The Family Man Season 3 Review
रेटिंग : 1/5
वेबसीरीज : द फैमिली मैन 3
क्रिएटर : राज एंड डीके
एक्टर : मनोज बाजपेयी, जयदीप अहलावत, निम्रत कौर, प्रियामणि, गुल पनाग
फैमिली मैन हम लोगों को याद क्यों है–
- श्रीकांत तिवारी और काउंसलर के मुहावरों के लिए
- श्रीकांत तिवारी और आईटी कंपनी के फॉउंडर के बीच के सीन के लिए
- श्रीकांत तिवारी और बीएमसी वालों के बीच के डायलॉग के लिए
- श्रीकांत तिवारी और उनके बच्चों के साथ के मीठी नोंकझोंक के लिए
लेकिन सीजन 3 के फैमिली मैन से फैमिली और ‘श्रीकांत तिवारी’ दोनों गायब हैं. 7 एपिसोड वाले इस सीजन में 40% स्क्रीन भी श्रीकांत के पास नहीं है.
फैमिली मैन सीजन 3 श्रीकांत तिवारी बार–बार ये क्यों बोलता है?
हमें आदत है श्रीकांत तिवारी को आखिरकार जीतते हुए देखने की. लेकिन सीजन 3 में श्रीकांत एक असहाय, हताश और बार–बार हारते हुए दिखाता है. अक्सर सीन में वो ये कहते हुए सुने जाते हैं – I Don’t Know, मुझे पता नहीं.
मानो मनोज इस पूरे सीजन के लिए ये कह रहे हों कि पता नहीं ये क्या बन रहा है. या कि उनको सीन में खड़ा कर दिया गया है, कोई स्क्रिप्ट है नहीं, डायलॉग बोलने की बारी आती है तो वो क्या बोलें? सबसे बेहतर– पता नहीं.
वेबसीरीज वालों को नॉर्थ–ईस्ट का चस्का क्यों लगा है?
पाताललोक 2 में हाथीराम चौधरी नॉर्थ–इस्ट जाकर नॉर्थ–ईस्ट के लोगों से निपटे हुए अभी ज्यादा दिन नहीं हुए थे. लेकिन वही हाथीराम चौधरी, फैमिलीमैन में रुकमा बनकर विलेन का किरदार निभाता है. वही बैकग्राउंड, वही चोर–पुलिस का खेल, कई बार तो लगने लगता है कि पाताललोक देख रहे हैं या फैमिली मैन?
लेकिन ये समझ के परे है कि हिन्दी कहानियां सोचने वालों के लिए अब सिर्फ नॉर्थ–ईस्ट ही बचा है? दूसरा कि कहानी भी लगभग एक सी. किरदार भी लगभग एक से, उनकी मूवमेंट भी लगभग एक सी.
फैमिली मैन 3 के कलाकारों की एक झांकी देखिए
मनोज तिवारी, जयदीप अहलावत, विजय सेतुपति, गुल पनाग, शारिब हाशमी, प्रियमणि, निम्रत कौर, जुगल हंसराज, आदित्य श्रीवास्तव, दिलीप ताहिल, विपिन शर्मा, सीमा विश्वास, दर्शन कुमार, श्रेया धनवंतरी, अश्लेषा ठाकुर, वेदांत सिन्हा…
मतलब कि पूरी एक्टिंग की दुकान. इस गुलदस्ते का हर फूल इतना सुगंधित है कि इनमें से किसी एक को लेकर कहानी सोचेंगे तो भी वो कहानी हिट कराने का माद्दा रखते हैं.
लेकिन राज एंड डीके, सुमन कुमार ने अबकी ऐसी कहानी सोची कि सारे तगड़े आइटम, मसाले होने के बाद भी न खिचड़ी बन पाई न बिरयानी.
कुछ अच्छा भी है? कि सब खराब ही है?
नहीं, नहीं जो अच्छा है वो बताना पड़ेगा. निम्रत कौर का एक सीन है. क्या है कि निम्रत मीरा नाम की एक शातिर महिला की किरदार में हैं. अमूमन लंदन में रहती हैं. दुनिया की सबसे बड़ी हथियार डीलिंग से लेकर पीएम की हत्या की साजिश तक सब कर लेती हैं. लेकिन उन्होंने फोन किया है इंडिया के नॉर्थ–ईस्ट में रहने वाले ठस कॉन्ट्रैक्ट किलर को, यानी रुकमा को यानी जयदीप अहलावत को.
रुकमा अपनी आदत के हिसाब से मीरा पर चढ़ाई करने की कोशिश करता है. ये सोच के कि ये तो लंदन वाली है, तभी मीरा उसे एकदम देसी अंदाज में उसकी औकात दिखा देती है. जो डायलॉग निम्रत ने बोला है वो हम यहां लिख नहीं सकते, लेकिन वो डायलॉग रुखे अंदाज में एक ताकतवर महिला की ओर से पुरुषों को नीचा दिखाने के बारे में है जो उस सीन में बहुत ही ज्यादा फिट बैठता है.
जयदीप अहलावत के हिस्से चूंकि ज्यादा सीन आए हैं, तो अपनी सीन्स में दमदार तरीके से नजर आते हैं. वो एक बार पूरा ही भरोसा करा देते हैं वो रुकमा ही हैं, हाथीराम चौथरी नहीं.
सबसे ज्यादा खराब है?
सबसे ज्यादा खराब है, एंडिंग, द क्लाइमेक्स. अब हम आपको स्पॉइलर तो नहीं देंगे. लेकिन इतना जरूर बता सकते हैं एंडिंग देखकर आप कहेंगे ये तो मिसफायर हो गया.