महिलाएं होठों में लगाती हैं छल्ले, तो पुरुष शरीर बनाते हैं घाव के निशान और पीते हैं खून, दुनिया की सबसे खतरनाक जनजाति
Mursi Tribe World’s Most Dangerous Ethnic Group: मनुष्य ने अपने विकास क्रम में कई परंपराएं जोड़ी हैं और कई छोड़ी हैं. हालांकि इस प्रक्रिया में दुनिया की कई ऐसी जनजातियां हैं, जो अब भी उसी काल के अनुसार जीवन बिता रही हैं. ऐसी ही इथियोपिया के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में बसने वाली मुर्सी जनजाति है, जो दक्षिण सूडान और केन्या की सीमा से सटी ओमो वैली की प्राचीन सांस्कृतिक समुदायों में शामिल है. यह अपने खानाबदोश जीवन और कठोर परिस्थितियों के कारण एक सख्त और सावधानी से देखी जाने वाली जनजाति मानी जाती है. हमेशा पानी और चरागाह की तलाश में घूमते रहने वाली यह जनजाति अफ्रीका की सबसे “खतरनाक” जनजातियों में गिनी जाती है.
मुर्सी योद्धा संस्कृति: पड़ोसियों से संघर्ष ने बनाया ‘भीषण’
पड़ोसी जनजातियों और सरकार के साथ लंबे संघर्षों ने उनके भीतर एक भयावह योद्धा संस्कृति विकसित कर दी है, जिसके चलते वे अपने संसाधनों और जमीन की रक्षा बेहद आक्रामक तरीके से करते हैं. गांवों में बंदूकें, शरीर पर घाव के निशान और अनोखी सजावट आम दिखती है, हालांकि वे जनजातीय कानूनों का पालन करते हैं और यदि कोई उन्हें नुकसान न पहुंचाए, तो वे भी किसी पर हमला नहीं करते.

मुर्सी महिलाओं की लिप-प्लेट परंपरा का रहस्य
मुर्सी महिलाओं की लिप-प्लेट परंपरा भी इसी अनोखी संस्कृति का हिस्सा है, जिसमें निचले होंठ में प्लेट लगाना उपजाऊ क्षमता और विवाह योग्यता का प्रतीक माना जाता है. बाहरी लोगों के लिए यह परंपरा भयावह लग सकती है, लेकिन जनजाति के भीतर यह सामाजिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है और विवाह भी अधिकतर जनजाति के भीतर ही होते हैं. दुनिया से सीमित संपर्क और बाहरी सभ्यता से दूरी के कारण मुर्सी लोगों के व्यवहार में कठोरता दिखाई देती है, जबकि उनकी लंबी-पतली कद-काठी और आक्रामक रूप उन्हें और भी भयावह प्रस्तुत करते हैं. खानाबदोश जीवन और संसाधनों की सीमित उपलब्धता के चलते ओमो वैली में पानी और चरागाह को लेकर अक्सर जनजातीय संघर्ष होते रहते हैं.

पर्यटकों के साथ टकराव और गोपनीयता का उल्लंघन
उनकी अनोखी परंपराओं के कारण पर्यटकों की संख्या बढ़ी है, लेकिन अत्यधिक बाहरी हस्तक्षेप से अक्सर गलतफहमियां और तनाव पैदा होते हैं, जिसके चलते कई पर्यटकों ने खुद को असुरक्षित महसूस करने की शिकायत भी की है. फोटो लेने और रस्मों में दखल देने से भी टकराव की स्थितियां बन जाती हैं, जबकि कठिन रास्ते और खराब सड़कें वहां पहुंचने की यात्रा को और जोखिमभरी बना देती हैं. हालांकि समय के साथ वे अब उनसे सामंजस्य बनाने लगे हैं.

मुर्सी का रक्त-पीने का रिवाज और उसकी आध्यात्मिकता
मुर्सी जनजाति का रक्त-पीने का रिवाज भी काफी चर्चा में रहता है, क्योंकि वे गाय और बकरी का ताजा खून पीते हैं जिसे वे ऊर्जा, शक्ति और जीवन का प्रतीक मानते हैं. यह खून न केवल युद्ध और लंबी यात्राओं के दौरान शक्ति देता है, बल्कि कई रस्मों और उम्र-आधारित परंपराओं का हिस्सा भी है. यह उनकी सांस्कृतिक पहचान और आध्यात्मिक मान्यताओं से गहराई से जुड़ा हुआ है. हालांकि यह हमेशा नहीं पिया जाता. जनजाति के खून पीने का वीडियो हम आपको नहीं दिखा सकते. हालांकि जनजाति की महिलाओं द्वार अपने होठों पर लगाए जाने वाले छल्ले का वीडियो सोशल मीडिया पर अक्सर वायरल होता रहता है. नीचे आप दो महिलाओं को देख सकते हैं.
आध्यात्मिक मान्यताएं और जनजाति की जटिलता
आध्यात्मिक रूप से वे ‘तुम्वी’ नामक सृजनकर्ता देवता को मानते हैं, जिन्हें आकाश और शक्ति का सर्वोच्च स्रोत माना जाता है. वे प्रकृति और अपने पूर्वजों की आत्माओं का सम्मान करते हैं. खान-पान के रूप में वे मुख्यतः ज्वार और मकई के दलिया, दूध और खून पर निर्भर रहते हैं, जबकि मांस केवल विशेष मौकों या कठिन परिस्थितियों में ही खाया जाता है. कठोर जीवनशैली और भयावह दिखने वाली परंपराओं के बावजूद, मुर्सी जनजाति अपनी संस्कृति, पहचान और भूमि से गहराई से जुड़ी हुई है, और इन्हीं मान्यताओं पर उनका संपूर्ण सामाजिक ढांचा टिकता है.

जनजाति के पर्यटन का स्याह पक्ष
मुर्सी जनजाति का जीवन भले ही पहले ऐसा रहा हो. लेकिन आज ये लोग मुख्य सड़कों के पास स्थायी टूरिस्ट विलेज बनाकर खुद को अतिरंजित रूप में सजाकर दिखाते हैं ताकि पर्यटक फोटो लेकर पैसे दें. लिप-प्लेट और भारी सजावट उनकी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा नहीं होती; महिलाएँ इन्हें खास तौर पर दर्शकों के लिए पहनती हैं. उन्हें हर फोटो के बदले टिप की उम्मीद रहती है और गाइड पहले ही यह व्यवस्था समझा देते हैं. सजावट अब एक प्रतिस्पर्धी प्रदर्शन बन गई है.

असली मूर्सी जनजाती दूर गांवों में रहती है
वे अब ज्यादा असामान्य आकर्षक दिखने के लिए अलग तरह के हेडगियर पहनते हैं और पेंट लगाते हैं. सूखे या महामारी जैसी परिस्थितियों में यह व्यवहार और अधिक आक्रामक हो सकता है और बहुत से सामान लिप-प्लेट व गेज पर्यटकों को बेच दिए जाते हैं. जो लोग फ्रंट-विलेज रहते हैं उनकी कमाई अच्छी होती है, लेकिन यह कमाई समुदाय के दूरस्थ हिस्सों तक नहीं पहुंचती, असली मुर्सी जीवन वहां गहराई से जिंदा है. समय-समय पर वहां लेखक और फोटोजर्नलिस्ट ने समय बिताकर सच्चाई देखी है.
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