समस्या को दूर करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने बड़ा कदम उठाया है। अब ऐसा सिस्टम आ रहा है, जिसमें टोल देने के लिए गाड़ियों को रुकना नहीं पड़ेगा।
देश का पहला MLFF टोल सिस्टम
NHAI के सहयोग से इंडियन हाईवेज मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड (IHMCL) और ICICI बैंक ने एक एग्रीमेंट किया है। इसके तहत देश का पहला मल्टी-लेन फ्री-फ्लो (MLFF) टोलिंग सिस्टम लागू किया जाएगा। ये सिस्टम गुजरात के चोरयासी टोल प्लाजा (NH-48) पर शुरू होगा। यानी यहां से गुजरते वक्त गाड़ियों को रोके बिना ही टोल अपने-आप कट जाएगा।
हरियाणा में भी होगा इस्तेमाल
ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, इस करार पर हस्ताक्षर नई दिल्ली में NHAI मुख्यालय पर किए गए। शुरुआत में यह सिस्टम गुजरात के चोरयासी टोल प्लाजा पर लागू होगा और इसके बाद हरियाणा के घरौंडा टोल प्लाजा (NH-44) पर भी इसे शुरू करने की तैयारी है।
ये भी पढ़ें- चीन में PM ने की HongQI L5 की सवारी, इस ‘रोल्स रॉयस’ की कीमत और फीचर्स कर देंगे हैरान
आने वाले समय में बाकी जगह लागू होगा
NHAI ने साफ किया है कि यह प्रयोग सिर्फ दो टोल प्लाजा तक सीमित नहीं रहेगा। योजना है कि वित्त वर्ष 2026 तक देश के करीब 25 टोल प्लाजा पर यह सिस्टम लागू किया जाएगा। इसके लिए उपयुक्त जगहों की पहचान की जा रही है। NHAI चेयरमैन संतोष कुमार यादव ने कहा कि यह कदम देश में टोलिंग को आधुनिक बनाने की दिशा में एक अहम मील का पत्थर साबित होगा।
क्या है MLFF सिस्टम?
मल्टी-लेन फ्री-फ्लो (MLFF) टोलिंग सिस्टम एक हाई-टेक तकनीक है। इसमें गाड़ियों को टोल प्लाजा पर रुकने की ज़रूरत नहीं होती। RFID रीडर्स और ANPR कैमरे (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन) गाड़ियों की नंबर प्लेट और FASTag को स्कैन कर लेंगे। इसके बाद टोल शुल्क अपने-आप खाते से कट जाएगा और वाहन बिना रुके निकल जाएगा।
मिलेगा यात्रियों को बड़ा फायदा
इस सिस्टम के शुरू होने से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि टोल प्लाजा पर ट्रैफिक जाम की समस्या काफी कम हो जाएगी। साथ ही, लोगों का समय बचेगा, ईंधन की खपत घटेगी और प्रदूषण भी कम होगा। सरकार का मानना है कि यह प्रणाली यात्रियों के सफर को आसान और आरामदायक बनाने के साथ-साथ टोल वसूली को भी अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाएगी।
ये भी पढ़ें- E20 फ्यूल पॉलिसी पर सुप्रीम कोर्ट में 1 सितंबर को सुनवाई, क्या है मामला?