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शेख हसीना को फांसी के बाद अब 21 साल की जेल, बेटे और बेटियों को भी इस मामले में मिली ये सजा


Bangladesh Sheikh Hasina sentenced to 21 years in prison: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को इसी महीने की तारीख 17 नवंबर को फांसी की सजा सुनाई गई. अब ढाका की एक अदालत ने गुरुवार को शेख हसीना को भ्रष्टाचार के आरोपों में 21 साल की सजा सुनाई है. यानी एक महीने में ही उनके खिलाफ दो मामोलों में फैसला सुनाया गया है. इन लगातार सुनाए जा रहे फैसलों से ऐसा बिल्कुल साफ लग रहा है कि बांग्लादेश के सलाहकार मोहम्मद यूनुस शेख हसीना की राजनीति को पूरी तरह समाप्त करना चाहते हैं. उनके खिलाफ लगातार मामलों में फैसला सुनाया जा रहा है. इस मामले में भी अभी तीन केसे में फैसले सुनाए गए हैं. बाकी के तीन मामलों में फैसला 1 दिसंबर को सुनाया जाएगा.  

समाचार समाचार एजेंसी ‘बीएसएस’ के अनुसार ‘राजुक न्यू टाउन प्रोजेक्ट’, पूर्वांचल में भूखंड आवंटन में कथित अनियमितताओं को लेकर ये तीन मामले दर्ज किए गए थे. ढाका स्पेशल जज-5 मोहम्मद अब्दुल्ला अल मामून ने यह फैसला सुनाते हुए बताया कि तीन अलग-अलग प्लॉट घोटाला मामलों में शेख हसीना को प्रत्येक में 7-7 साल, कुल मिलाकर 21 साल की कैद की सजा दी गई है. न्यायाधीश ने हसीना की गैर मौजूदगी में यह फैसला सुनाया, क्योंकि हसीना को अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है. यह मुकदमा भी उनकी गैर मौजूदगी में चलाया गया था.

परिवार पर भी कार्रवाई

दोनों पक्षों की जिरह 22 नवंबर को समाप्त हो गई थीं. ऐसे में अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया. इस मामले में कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भूखंड शेख हसीना को बिना किसी आवेदन के और गैरकानूनी तरीके से आवंटित किया गया था.’ अदालत ने इसी मामले में शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय को 5 साल की जेल और 1 लाख टका का जुर्माना लगाया है. उनकी बेटी साइमा वाजेद पुतुल को भी 5 साल की कैद की सजा सुनाई गई है. बांग्लादेश की भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (ACC) ने पिछले जनवरी में शेख हसीना और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ ढाका के पूर्वाचल क्षेत्र में सरकारी प्लॉटों के ‘अवैध आवंटन’ के आरोप में कुल छह मामले दर्ज किए थे. शेष तीन मामलों का फैसला 1 दिसंबर को सुनाया जाएगा.

पहले ही मिल चुकी है सुप्रीम सजा

बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने शेख हसीना को जुलाई 2024 के विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराते हुए पहले ही फांसी की सजा सुना दी है. शेख हसीना और उनका परिवार इन मामलों में अदालत में उपस्थित नहीं हुआ और उनका कोई वकील भी नहीं था, क्योंकि वे फरार बताए जाते हैं. हालांकि, हसीना परिवार ने विभिन्न भाषणों और बयानों में भ्रष्टाचार के सभी आरोपों को खारिज किया है.

भारत की प्रतिक्रिया: प्रत्यर्पण अनुरोध पर विचार

शेख हसीना को दी गई सजा पर बांग्लादेश सरकार ने भारत से प्रत्यर्पण की मांग की है. इस पर बुधवार को भारत के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की. उन्होंने कहा कि अनुरोध की औपचारिक रूप से प्राप्ति हो चुकी है और भारत इस पर विचार कर रहा है. साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत, बांग्लादेश में शांति, लोकतंत्र, समावेश और स्थिरता को बढ़ावा देने के अपने संकल्प के तहत सभी हितधारकों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ा रहेगा.

पृष्ठभूमि: 2024 का छात्र आंदोलन और हसीना का पलायन

जुलाई 2024 में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर छात्र-नेतृत्व वाला आंदोलन शुरू हुआ था. 5 अगस्त 2024 को स्थिति बिगड़ने पर शेख हसीना देश छोड़कर भारत आ गईं, जहां उन्होंने शरण ली. इसके बाद अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया. वे शेख हसीना और उनकी पार्टी के खिलाफ कड़ा रुख अपना हुए हुए हैं. 

एएनआई के इनुपट के साथ.

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