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कैसे नेहरू और चे ग्वेरा की मुलाकातों ने भारत और क्यूबा संबंध स्थापित किया, क्यूबा के राजदूत ने सुनाया पूरा किस्सा


Che Guevara and Jawaharlal Nehru Meeting: दुनिया के तमाम मार्क्सवादी क्रांतिकारी नेताओं में चे ग्वेरा का नाम दुनिया भर में जाना पहचाना गया. वे अर्जेंटीना में पैदा हुए, डॉक्टर बने और एक सफल जिंदगी जी सकते थे. लेकिन उन्होंने लैटिन अमेरिका में गरीबी और शोषण को देखकर वे वामपंथ की ओर झुके और ‘क्रांति’ के लिए अपना जीवन लगा दिया. 27 साल की उम्र में वे 1955 में क्यूबा के एक और क्रांतिकारी नेता फिदेल कास्त्रो से मिले और 31 साल की उम्र में वे क्यूबा राष्ट्रीय बैंक के अध्यक्ष और उद्योग मंत्री बने. उनका भारत से भी विशेष नाता रहा, जिसने दोनों देशों के बीच राजनयिक और द्विपक्षीय संबंधों की शुरुआत कर दी. भारत में क्यूबा के राजदूत, जुआन कार्लोस मार्सान एग्वीलरा ने चे ग्वेरा की भारत यात्रा के दौरान पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से हुई मुलाकात को याद किया, जिसने संबंधों की शुरुआत की और ये रिश्ते आज तक कायम हैं.

एग्वीलरा ने एएनआई से बातचीत में कहा, “जुलाई 1959 में, क्यूबा क्रांति के कुछ ही महीनों बाद, भारत में किसी वरिष्ठ क्यूबाई नेता की पहली यात्रा चे ग्वेरा ने की थी. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नेहरू से तीन बार मुलाकात की और दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध खोलने पर सहमति बनी. यह संबंध आज तक जीवित हैं.” राजदूत ने आगे बताया कि हाल ही में ब्राजील में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डियाज-कानेल ने 30 मिनट से अधिक समय तक दोनों देशों के राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने और आर्थिक, वाणिज्यिक तथा वित्तीय सहयोग बढ़ाने पर बातचीत की.

भारत और क्यूबा के संबंधों को बढ़ाने पर हुई चर्चा

राजदूत एग्वीलरा ने आगे बताया कि हाल ही में जुलाई में ब्रिक्स सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री मोदी और क्यूबा के राष्ट्रपति डियाज-कानेल ने इस बात पर चर्चा की कि न केवल राजनीतिक संबंधों को, बल्कि आर्थिक, व्यापारिक और वित्तीय संबंधों को भी कैसे आगे बढ़ाया जाए. एग्वीलरा ने कहा कि दोनों देश कुछ प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे परस्पर लाभ हो सके, जैसे- स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और डिजिटल सार्वजनिक ढांचा.

उन्होंने कहा, कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे- जैव प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, ऊर्जा और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में हम सहयोग जारी रखना चाहते हैं. हम इस पर ध्यान दे रहे हैं कि भारत और क्यूबा के बीच द्विपक्षीय आदान-प्रदान को कैसे बढ़ाया जाए, जिससे दोनों देशों को लाभ हो.”

फिदेल कास्त्रो की पुण्यतिथि पर उनके योगदान पर डाला प्रकाश

फिदेल कास्त्रो क्यूबा के सबसे प्रसिद्ध राजनेता रहे. उन्होंने 1959 से 1976 तक क्यूबा के प्रधानमंत्री और 1976 से 2008 तक देश के राष्ट्रपति रहे. वे अंत तक क्यूबा के एक राष्ट्रवादी नेता के रूप में जाने गए उनकी मृत्यु 25 नवंबर 2016 को हुई थी. उन्हीं की नौवीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए, राजदूत ने कहा कि यह आयोजन कास्त्रो के जीवन और भारत-क्यूबा संबंधों में उनके योगदान को याद करने के लिए किया गया था. उन्होंने कहा कि हमने फिदेल कास्त्रो के जीवन पर एक चर्चा आयोजित की क्योंकि हम उनकी नौवीं पुण्यतिथि मना रहे हैं. इस कार्यक्रम में कई लोग शामिल हुए, जिन्होंने फिदेल से मुलाकात की थी या क्यूबा एकजुटता आंदोलन से जुड़े थे. उन्होंने फिदेल के भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों और वैश्विक दक्षिण व अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उनके योगदान पर अपनी बातें साझा कीं.

एग्वीलरा ने यह भी बताया कि फिदेल कास्त्रो ने स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय के लिए लड़ रहे लोगों के प्रति हमेशा एकजुटता दिखाई. उन्होंने उन्हें निर्गुट आंदोलन (NAM) के एक अहम नेता के रूप में भी याद किया. उन्होंने कहा कि फिदेल सिर्फ क्यूबा क्रांति के नेता ही नहीं थे, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय नेता थे. उन्होंने दुनिया के लोगों को असली स्वतंत्रता का रास्ता दिखाने की कोशिश की. उन्होंने आजादी और आत्मनिर्णय के लिए लड़ रहे लोगों का समर्थन किया. वे निर्गुट आंदोलन (NAM) के प्रमुख नेताओं में से एक थे. उन्होंने आगे कहा- फिदेल 1973 और 1983 में भारत आए थे. दोनों यात्राओं के दौरान उन्होंने भारत और उसके लोगों के प्रति एकजुटता दिखाई.

एएनआई के इनपुट के साथ.

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