पाकिस्तान में तख्तापलट की तैयारी! आसिम मुनीर को मिल सकती है आजीवन शक्तियां, संविधान भी बनेगा सेना का हथियार
Army Chief Asim Munir Power: पाकिस्तान में ऐसा राजनीतिक और सैन्य घटनाक्रम सामने आया है, जो सिर्फ संसद तक सीमित नहीं है, बल्कि संविधान और लोकतंत्र की नींव को हिला सकता है. पाकिस्तान की संसद में पेश किए गए 27वें संविधान संशोधन बिल के तहत सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को अब वह शक्तियां मिल सकती हैं, जो अब तक नागरिक सरकार के पास थीं. यह संशोधन पाकिस्तान को लोकतंत्र से सीधे सैन्य प्रभुत्व वाली व्यवस्था की ओर ले जाने वाला कदम माना जा रहा है.
Army Chief Asim Munir Power: 27वां संविधान संशोधन बिल
सीएनएन-न्यूज एटीन के अनुसार, कैबिनेट की मंजूरी के बाद, यह बिल पाकिस्तान के सीनेट में पेश किया गया और इसे कानून व न्याय की स्थायी समिति को भेज दिया गया. कानून मंत्री अजम नजीर तारार ने बताया कि बिल के तहत संवैधानिक धारा, उच्च न्यायालयों की नियुक्ति प्रक्रिया, प्रांतीय कैबिनेट की सीमा और सैन्य नेतृत्व की संरचना में बड़े बदलाव किए जाएंगे. ये बदलाव सिर्फ प्रशासनिक नहीं हैं, बल्कि सेना को संविधान के तहत असाधारण अधिकार देने वाले हैं.
आर्मी चीफ बनेगा चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज
बिल के अनुसार, सेना प्रमुख अब चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज भी होंगे, यानी तीनों सेनाओं आर्मी, नेवी और एयरफोर्स पर सीधे कमान. वर्तमान में Chairman Joint Chiefs of Staff Committee (CJCSC) सेना प्रमुख के लिए संतुलन का काम करता है, लेकिन नया बिल इस पद को 27 नवंबर 2025 से समाप्त कर देगा और कोई नई नियुक्ति नहीं होगी. कानून मंत्री ने स्पष्ट किया कि मौजूदा CJCSC का कार्यकाल पूरा होने के बाद यह पद खत्म हो जाएगा.
परमाणु हथियारों पर सैन्य नियंत्रण
संशोधन के अनुसार, राष्ट्रीय सामरिक कमान (National Strategic Command) का प्रमुख प्रधानमंत्री की बजाय चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज की सिफारिश पर नियुक्त होगा. इसका मतलब है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर वास्तविक नियंत्रण भी सैन्य नेतृत्व के हाथ में होगा और नागरिक सरकार की भूमिका केवल औपचारिक रह जाएगी.
फील्ड मार्शल को जीवनभर का खिताब
बिल में एक नया प्रावधान यह भी है कि जनरल आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल का खिताब दिया जा सकता है. यह पद जीवनभर रहेगा, अधिकारी वर्दी पहन सकते हैं और विशेषाधिकार का आनंद ले सकते हैं. कानून मंत्री ने कहा कि यह रैंक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नायकों को दिया जाने वाला सम्मान है और इसे हटाने का अधिकार सिर्फ संसद के पास होगा. संविधान की धारा 47 और 248, जो राष्ट्रपति को कानूनी सुरक्षा देती है, अब फील्ड मार्शल और अन्य सिम्बॉलिक सैन्य पदों पर भी लागू होगी. इसका मतलब है कि अधिकारी आजीवन कानूनी सुरक्षा में होंगे, उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलेगा और पद छोड़ने के बाद भी उन्हें राजनीतिक या न्यायिक जिम्मेदारी नहीं होगी.
संशोधन कहता है कि नियुक्तियां प्रधानमंत्री की सलाह पर होंगी, लेकिन वास्तविक सिफारिशें चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज की ओर से आएंगी. यानी असली नियंत्रण सेना प्रमुख के पास होगा और प्रधानमंत्री केवल औपचारिक दस्तखत देंगे. यह कदम नागरिक शासन के मूल सिद्धांत को पूरी तरह उलट देता है. विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान पहले से ही राजनीतिक रूप से कमजोर और आर्थिक रूप से सैन्य प्रभुत्व में था. अब यह संशोधन संविधान के जरिए सेना को और शक्तिशाली बना देता है. अब पाकिस्तान की सत्ता संरचना ऐसी दिख रही है, जिसमें संविधान का काम सेना की ताकत को वैध करना है.
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